रांची: प्रदेश की राजनीति में जेवीएम एक ऐसा दल है जो आगामी विधानसभा चुनाव में सत्ता की धुरी बन सकता है. दरअसल पिछले दो विधानसभा चुनाव के आंकड़े यह साफ करते हैं कि जेवीएम मौजूदा विधानसभा में 10% से अधिक सीटों पर जीत दर्ज कराता आया है. हालांकि 2006 में अपने गठन के बाद से जेवीएम दल-बदल की मार झेलता आ रहा है. बावजूद इसके पार्टी इस बार भी विधानसभा चुनाव अपने बल पर लड़ने का मन बना चुकी है.
लगभग 10 फीसदी वोट लाने में सफल
अगर हम आंकड़ों को पलट कर देखें तो 2009 और 2014 के विधानसभा चुनाव में जेवीएम 9 से 10% वोट लाने में सफल रहा है. हालांकि पार्टी के विधायक 2009 और 2014 में पलटी मार कर दूसरे दलों में चले गए. बावजूद इसके जेवीएम 2019 में अपने दमखम पर विधानसभा चुनाव लड़ने की जुगत में लगा हुआ है.
पहली बार बीजेपी ने किया बहुमत लाने का दावा
राज्य गठन के बाद से अब तक झारखंड में किसी एक दल को चुनाव के तुरंत बाद बहुमत नहीं प्राप्त हुआ है. हालांकि इस दौरान सरकारें बनी और गिरी लेकिन 2014 में पहली बार बीजेपी ने चुनाव के नतीजों के झारखंड विधानसभा के गणित के हिसाब से बहुमत प्राप्त हुआ है. वह भी तब संभव हुआ जब जेवीएम के 6 विधायकों ने पाला बदल लिया और बीजेपी में शामिल हो गए.
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अब तक जेवीएम का क्या परफॉर्मेंस रहा
2014 में हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 73 सीट पर उम्मीदवार उतारे थे. उनमें से आठ पर पार्टी के विधायक जीतकर झारखंड विधानसभा पहुंचे. उनमें से फरवरी 2015 में 6 विधायकों ने कथित तौर पर जेवीएम का विलय बीजेपी में कराने का दावा किया. जबकि एक और विधायक 2019 में बीजेपी के हो गए.
दल-बदल की मार झेलता रहा जेवीएम
आंकड़ों पर गौर करें तो 2014 में पार्टी को लगभग 10% मत मिले थे. 2009 में 11 सीटें जेवीएम की झोली में आई थी, 2009 में जेवीएम का कांग्रेस के साथ पैक्ट हुआ था जिनमें से 25 सीटों पर जेवीएम ने अपने उम्मीदवार दिए. जबकि 5 पर फ्रेंडली फाइट हुई. जेवीएम को 11 सीटें मिली थी, 2014 में जहां जेवीएम के सात विधायकों ने पाल बदला. वहीं 2009 के चुनाव के बाद भी पार्टी को दल-बदल की मार झेलनी पड़ी थी.
जेवीएम ने अपनाई महागठबंधन से अलग राह
जेवीएम के अभी तक के रुख से यह स्पष्ट है कि पार्टी महागठबंधन में शामिल होकर लड़ने नहीं जा रही है. जबकि विपक्षी दलों के महागठबंधन में जेएमएम और कांग्रेस की बातचीत अंतिम चरण में है. इधर बीजेपी के अंदरखाने से मिली जानकारी के अनुसार पार्टी द्वारा कराए गए अलग-अलग सर्वे में उसे बहुमत मिलता नहीं नजर आ रहा है. परिस्थितियां यही रही तो वैसे में जेवीएम की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है.