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डोभा निर्माण घोटाला पर हाईकोर्ट सख्त, विभाग से मांगा खर्च का ब्यौरा - Jharkhand news

झारखंड में डोभा निर्माण घोटाला मामले में हाईकोर्ट ने सख्त रुख अख्तियार कर लिया है. हाईकोर्ट ने झारखंड सरकार के सचिव को डोभा निर्माण में हुए 336 करोड़ रुपए का ब्योरा पेश करने को कहा है.

Jharkhand High Court strict on Dobha construction scam
Jharkhand High Court strict on Dobha construction scam
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Published : Apr 8, 2022, 9:33 PM IST

रांची: डोभा निर्माण घोटाला मामले की जांच को लेकर दायर याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट ने सख्त रुख अख्तियार करते हुए झारखंड सरकार के सचिव को अदालत में जवाब पेश करने को कहा है. अदालत ने विभाग को अपने जवाब में राज्य भर में हुए डोभा निर्माण में हुए 336 करोड़ रुपए के खर्च का ब्योरा पेश करने को कहा है. सुनवाई के दौरान एसीबी के डीजी भी कोर्ट में वीसी के माध्यम उपस्थित रहे.

ये भी पढ़ें: डोभा निर्माण में गड़बड़ी की शिकायत, उप विकास आयुक्त ने की जांच

एसीबी के डीजी ने अदालत को बताया कि इस मामले में एसीबी कोई जांच नहीं कर रहा है. जिसके बाद कोर्ट ने विभागीय सचिव से शपथ पत्र दायर करने का निर्देश दिया. हाईकोर्ट ने पूछा है कि 336 करोड़ की राशि में से पैसे कितने खर्च हुए हैं और इन पैसों से राज्य भर में कितने डोभा का जीर्णोद्धार किया गया. हाईकोर्ट ने मौखिक रूप से हिदायत देते हुए कहा है कि अगर कोर्ट में दाखिल किया गया शपथपत्र गलत हुआ, तो कोर्ट इस मामले में सख्त आदेश पारित करेगा.

सुनवाई के दौरान अदालत ने इस बात को लेकर नाराजगी जताई कि जब वर्ष 2016 में डोभा घोटाले में प्राथमिकी दर्ज की गई तो 4 साल बीत जाने के बाद भी जांच क्यों नहीं पूरी हुई. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की बेंच ने तल्ख टिपणी करते हुए पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाते मौखिक रूप से कहा कि इतने छोटे मामले में 4 साल तक जांच पूरी नहीं हो पाई है, तो क्या पुलिस का काम सिर्फ वीआईपी के पीछे दौड़ना है? क्या इसे ही पुलिसिंग कहते हैं?

रांची: डोभा निर्माण घोटाला मामले की जांच को लेकर दायर याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट ने सख्त रुख अख्तियार करते हुए झारखंड सरकार के सचिव को अदालत में जवाब पेश करने को कहा है. अदालत ने विभाग को अपने जवाब में राज्य भर में हुए डोभा निर्माण में हुए 336 करोड़ रुपए के खर्च का ब्योरा पेश करने को कहा है. सुनवाई के दौरान एसीबी के डीजी भी कोर्ट में वीसी के माध्यम उपस्थित रहे.

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एसीबी के डीजी ने अदालत को बताया कि इस मामले में एसीबी कोई जांच नहीं कर रहा है. जिसके बाद कोर्ट ने विभागीय सचिव से शपथ पत्र दायर करने का निर्देश दिया. हाईकोर्ट ने पूछा है कि 336 करोड़ की राशि में से पैसे कितने खर्च हुए हैं और इन पैसों से राज्य भर में कितने डोभा का जीर्णोद्धार किया गया. हाईकोर्ट ने मौखिक रूप से हिदायत देते हुए कहा है कि अगर कोर्ट में दाखिल किया गया शपथपत्र गलत हुआ, तो कोर्ट इस मामले में सख्त आदेश पारित करेगा.

सुनवाई के दौरान अदालत ने इस बात को लेकर नाराजगी जताई कि जब वर्ष 2016 में डोभा घोटाले में प्राथमिकी दर्ज की गई तो 4 साल बीत जाने के बाद भी जांच क्यों नहीं पूरी हुई. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की बेंच ने तल्ख टिपणी करते हुए पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाते मौखिक रूप से कहा कि इतने छोटे मामले में 4 साल तक जांच पूरी नहीं हो पाई है, तो क्या पुलिस का काम सिर्फ वीआईपी के पीछे दौड़ना है? क्या इसे ही पुलिसिंग कहते हैं?

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