रांचीः झारखंड राज्य फॉरेंसिक साइंस लैबोरेट्री (Jharkhand State Forensic Science Laboratory) की व्यवस्था को दुरुस्त करने और रिक्त पदों पर नियुक्ति के बिंदु पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. अधिकारी के कार्य प्रणाली पर कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए झारखंड सरकार के गृह सचिव और एफएसएल डायरेक्टर को 16 सितंबर को अदालत में हाजिर होकर जवाब देने का आदेश दिया है.
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इस मामले की सुनवाई के दौरान झारखंड लोक सेवा आयोग (Jharkhand Public Service Commission) और झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (Jharkhand Staff Selection Commission) की ओर से जवाब पेश किया गया. अपने जवाब में बताया कि राज्य सरकार की ओर से उन्हें नियुक्ति के लिए आदेश नहीं मिला है.
झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ. रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में इस मामले पर सुनवाई हुई. इस दौरान झारखंड लोक सेवा आयोग की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरवाल और झारखंड कर्मचारी चयन आयोग की ओर से प्रिंस कुमार ने जवाब पेश किया. जवाब के माध्यम से उन्होंने अदालत को जानकारी दी है कि पूर्व में राज्य सरकार की ओर से झारखंड लोक सेवा आयोग को नियुक्ति के लिए पत्र भेजा गया था. जिसके आलोक में विज्ञापन भी निकाला गया था.
साथ ही यह बताया गया कि विज्ञापन निकालने के बाद में सरकार की ओर से यह कहा गया कि इसमें कुछ त्रुटि है उसके बाद उस विज्ञापन को रद्द कर दिया गया, फिर सरकार के द्वारा अभी कुछ दिन पहले पत्र भेजा गया है. जिसके बाद झारखंड लोक सेवा आयोग नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकालने की तैयारी कर रहा है. वहीं झारखंड कर्मचारी चयन आयोग की ओर से बताया गया कि अभी सरकार की ओर से नियुक्ति हेतु कोई पत्र नहीं भेजा गया है, इसलिए विज्ञापन नहीं निकाला जा सका है.
जेपीएससी और जेएसएससी के जवाब पर अदालत ने राज्य सरकार के गृह सचिव और एफएसएल के डायरेक्टर को अगली सुनवाई के दौरान हाजिर होकर जवाब पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 16 सितंबर को होगी.
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धनबाद के जज की मौत के बाद हाई कोर्ट ने सीबीआई को मामले की एफएसएल रिपोर्ट अदालत में पेश करने को कहा था. सीबीआई ने जांच के लिए ब्लड सैंपल प्रयोगशाला भेजा था. लेकिन राज्य एफएसएल लैब में किसी प्रकार की व्यवस्था नहीं होने के कारण जांच से हाथ उठा दिया. सीबीआई की ओर से अदालत में यह जानकारी दी गई. राज्य में यह व्यवस्था नहीं होने के कारण जांच रिपोर्ट पेश नहीं की जा सकी. जिस पर अदालत ने कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए एफएसएल की लचर व्यवस्था को दुरुस्त करने का आदेश दिया गया था. उसके बाद एफएसएल में रिक्त पदों पर नियुक्ति के बिंदु पर भी चर्चा की गई उसी मामले पर सुनवाई हुई है.