रांची: एलोपैथिक डॉक्टरों का सबसे बड़ा और देशव्यापी संगठन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के झारखंड इकाई की कार्यकारिणी के सदस्यों के लिए 19 दिसंबर को होने वाला चुनाव विवादों में आ गया है. वोटर लिस्ट जारी होने के बाद कई डॉक्टरों ने इसे लोकतंत्र का मजाक बताते हुए सीधा आरोप लगाया है कि एक खास वर्ग से आने वाले लोगों की जीत सुनिश्चित करने के लिए इस तरह का वोटर लिस्ट बनाया गया है. जिसमें रिम्स जैसे बड़े संस्थान के महज दो वोटर हैं. वहीं दूसरी ओर रांची में ही कहीं पति -पत्नी तो कहीं भाई -बहन तक वोटर बनाए गए हैं.
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रिम्स के सर्जरी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ निशीथ एक्का ने कहा कि झारखंड में IMA को पॉकेट संस्था बनाने के लिए अपने लोगों को वोटर बनाया गया है. डॉ निशीथ ने कहा कि इस बात का दुख होता है कि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में IMA जैसे संस्था में अलोकतांत्रिक प्रक्रिया अपनाकर चुनाव की तैयारी की जा रही है. अगर यही हाल रहा तो राज्य में IMA एक जाति वर्ग विशेष का संगठन बनकर रह जाएगा. उन्होंने कहा कि वह इस अलोकतांत्रिक प्रक्रिया से चुनाव कराने की कोशिश की शिकायत IMA के केंद्रीय संगठन से करेंगे.
निर्वाचन की प्रक्रिया ट्रांसपैरेंट नहीं
रिम्स चिकित्सा शिक्षक संघ के डॉ प्रभात कुमार IMA के राज्य कार्यकारिणी के सचिव पद के लिए उम्मीदवार हैं. 2016 के चुनाव में भी वो उम्मीदवार थे. उन्होंने कहा कि अब महसूस होने लगा है कि यहां चुनाव की प्रक्रिया ट्रांसपैरेंट नहीं है और कुछ लोग IMA को कैप्चर कर अपने पास रखना चाहते हैं. लेकिन अभी भी उन्हें भरोसा है कि IMA निर्वाचन आयोग अपने नेतृत्व में निष्पक्ष चुनाव कराएगी.
क्या कहते हैं झासा के प्रदेश सचिव
झासा के प्रदेश सचिव और पूर्व में IMA के कई महत्वपूर्ण पदों पर रहनेवाले डॉ बिमलेश सिंह कहते हैं कि चुनाव से पहले कुछ अंतर्विरोध होते हैं. लेकिन यह ज्यादा गंभीर मामला नहीं है और आईएमए झारखंड में कोई विवाद नहीं है. वोटर लिस्ट को लेकर उठ रहे सवाल पर डॉ बिमलेश सिंह ने कहा कि 25 डॉक्टरों पर एक वोटर होते हैं, जिन्हें वोट देने का अधिकार होता है. इस मामले में ज्यादा जानकारी IMA झारखंड और IMA रांची के अध्यक्ष और सचिव ही दे सकते हैं.
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क्यों है विवाद
आईएमए झारखंड का 19 दिसंबर को होने वाले अध्यक्ष, सचिव, कोषाध्यक्ष, उपाध्यक्ष जैसे पदों के लिए होने वाले चुनाव को लेकर विवाद इसलिए है कि इसके लिए जिन वोटरों को चुना गया है, उसके लिए कोई मानक तय नहीं है और IMA की जिला इकाई अपने स्तर से वोटर सेलेक्ट कर देती है. IMA जैसे बड़े संगठन में वोटर कार्यकारिणी के सदस्य बिना किसी मानक तय किए चुनेंगे तो वोट भी उसी को देंगे जिसे वह चाहेंगे. इस पूरे मामले को लेकर ईटीवी भारत ने दो दिनों तक IMA के वर्तमान सचिव डॉ प्रदीप सिंह का पक्ष लेने की कोशिश की. लेकिन उन्होंने पलड़ा झाड़ लिया और बस इतना बताया कि वो रांची से बाहर हैं.