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विधानसभा चुनाव 2019: तमाड़ के विधायक विकास सिंह मुंडा का रिपोर्ट कार्ड

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Published : Nov 3, 2019, 10:00 PM IST

Updated : Nov 3, 2019, 10:46 PM IST

राजनीतिक अस्थिरता के कारण तमाड़ विधानसभा सीट पर कई चेहरे बदलते रहे. इस सीट के लिए खून की होली भी खेली गई. जिसके कारण सीएम को कुर्सी भी गंवानी पड़ी थी. जिसके बाद महेंद्र सिंह धोनी ने अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई. यहां से आजसू के टिकट से जीते विकास सिंह मुंडा फिलहाल जेएमएम में शामिल हो चुके हैं.

विधायक विकास सिंह मुंडा

रांची: रांची में 7 विधानसभा क्षेत्र है जिनमें तमाड़ विधानसभा सीट काफी चर्चित है. कृषि बहुल इस इलाके में 90 के दशक तक नक्सलियों की जबरदस्त पैठ थी. उस दौर में अलग झारखंड राज्य के लिए आंदोलन चल रहा था. तब इस विधानसभा क्षेत्र का एक शख्स खून की नदी से होकर सत्ता तक पहुंचने के लिए साजिश रच रहा था. उस शख्स का नाम गोपाल कृष्ण पातर उर्फ राजा पीटर है.

विधायक विकास सिंह मुंडा का रिपोर्ट कार्ड

मधु कोड़ा के नेतृत्व में निर्दलीय सरकार बनी
साल 2005 में राजनीतिक अस्थिरता के कारण मुख्यमंत्रियों के चेहरे बदल रहे थे. 27 फरवरी 2005 को फिर खंडित जनादेश आया और किसी तरह अर्जुन मुंडा दूसरी बार मुख्यमंत्री बने, लेकिन सात महीने में ही सरकार गिर गई और पहली बार मधु कोड़ा के नेतृत्व में निर्दलीय सरकार बनी. यह सरकार सितंबर 2006 से अगस्त 2008 तक चली. वहीं राजा पीटर भांप चुके थे कि मधु कोड़ा की सरकार का गिरना तय है.

जुलाई 2008 में हुई थी रमेश सिंह मुंडा की हत्या
लिहाजा राजा पीटर ने कुख्यात नक्सली कुंदन पाहन से मिलकर 9 जुलाई 2008 को बुंडू के बारूहातू गांव स्थित एक स्कूल में कार्यक्रम के दौरान रमेश सिंह मुंडा की हत्या करवा दी थी. तब किसी को नहीं मालूम था कि इस कांड में राजा पीटर का हाथ है. इस हत्या के एक महीने बाद मधु कोड़ा की सरकार गिर गई और शिबू सोरेन दोबारा सीएम बने.

हथियार के बल पर चुनाव लड़ रहे थे राजा पीटर
वहीं छह महीने के अंदर शिबू सोरेन को विधायक का चुनाव जीतना था और तमाड़ की सीट खाली थी. यहीं पर शिबू सोरेन से चूक हो गई और वह नक्सलियों की बंदूक की आड़ में चुनाव लड़ रहे राजा पीटर से हार गए. लिहाजा, सरकार गिर गई और राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया. इस तमाड़ सीट के चुनाव परिणाम के कारण झारखंड में पहली बार मध्यावधि चुनाव 2009 में हुआ, फिर विखंडित जनादेश हुआ जिसका लगभग सबको अंदेशा था.

2014 में विकास मुंडा जीते
राजा पीटर 2009 के चुनाव में खुद को स्थापित कर चुका थे और रमेश सिंह मुंडा के बेटे विकास सिंह मुंडा को हराकर दूसरी बार विधानसभा में पांव रख चुके थे और अर्जुन मुंडा की सरकार में राजा पीटर मंत्री भी बने थे, लेकिन 2014 के चुनाव में विकास मुंडा ने राजा पीटर को भारी अंतर से पटखनी दे दी. समय बदल चुका था फोर्स लगातार नक्सलियों पर लगाम कसती जा रही थी.

