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झारखंड में नक्सलियों से भी खतरनाक ये जीव, 2008 से अब तक ले चुके हैं 63 जवानों की जान

झारखंड जगुआर के लिए सिर्फ नक्सली ही नहीं, ऐसी कई चुनौतियां हैं जिनका उनको रोज सामना करना पड़ रहा है. घने जंगलों में ऑपरेशन में जुटे जवान कई तरह की परेशानियों से जुझ रहे हैं. ईटीवी भारत की रिपोर्ट से जानिए क्या है वो चुनौतियां?

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Published : Oct 8, 2021, 4:54 PM IST

Updated : Oct 8, 2021, 5:23 PM IST

रांचीः झारखंड में नक्सल अभियान में लगे जवानों के लिए नक्सलियों से ज्यादा बड़ा खतरा मच्छर साबित हो रहे हैं. जिस झारखंड जगुआर के लड़ाकों से नक्सलियों की पसीने छूटते हैं. उनको मच्छर, सांप, बिच्छू और दूसरे जंगली जानवर अपना शिकार बना रहे हैं. आलम यह कि नक्सल अभियान में जितने जवान शहीद नहीं हुए हैं, उससे कहीं ज्यादा ब्रेन मलेरिया या जंगली जानवरों की वजह से अपनी जान गवां चुके हैं.

इसे भी पढ़ें- नक्सल अभियान के दौरान जवानों को मलेरिया/टाइफाइड का खतरा, नियमित हो रही जांच


बीमारी से मौत का आंकड़ा भयावह
ब्रेन मलेरिया और अन्य तरह की बीमारिययों की चपेट में आने की वजह से जगुआर के जवान मौत के शिकार होते रहे हैं. नक्सलियों के खिलाफ अभियान में वर्ष 2008 से जंगलों में झारखंड जगुआर के असॉल्ट ग्रुप में तैनात 63 जवानों की जान सांप-बिच्छू, बीमारी और जंगली जानवरों ने ले ली है. जबकि इस दौरान नक्सली हमलों और उनके साथ हुई मुठभेड़ में महज 21 जवान ही शहीद हुए. बरसात में जवानों को कई तरह की मुसीबतों का सामना करना पड़ता है और इस वर्ष जवान भारी बारिश को लेकर लगातार परेशान हैं, क्योंकि इस वर्ष सितंबर महीने तक भी जोरदार बारिश होती रही.

देखें पूरी खबर


ब्रेन मलेरिया से एक महीने में दो जवान की मौत
एक महीने के भीतर झारखंड जगुआर के दो जवान ब्रेन मलेरिया की वजह से अपनी जान गवां चुके हैं. 20 सितंबर को चाईबासा में पदस्थापित हवलदार गोपाल कुमार तमांग की ब्रेन मलेरिया से इलाज के दौरान मौत हो गई. वहीं 16 सितंबर को झारखंड जगुआर के जवान उपेंद्र कुमार भी ब्रेन मलेरिया के शिकार हो गए थे. उपेंद्र पश्चिमी सिंहभूम में तैनात थे, बीमार होने के बाद जांच में ब्रेन मलेरिया की पुष्टि के बाद उन्हें रांची के एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था.

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झारखंड जगुआर के सामने चुनौतियां


पुलिस मुख्यालय ने जारी किए निर्देश
इन पूरे मामले पर झारखंड पुलिस मुख्यालय के आईजी अभियान अमोल वेणुकांत होमकर का कहना है कि बरसात के मौसम में अभियान मे परेशानी आती है. दुर्गम क्षेत्र के कारण भी नक्सल अभियान चलाने में काफी परेशानी आती है. ऐसे में जवान कई बीमारियों से ग्रसित होते है, जिसे लेकर उन्हें प्रीवेंटिव मेडिसिन दी जाती है. इसके लिए जिलों के एसपी और डीसी को निर्देश दिया गया है.

इसे भी पढ़ें- जमशेदपुर में भी फैला डेंगू और मलेरिया का कहर, मच्छरों की चपेट में जुगसलाई थाना, कई पुलिसकर्मी बीमार

पहले की तुलना में बीमारी से मौत में फिलहाल कमी आई है

उन्होंने कहा कि पहले कि तुलना में अब बीमारियों से जवानों की मौत में कमी आई है. आईजी अभियान के अनुसार जवानों को जवानों को अभियान पर निकलने के दौरान क्लोरोक्वीन, प्रीमाक्वीन, एसीटी कॉम्बी ब्लिस्टर के साथ आरडी किट और लोशन भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं. जहां दवाइयों की कमी से संबंधित शिकायतें मिली हैं, वहां तुरंत जवानों को दवाएं उपलब्ध कराने को कहा गया है. आईजी अभियान के अनुसार सांप और बिच्छू से निपटने के लिए जरूरी केमिकल भी जवानों को उपलब्ध करवाए गए हैं.

