रांची: कोरोना की वैश्विक महामारी में लॉकडाउन की स्थिति में राज्य के ट्रांसजेंडर को सरकारी राशन की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने सरकार के जवाब पर नाराजगी व्यक्त की. हाई कोर्ट ने कहा कि वह भी इंसान हैं उन्हें भी खाना खाने का अधिकार है. हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को फिर से उन्हें चिन्हित कर सरकारी राशन उपलब्ध कराने को कहा है.
राज्य के ट्रांसजेंडर को कोरोना के इस विकट परिस्थिति में सरकारी राशन उपलब्ध कराने को लेकर दायर जनहित याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में सुनवाई हुई. दोनों न्यायाधीश ने अपने आवासीय कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामले पर सुनवाई की. सुनवाई के दौरान सभी पक्षों के अधिवक्ता ने अपने घर से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपना पक्ष रखा. सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से जवाब देते हुए कहा गया कि वह राज्य में कोरोना वायरस की इस वैश्विक महामारी में 1 लाख लोगों को खाना खिला रहे हैं. उसमें ट्रांसजेंडर भी शामिल हो सकते हैं. अदालत ने सरकार के जवाब पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य सरकार को यह भी पता नहीं है कि राज्य में कितने ट्रांसजेंडर हैं. वह भी इंसान है उन्हें भी भोजन करने का अधिकार है. राज्य सरकार उन्हें सरकारी राशन उपलब्ध कराएं. उन्होंने पूछा कि ट्रांसजेंडर अपना राशन कार्ड कैसे बनाएंगे जबकि राज्य सरकार ने अपने राशन कार्ड के आवेदन फॉर्म में ट्रांसजेंडर का कोई कॉलम ही नहीं दिया है. अदालत ने राज्य सरकार को फिर से उन्हें चिन्हित कर राशन उपलब्ध कराने को कहा है.
ये भी पढ़ें- 28अप्रैल को केंद्रीय शिक्षा मंत्री से होगी बातचीत, निजी स्कूलों की फीस मामले को उठाएंगे मंत्री जगरनाथ महतोबता दें कि अमरजीत ने कोरोना के इस वैश्विक महामारी को देखते हुए ट्रांसजेंडर के समक्ष उत्पन्न भुखमरी की समस्या से निजात दिलाने को लेकर झारखंड हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है. याचिका के माध्यम से सरकारी राशन उपलब्ध कराने की मांग की है. उसी याचिका पर सुनवाई के दौरान पूर्व में अदालत ने राज्य सरकार को जवाब पेश करने का आदेश दिया था. हाईकोर्ट के आदेश के आलोक में राज्य सरकार ने जवाब दिया. जवाब पर नाराजगी व्यक्त करते हुए अदालत ने फिर से उन्हें ट्रांसजेंडर को चिन्हित कर सरकारी राशन उपलब्ध कराने को कहा है.