ये भी पढ़ें- विधानसभा चुनाव 2019: जामा सीट से जेएमएम विधायक सीता सोरेन का रिपोर्ट कार्ड

मई 2017 में कुंदन पाहन ने किया था सरेंडर
जिसके बाद मई 2017 में कुंदन पाहन ने सरेंडर कर दिया. उसके सरेंडर करते ही विकास सिंह मुंडा यह कहते हुए अनशन पर बैठ गए कि उनके पिता की हत्या में कुंदन का हाथ था. लिहाजा, मामले की जांच एनआईए को सौंपी गई. ऐसा होते ही रमेश सिंह मुंडा के हत्या की डोर राजा पीटर तक जा पहुंची. आज राजा पीटर जेल में है.

तमाड़ की वजह से हुई थी राज्य की बदनामी
तमाड़ की वजह राज्य की खूब बदनामी हुई, लेकिन इसी क्षेत्र में शक्तिपीठ के रूप में चर्चित दिउड़ी मंदिर के प्रति क्रिकेटर महेंद्र सिंह की आस्था ने इस इलाके को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलायी है. जब भी धोनी रांची में होते हैं, तो दिउड़ी मंदिर जाते हैं. रांची में अब तक हुए कई क्रिकेट मैच के दौरान भारतीय टीम समेत अन्य देशों के खिलाड़ी भी दिउड़ी जा चुके हैं. इस बीच एक बार फिर चुनाव की बिसात बिछ चुकी है. लेकिन न नक्सली हैं न राजा पीटर. चुनाव फेयर तरीके से होना है. अब देखना है इस बार तमाड़ की सीट क्या गुल खिलाती है.

रांची: रांची में 7 विधानसभा क्षेत्र है जिनमें तमाड़ विधानसभा सीट काफी चर्चित है. कृषि बहुल इस इलाके में 90 के दशक तक नक्सलियों की जबरदस्त पैठ थी. उस दौर में अलग झारखंड राज्य के लिए आंदोलन चल रहा था. तब इस विधानसभा क्षेत्र का एक शख्स खून की नदी से होकर सत्ता तक पहुंचने के लिए साजिश रच रहा था. उस शख्स का नाम गोपाल कृष्ण पातर उर्फ राजा पीटर है.

विधायक विकास सिंह मुंडा का रिपोर्ट कार्ड

मधु कोड़ा के नेतृत्व में निर्दलीय सरकार बनी
साल 2005 में राजनीतिक अस्थिरता के कारण मुख्यमंत्रियों के चेहरे बदल रहे थे. 27 फरवरी 2005 को फिर खंडित जनादेश आया और किसी तरह अर्जुन मुंडा दूसरी बार मुख्यमंत्री बने, लेकिन सात महीने में ही सरकार गिर गई और पहली बार मधु कोड़ा के नेतृत्व में निर्दलीय सरकार बनी. यह सरकार सितंबर 2006 से अगस्त 2008 तक चली. वहीं राजा पीटर भांप चुके थे कि मधु कोड़ा की सरकार का गिरना तय है.

जुलाई 2008 में हुई थी रमेश सिंह मुंडा की हत्या
लिहाजा राजा पीटर ने कुख्यात नक्सली कुंदन पाहन से मिलकर 9 जुलाई 2008 को बुंडू के बारूहातू गांव स्थित एक स्कूल में कार्यक्रम के दौरान रमेश सिंह मुंडा की हत्या करवा दी थी. तब किसी को नहीं मालूम था कि इस कांड में राजा पीटर का हाथ है. इस हत्या के एक महीने बाद मधु कोड़ा की सरकार गिर गई और शिबू सोरेन दोबारा सीएम बने.