डेढ़ गुना वेतनमान बंद हो चुका है
झारखंड जगुआर में तैनात सिपाही से लेकर आईजी स्तर के अधिकारियों को दुरूह कार्य करना पड़ता था. ऐसे में जगुआर के गठन के संकल्प में ही डेढ़ गुना वेतनमान दिए जाने का प्रावधान था, लेकिन राज्य में सातवां वेतनमान लागू होने के बाद जगुआर में डेढ़गुना वेतन देने की प्रक्रिया को खत्म कर दिया गया था. पुलिसकर्मियों की मांग रही है कि डेढ़गुना वेतन फिर से लागू किया जाए ताकि पुलिसकर्मियों का मनोबल बना रहे. लेकिन इस मामले में कई बैठकों के बावजूद अभी तक कोई निर्णय नही हो पाया है. इसे लेकर भी झारखंड जगुआर के जवानों में काफी आक्रोश है.

रांचीः झारखंड में नक्सल अभियान में लगे जवानों के लिए नक्सलियों से ज्यादा बड़ा खतरा मच्छर साबित हो रहे हैं. जिस झारखंड जगुआर के लड़ाकों से नक्सलियों की पसीने छूटते हैं. उनको मच्छर, सांप, बिच्छू और दूसरे जंगली जानवर अपना शिकार बना रहे हैं. आलम यह कि नक्सल अभियान में जितने जवान शहीद नहीं हुए हैं, उससे कहीं ज्यादा ब्रेन मलेरिया या जंगली जानवरों की वजह से अपनी जान गवां चुके हैं.

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बीमारी से मौत का आंकड़ा भयावह
ब्रेन मलेरिया और अन्य तरह की बीमारिययों की चपेट में आने की वजह से जगुआर के जवान मौत के शिकार होते रहे हैं. नक्सलियों के खिलाफ अभियान में वर्ष 2008 से जंगलों में झारखंड जगुआर के असॉल्ट ग्रुप में तैनात 63 जवानों की जान सांप-बिच्छू, बीमारी और जंगली जानवरों ने ले ली है. जबकि इस दौरान नक्सली हमलों और उनके साथ हुई मुठभेड़ में महज 21 जवान ही शहीद हुए. बरसात में जवानों को कई तरह की मुसीबतों का सामना करना पड़ता है और इस वर्ष जवान भारी बारिश को लेकर लगातार परेशान हैं, क्योंकि इस वर्ष सितंबर महीने तक भी जोरदार बारिश होती रही.

देखें पूरी खबर


ब्रेन मलेरिया से एक महीने में दो जवान की मौत
एक महीने के भीतर झारखंड जगुआर के दो जवान ब्रेन मलेरिया की वजह से अपनी जान गवां चुके हैं. 20 सितंबर को चाईबासा में पदस्थापित हवलदार गोपाल कुमार तमांग की ब्रेन मलेरिया से इलाज के दौरान मौत हो गई. वहीं 16 सितंबर को झारखंड जगुआर के जवान उपेंद्र कुमार भी ब्रेन मलेरिया के शिकार हो गए थे. उपेंद्र पश्चिमी सिंहभूम में तैनात थे, बीमार होने के बाद जांच में ब्रेन मलेरिया की पुष्टि के बाद उन्हें रांची के एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था.

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झारखंड जगुआर के सामने चुनौतियां


पुलिस मुख्यालय ने जारी किए निर्देश
इन पूरे मामले पर झारखंड पुलिस मुख्यालय के आईजी अभियान अमोल वेणुकांत होमकर का कहना है कि बरसात के मौसम में अभियान मे परेशानी आती है. दुर्गम क्षेत्र के कारण भी नक्सल अभियान चलाने में काफी परेशानी आती है. ऐसे में जवान कई बीमारियों से ग्रसित होते है, जिसे लेकर उन्हें प्रीवेंटिव मेडिसिन दी जाती है. इसके लिए जिलों के एसपी और डीसी को निर्देश दिया गया है.

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पहले की तुलना में बीमारी से मौत में फिलहाल कमी आई है

उन्होंने कहा कि पहले कि तुलना में अब बीमारियों से जवानों की मौत में कमी आई है. आईजी अभियान के अनुसार जवानों को जवानों को अभियान पर निकलने के दौरान क्लोरोक्वीन, प्रीमाक्वीन, एसीटी कॉम्बी ब्लिस्टर के साथ आरडी किट और लोशन भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं. जहां दवाइयों की कमी से संबंधित शिकायतें मिली हैं, वहां तुरंत जवानों को दवाएं उपलब्ध कराने को कहा गया है. आईजी अभियान के अनुसार सांप और बिच्छू से निपटने के लिए जरूरी केमिकल भी जवानों को उपलब्ध करवाए गए हैं.

डेढ़ गुना वेतनमान बंद हो चुका है
झारखंड जगुआर में तैनात सिपाही से लेकर आईजी स्तर के अधिकारियों को दुरूह कार्य करना पड़ता था. ऐसे में जगुआर के गठन के संकल्प में ही डेढ़ गुना वेतनमान दिए जाने का प्रावधान था, लेकिन राज्य में सातवां वेतनमान लागू होने के बाद जगुआर में डेढ़गुना वेतन देने की प्रक्रिया को खत्म कर दिया गया था. पुलिसकर्मियों की मांग रही है कि डेढ़गुना वेतन फिर से लागू किया जाए ताकि पुलिसकर्मियों का मनोबल बना रहे. लेकिन इस मामले में कई बैठकों के बावजूद अभी तक कोई निर्णय नही हो पाया है. इसे लेकर भी झारखंड जगुआर के जवानों में काफी आक्रोश है.

Last Updated : Oct 8, 2021, 5:23 PM IST

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