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अभियंताओं की कार्यप्रणाली पर झारखंड हाई कोर्ट नाराज, 3 साल से एक जगह पर जमे अधिकारियों की मांगी सूची - Ranchi news

झारखंड हाई कोर्ट में सिविल कोर्ट की सुरक्षा (Civil Court Security) संबंधी मामले की सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान अदालत अभियंताओं की कार्यप्रणाली पर नाराज हुआ और निर्देश दिया कि तीन साल से एक ही जगह पर जमे अभियंताओं की सूचना शपथ पत्र के माध्यम से उपलब्ध कराये.

Jharkhand High Court angry over working of engineers
अभियंताओं की कार्यप्रणाली पर झारखंड हाई कोर्ट नाराज
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Published : Oct 17, 2022, 4:03 PM IST

रांचीः झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में सोमवार को सिविल कोर्ट की सुरक्षा (Civil Court Security) संबंधित मामले की सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई के दौरान भवन निर्माण विभाग के सचिव सुनील कुमार कोर्ट में हाजिर हुए. कोर्ट ने पूछा है कि राज्य में कितने इंजीनियर एक ही जगह पर 3 साल से अधिक समय से जमे हैं. इसकी जानकारी देने में सचिव ने असमर्थता व्यक्त की. इसपर कोर्ट ने इसकी जानकारी शपथ पत्र के माध्यम से उपलब्ध कराने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई 7 नवंबर को होगी.

यह भी पढ़ेंः जज उत्तम आनंद हत्याकांड मामले में सीबीआई एसपी झारखंड हाई कोर्ट में हुए हाजिर, अदालत ने मांगी प्रगति रिपोर्ट

कोर्ट ने भवन निर्माण सचिव से पूछा कि डिस्ट्रिक्ट जज घाटशिला ने एक जूनियर इंजीनियर को इंस्पेक्शन के लिए बुलाया था, लेकिन उसने देर से आने की बात कही थी. उसके खिलाफ क्या एक्शन लिया गया. गिरिडीह सिविल कोर्ट के भवन के बारे में भी पूछा. साथ ही कहा कि गिरिडीह में भी अभियंता ने सटीक जवाब नहीं दिया था. उसके खिलाफ क्या कार्रवाई हुई. हाई कोर्ट के एक जज के घर की छत टूट रही थी, उसपर क्या काम किया गया. कोर्ट ने इन सारी बातों पर शपथ पत्र के माध्यम से जानकारी देने का आदेश दिया है.

मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि राज्य के कई सिविल कोर्ट की चहारदीवारी की ऊंचाई बढ़ाई गई है. सिविल कोर्ट में सुरक्षा के लिए भी पर्याप्त व्यवस्था की गई है. जिसपर कोर्ट ने कहा कि अभी भी कई जगह पर अदालतों में बाउंड्री वॉल, भवन निर्माण सहित कई कार्य सही ढंग से नहीं हो पाए हैं. अदालतों और न्यायिक पदाधिकारियों की सुरक्षा में 1900 जवान पदस्थापित है. अदालतों की सुरक्षा के लिए सेना से रिटायर सैनिकों की सेवा के साथ-साथ जैप के जवानों के पदस्थापन पर विचार किया जा रहा है. इसका प्रस्ताव राज्य सरकार को भेज दिया गया है. रांची सिविल कोर्ट में सीसीटीवी कैमरे लगा दिए गए हैं. इसके साथ ही अदालतों की बाउंड्री वॉल सहित सीसीटीवी लगाने की योजना है.

रांचीः झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में सोमवार को सिविल कोर्ट की सुरक्षा (Civil Court Security) संबंधित मामले की सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई के दौरान भवन निर्माण विभाग के सचिव सुनील कुमार कोर्ट में हाजिर हुए. कोर्ट ने पूछा है कि राज्य में कितने इंजीनियर एक ही जगह पर 3 साल से अधिक समय से जमे हैं. इसकी जानकारी देने में सचिव ने असमर्थता व्यक्त की. इसपर कोर्ट ने इसकी जानकारी शपथ पत्र के माध्यम से उपलब्ध कराने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई 7 नवंबर को होगी.

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कोर्ट ने भवन निर्माण सचिव से पूछा कि डिस्ट्रिक्ट जज घाटशिला ने एक जूनियर इंजीनियर को इंस्पेक्शन के लिए बुलाया था, लेकिन उसने देर से आने की बात कही थी. उसके खिलाफ क्या एक्शन लिया गया. गिरिडीह सिविल कोर्ट के भवन के बारे में भी पूछा. साथ ही कहा कि गिरिडीह में भी अभियंता ने सटीक जवाब नहीं दिया था. उसके खिलाफ क्या कार्रवाई हुई. हाई कोर्ट के एक जज के घर की छत टूट रही थी, उसपर क्या काम किया गया. कोर्ट ने इन सारी बातों पर शपथ पत्र के माध्यम से जानकारी देने का आदेश दिया है.

मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि राज्य के कई सिविल कोर्ट की चहारदीवारी की ऊंचाई बढ़ाई गई है. सिविल कोर्ट में सुरक्षा के लिए भी पर्याप्त व्यवस्था की गई है. जिसपर कोर्ट ने कहा कि अभी भी कई जगह पर अदालतों में बाउंड्री वॉल, भवन निर्माण सहित कई कार्य सही ढंग से नहीं हो पाए हैं. अदालतों और न्यायिक पदाधिकारियों की सुरक्षा में 1900 जवान पदस्थापित है. अदालतों की सुरक्षा के लिए सेना से रिटायर सैनिकों की सेवा के साथ-साथ जैप के जवानों के पदस्थापन पर विचार किया जा रहा है. इसका प्रस्ताव राज्य सरकार को भेज दिया गया है. रांची सिविल कोर्ट में सीसीटीवी कैमरे लगा दिए गए हैं. इसके साथ ही अदालतों की बाउंड्री वॉल सहित सीसीटीवी लगाने की योजना है.

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