हथियार के बल पर चुनाव लड़ रहे थे राजा पीटर
वहीं छह महीने के अंदर शिबू सोरेन को विधायक का चुनाव जीतना था और तमाड़ की सीट खाली थी. यहीं पर शिबू सोरेन से चूक हो गई और वह नक्सलियों की बंदूक की आड़ में चुनाव लड़ रहे राजा पीटर से हार गए. लिहाजा, सरकार गिर गई और राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया. इस तमाड़ सीट के चुनाव परिणाम के कारण झारखंड में पहली बार मध्यावधि चुनाव 2009 में हुआ, फिर विखंडित जनादेश हुआ जिसका लगभग सबको अंदेशा था.

2014 में विकास मुंडा जीते
राजा पीटर 2009 के चुनाव में खुद को स्थापित कर चुका थे और रमेश सिंह मुंडा के बेटे विकास सिंह मुंडा को हराकर दूसरी बार विधानसभा में पांव रख चुके थे और अर्जुन मुंडा की सरकार में राजा पीटर मंत्री भी बने थे, लेकिन 2014 के चुनाव में विकास मुंडा ने राजा पीटर को भारी अंतर से पटखनी दे दी. समय बदल चुका था फोर्स लगातार नक्सलियों पर लगाम कसती जा रही थी.

ये भी पढ़ें- विधानसभा चुनाव 2019: जामा सीट से जेएमएम विधायक सीता सोरेन का रिपोर्ट कार्ड

मई 2017 में कुंदन पाहन ने किया था सरेंडर
जिसके बाद मई 2017 में कुंदन पाहन ने सरेंडर कर दिया. उसके सरेंडर करते ही विकास सिंह मुंडा यह कहते हुए अनशन पर बैठ गए कि उनके पिता की हत्या में कुंदन का हाथ था. लिहाजा, मामले की जांच एनआईए को सौंपी गई. ऐसा होते ही रमेश सिंह मुंडा के हत्या की डोर राजा पीटर तक जा पहुंची. आज राजा पीटर जेल में है.

तमाड़ की वजह से हुई थी राज्य की बदनामी
तमाड़ की वजह राज्य की खूब बदनामी हुई, लेकिन इसी क्षेत्र में शक्तिपीठ के रूप में चर्चित दिउड़ी मंदिर के प्रति क्रिकेटर महेंद्र सिंह की आस्था ने इस इलाके को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलायी है. जब भी धोनी रांची में होते हैं, तो दिउड़ी मंदिर जाते हैं. रांची में अब तक हुए कई क्रिकेट मैच के दौरान भारतीय टीम समेत अन्य देशों के खिलाड़ी भी दिउड़ी जा चुके हैं. इस बीच एक बार फिर चुनाव की बिसात बिछ चुकी है. लेकिन न नक्सली हैं न राजा पीटर. चुनाव फेयर तरीके से होना है. अब देखना है इस बार तमाड़ की सीट क्या गुल खिलाती है.

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रांची: रांची में 7 विधानसभा क्षेत्र है जिनमें तमाड़ विधानसभा सीट काफी चर्चित मानी जाती है. कृषि बहुल इस इलाके में 90 के दशक तक नक्सलियों की जबरदस्त पैठ थी. उस दौर में अलग झारखंड राज्य को लेकर आंदोलन चल रहा था. तब इस विधानसभा क्षेत्र का एक शख्स खून की नदी से होकर सत्ता तक पहुंचने के लिए साजिश रच रहा था. उस शख्स का नाम है गोपाल कृष्ण पातर उर्फ राजा पीटर है.



