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Jharkhand High Court Verdict: झारखंड हाई कोर्ट ने सरकार की याचिका को किया खारिज, कहा- कतरी जलाशय के विस्थापित को दें नौकरी

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Published : Dec 23, 2021, 7:56 AM IST

Updated : Dec 23, 2021, 9:58 AM IST

गुमला के कतरी जलाशय से विस्थापित एहसानुल्लाह खान को नौकरी देने के मामले की झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने मामले में सरकार की अपील को खारिज करते हुए नौकरी देने का आदेश दिया.

Jharkhand High Court Verdict
झारखंड हाई कोर्ट ने सरकार की याचिका को किया खारिज

रांचीः झारखंड हाई कोर्ट ने गुमला के कतरी जलाशय से विस्थापित एहसानुल्लाह खान को नौकरी देने के एकल पीठ के आदेश को बरकरार रखा है. चीफ जस्टिस डॉ. रवि रंजन और जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत ने राज्य सरकार की अपील को खारिज कर दिया. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि एकल पीठ का आदेश बिल्कुल सही है. इसलिए इसमें हस्तक्षेप किए जाने की कोई आवश्यकता नहीं है. इसलिए सरकार की अपील खारिज की जाती है.

ये भी पढ़ेंः मुआवजे के लिए डीसी से राष्ट्रपति तक लगाई गुहार, 22 साल बाद हाई कोर्ट से मिला न्याय

अदालत ने पूर्व में दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के बाद 20 जुलाई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. 20 जुलाई को मुख्य सचिव ने कोर्ट में हाजिर होकर कहा था कि नियमानुसार अनुकंपा के आधार पर तत्काल नौकरी देने का प्रावधान है. इसके अलावा विज्ञापन के जरिए ही नियुक्ति दी जाती है. अदालत ने कहा कि इस मामले में तीन अन्य विस्थापितों को नौकरी कैसे दे दी गई. इस मामले में एकल पीठ ने विज्ञापन निकालकर नियुक्ति देने के आदेश दिया था, जिसके खिलाफ सरकार ने अपील की थी.

जानकारी देते अधिवक्ता

बता दें कि कतरी जलाशय के लिए वर्ष 1989-91 में एहसानुल्लाह की आठ एकड़ जमीन ली गई. पुनर्वास नीति के तहत उसे नौकरी और अन्य सुविधाएं दी जानी थी, लेकिन अभी तक उसे नौकरी नहीं दी गई है. उसने हाई कोर्ट में तीन बार याचिका दाखिल की. हर बार अदालत ने सरकार को नौकरी देने पर विचार करने का आदेश दिया था. लेकिन विभाग ने उसे नौकरी नहीं दी. जबकि पुनर्वास नीति के तहत छह माह में सभी सुविधाएं दी जानी चाहिए.

रांचीः झारखंड हाई कोर्ट ने गुमला के कतरी जलाशय से विस्थापित एहसानुल्लाह खान को नौकरी देने के एकल पीठ के आदेश को बरकरार रखा है. चीफ जस्टिस डॉ. रवि रंजन और जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत ने राज्य सरकार की अपील को खारिज कर दिया. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि एकल पीठ का आदेश बिल्कुल सही है. इसलिए इसमें हस्तक्षेप किए जाने की कोई आवश्यकता नहीं है. इसलिए सरकार की अपील खारिज की जाती है.

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अदालत ने पूर्व में दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के बाद 20 जुलाई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. 20 जुलाई को मुख्य सचिव ने कोर्ट में हाजिर होकर कहा था कि नियमानुसार अनुकंपा के आधार पर तत्काल नौकरी देने का प्रावधान है. इसके अलावा विज्ञापन के जरिए ही नियुक्ति दी जाती है. अदालत ने कहा कि इस मामले में तीन अन्य विस्थापितों को नौकरी कैसे दे दी गई. इस मामले में एकल पीठ ने विज्ञापन निकालकर नियुक्ति देने के आदेश दिया था, जिसके खिलाफ सरकार ने अपील की थी.

जानकारी देते अधिवक्ता

बता दें कि कतरी जलाशय के लिए वर्ष 1989-91 में एहसानुल्लाह की आठ एकड़ जमीन ली गई. पुनर्वास नीति के तहत उसे नौकरी और अन्य सुविधाएं दी जानी थी, लेकिन अभी तक उसे नौकरी नहीं दी गई है. उसने हाई कोर्ट में तीन बार याचिका दाखिल की. हर बार अदालत ने सरकार को नौकरी देने पर विचार करने का आदेश दिया था. लेकिन विभाग ने उसे नौकरी नहीं दी. जबकि पुनर्वास नीति के तहत छह माह में सभी सुविधाएं दी जानी चाहिए.

Last Updated : Dec 23, 2021, 9:58 AM IST
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