रांचीः झारखंड मुक्ति मोर्चा ने संविधान में 127वें संशोधन पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए जनगणना 2021 में जातीय जनगणना और आदिधर्म के लिए अलग से सरना धर्म कोड की मांग की है. पार्टी कार्यालय में झामुमो के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने संवाददाता सम्मेलन कर कहा कि 2011 में हुई जनगणना में आर्थिक, सामाजिक आधार पर भी जनगणना हुई थी, लेकिन संसद में घोषणा के बाद भी उसे सार्वजनिक नहीं किया गया.
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सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि इस बार जो कॉलम है, उसमें जातिगत जनगणना का स्थान ही नहीं दिया गया है. धर्म का कॉलम बनाया गया लेकिन जाति का कॉलम गायब है, लेकिन जातियों की जनगणना नहीं होगी तो पता ही नहीं चलेगा कि किस जाति की कितनी संख्या है. फिर उन्हें लाभ कैसे मिल पाएगा.
झामुमो नेता का आरोप है कि राज्य सरकार ओबीसी की लिस्ट तो तय कर देगी पर उसका लाभ ओबीसी को नहीं मिल पाएगा. क्योंकि राज्य सरकार द्वारा तैयार लिस्ट को केंद्र सरकार नहीं मानेगी. भारत सरकार के अधीन रोजगार और संस्थाओ में उन्हें लाभ से वंचित किया जाएगा. जिस तरह से कॉर्पोरेट घरानों को सरकारी संस्थाएं सौंपी जा रही है. कृषि कानून में भी कुछ इसी तरह की तस्वीर देखने को मिली थी. यह जनगणना का काम राज्यों को अलग कर केंद्र सरकार कर रही है.