मधु कोड़ा के नेतृत्व में निर्दलीय सरकार बनी

साल 2005 में राजनीतिक अस्थिरता के कारण मुख्यमंत्रियों के चेहरे बदल रहे थे. 27 फरवरी 2005 को फिर खंडित जनादेश आया और किसी तरह अर्जुन मुंडा दूसरी बार मुख्यमंत्री बने, लेकिन सात महीने में ही सरकार गिर गई और पहली बार मधु कोड़ा के नेतृत्व में निर्दलीय सरकार बनी. यह सरकार सितंबर 2006 से अगस्त 2008 तक चली. वहीं राजा पीटर भांप चुके थे कि मधु कोड़ा की सरकार का गिरना तय है. 



जुलाई 2008 में हुई थी रमेश सिंह मुंडा की हत्या

लिहाजा राजा पीटर ने कुख्यात नक्सली कुंदन पाहन से मिलकर 9 जुलाई 2008 को बुंडू के बारूहातू गांव स्थित एक स्कूल में कार्यक्रम के दौरान रमेश सिंह मुंडा की हत्या करवा दी थी. तब किसी को नहीं मालूम था कि इस कांड में राजा पीटर का हाथ है. इस हत्या के एक महीने बाद मधु कोड़ा की सरकार गिर गई और शिबू सोरेन दोबारा सीएम बने. 



हथियार के बल पर चुनाव लड़ रहे थे राजा पीटर 

वहीं छह महीने के अंदर शिबू सोरेन को विधायक का चुनाव जीतना था और तमाड़ की सीट खाली थी. यहीं पर शिबू सोरेन से चूक हो गई और वह नक्सलियों की बंदूक की आड़ में चुनाव लड़ रहे राजा पीटर से हार गए. लिहाजा, सरकार गिर गई और राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया. इस तमाड़ सीट के चुनाव परिणाम के कारण झारखंड में पहली बार मध्यावधि चुनाव 2009 में हुआ, फिर विखंडित जनादेश हुआ जिसका लगभग सबको अंदेशा था.

 

2014 में विकास मुंडा जीते

राजा पीटर 2009 के चुनाव में खुद को स्थापित कर चुका थे और रमेश सिंह मुंडा के बेटे विकास सिंह मुंडा को हराकर दूसरी बार विधानसभा में पांव रख चुके थे और अर्जुन मुंडा की सरकार में राजा पीटर मंत्री भी बने थे, लेकिन 2014 के चुनाव में विकास मुंडा ने राजा पीटर को भारी अंतर से पटखनी दे दी. समय बदल चुका था फोर्स लगातार नक्सलियों पर लगाम कसती जा रही थी. 



मई 2017 में कुंदन पाहन ने किया था सरेंडर 

जिसके बाद मई 2017 में कुंदन पाहन ने सरेंडर कर दिया. उसके सरेंडर करते ही विकास सिंह मुंडा यह कहते हुए अनशन पर बैठ गए कि उनके पिता की हत्या में कुंदन का हाथ था. लिहाजा, मामले की जांच एनआईए को सौंपी गई. ऐसा होते ही रमेश सिंह मुंडा के हत्या की डोर राजा पीटर तक जा पहुंची. आज राजा पीटर जेल में है. 



तमाड़ की वजह से हुई थी राज्य की बदनामी

तमाड़ की वजह राज्य की खूब बदनामी हुई, लेकिन इसी क्षेत्र में शक्तिपीठ के रूप में चर्चित दिउड़ी मंदिर के प्रति क्रिकेटर महेंद्र सिंह की आस्था ने इस इलाके को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलायी है. जब भी धोनी रांची में होते हैं, तो दिउड़ी मंदिर जाते हैं. रांची में अब तक हुए कई क्रिकेट मैच के दौरान भारतीय टीम समेत अन्य देशों के खिलाड़ी भी दिउड़ी जा चुके हैं. इस बीच  एक बार फिर चुनाव की बिसात बिछ चुकी है. लेकिन न नक्सली हैं न राजा पीटर. चुनाव फेयर तरीके से होना है. अब देखना है इस बार तमाड़ की सीट क्या गुल खिलाती है. 


Conclusion:
Last Updated : Nov 3, 2019, 10:46 PM IST
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