रांची: झारखंड में रह रहे सदान ने अपने लिए अधिकारों की मांग तेज कर दी है. सदान विकास परिषद के बैनर तले एक बार फिर राज्य के विभिन्न जिलों में रहनेवाले सदान ने अपनी मांगों को मनवाने के लिए राज्य सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है. इसके तहत सभी विधायक, सांसद और राजनीतिक दलों के प्रमुखों को ज्ञापन सौंपकर सदानों की मांग का समर्थन करने की अपील की जा रही है.
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सदान विकास परिषद के बैनर तले बीजेपी प्रदेश कार्यालय पहुंचे सदान विकास परिषद के पदाधिकारियों ने बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश और संगठन महामंत्री से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा. सदान विकास परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष अरुण कश्यप के नेतृत्व में अभियान चला रहे सदान नेताओं ने पेसा कानून में सुधार लाने की भी मांग की है. सदान नेता सत्यप्रकाश मिश्रा ने कहा कि झारखंड की कुल आबादी 3 करोड़ 30 लाख है, जिसमें 13 जिले जिन्हें पेसा कानून के अंतर्गत रिजर्व कर दिया गया है, उनमें सदानों की आबादी लगभग एक करोड़ 30 लाख है.
3 सितंबर से आंदोलन
इससे (PESA act 1996 के कारण) सदान इन जिलों में मुखिया, प्रमुख ,पंचायत समिति सदस्य, बोर्ड सदस्य का चुनाव नहीं लड़ सकता है. इन स्थानों में PESA Act यानी पंचायत(अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) कानून 1996 के अंतर्गत सिर्फ जनजाति के व्यक्ति को ही चुनाव लड़ने का अधिकार है. ऐसे में हमारा हक नहीं मिल रहा है. इन स्थानों पर जनगणना कराकर सदानों की संख्या का पता लगाया जा सकता है. सदान विकास परिषद शुक्रवार को अपनी मांगों को लेकर बेड़ो के नरकोपी से आंदोलन भी शुरू करेगी.
- झारखंड में पेसा कानून में सुधार किया जाए या उसे खत्म किया जाए
- पहले की तरह सदानों को मुखिया, सरपंच, प्रमुख ,जिला पंचायत समिति में खड़ा होने का अधिकार दिया जाए
- हाट बाजार, ग्राम प्रधान का रिजर्वेशन हटाया जाए
- किसानों और विद्यार्थियों को सरकारी अनुदान देने में भेदभाव नहीं किया जाए
- 13 जिलों में पिछड़े सवर्ण को नौकरी देने के लिए शून्य रिजर्वेशन को हटाकर पुनः बहाल किया जाए
- 13 जिलों में सदान जनगणना सरकार द्वारा कराई जाए
- राजनीतिक दल, सदान सेल का पार्टी में गठन करें
- झारखंड में सदान आयोग का गठन कराया जाए