रांची: संसदीय क्षेत्र के विकास में सांसद विकास निधि एक सशक्त माध्यम होता है. इसके लिए सांसदों को हर साल करोड़ों रुपए मिलते हैं. कोरोना काल में सभी सांसदों की राशि कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए रखी गई है, लेकिन इससे पूर्व के वर्षों में राशि खर्च करने के मामले में झारखंड के सांसदों की उदारता नहीं दिखी. यही वजह है कि राज्य में सांसद विकास निधि से जिस रफ्तार में पैसे खर्च होने चाहिए थे, वो नहीं हुए और जनता की शिकायतें बदस्तूर बनी रहीं.
सरकारी आंकड़ों को देखें तो झारखंड से लोकसभा और राज्यसभा दोनों को मिलाकर कुल 20 सांसद हैं. इन सभी सांसदों में पैसा खर्च करने में सबसे आगे कांग्रेस के राज्यसभा सांसद धीरज प्रसाद साहू हैं, जिन्होंने जारी राशि में से 91.21% राशि खर्च की है. वहीं, रांची सांसद संजय सेठ ने 69.36% राशि खर्च की है. इस तरह से झारखंड के सभी सांसदों ने ओवरऑल 55.02% राशि खर्च की है, जबकि 54.98 करोड़ रुपये बिना खर्च का पड़ा हुआ है.
प्रत्येक वित्तीय वर्ष में हर सांसद को 5 करोड़ रुपये सांसद विकास निधि में मिलते हैं, जिसका खर्च सांसद की अनुशंसा पर जिला उपायुक्त की ओर से किया जाता है. कोरोना के कारण सांसद विकास निधि का पैसा लगातार 2 साल से विकास योजनाओं पर खर्च होने के बजाय कोरोना राहत बचाव पर खर्च हो रहा है.
रांची सांसद संजय सेठ ने अपने संसदीय कोटे से किए गये कार्यों की जानकारी देते हुए कहा कि केंद्र सरकार के फैसले पर 2020 और 2021 की सांसद निधि कोरोना मद में चली गई. इससे पूर्व के वर्षों में उनके ओर से कई कार्य किये गए हैं, जो क्षेत्र की जनता के लिए लाभदायक है.
सड़क से लेकर पुल, पुलिया और एम्बुलेंस सांसद निधि से अनुशंसित हैं जो पूरी हो चुकी है. पिछले वर्ष राज्यसभा चुनाव में जीतने वाले दीपक प्रकाश भी मानते हैं कि सांसद विकास निधि विकास कार्य के लिए काफी सहायक होती है. उन्होंने कहा कि कोरोना मद में 2 वर्षों से पैसा जा रहा है. इसके अलावा सभी सांसदों के वेतन में 30 फीसदी कटौती की गई है. सांसदों ने एक-एक करोड़ पीएम आपदा फंड में जमा भी किए हैं.
कम खर्च और योजनाओं के क्रियान्वयन में देरी पर उठ रहे हैं सवाल
सांसद विकास निधि मद के पैसे खर्च करने में हो रही देरी पर सवाल उठ रहे हैं. सामाजिक कार्यकर्ता प्रेम कटुरका ने सवाल खड़े करते हुए कहा कि योजनाओं के लटकने की बड़ी वजह यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट नहीं मिलना और लगातार समीक्षा नहीं होना है. वहीं, राजीव रंजन मिश्रा बताते हैं कि सांसद विकास निधि के माध्यम से सांसद राजनीतिक दबाव के कारण कई बार बहुत योजनाओं की अनुशंसा कर देते हैं, जिससे परेशानी बढ़ जाती है.
17 वीं लोकसभा चुनाव में निर्वाचित सांसदों और वर्तमान राज्यसभा सांसदों को प्रावधान के अनुसार अभी तक 130 करोड़ रुपये मिलने चाहिए, जिसमें केन्द्र सरकार की ओर से 102.50 करोड़ मुहैया कराए जा चुके हैं. सूद सहित यह राशि 111.39 करोड़ है.