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नेत्रहीन युवती के गर्भपात मामले पर HC गंभीर, RIMS निदेशक को बोर्ड गठित कर जांच रिपोर्ट पेश करने के निर्देश

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Published : Sep 9, 2022, 7:40 PM IST

झारखंड में 19 साल की नेत्रहीन दुष्कर्म पीड़िता ने झारखंड हाई कोर्ट में गर्भपात के लिए याचिका दायर की थी. इस मामले में कोर्ट ने सुनवाई करते हुए एक मेडिकल बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया है (Jharkhand hc serious in rape victim pregnant case).

Jharkhand hc serious in rape victim pregnant case
Jharkhand hc serious in rape victim pregnant case

रांची: 19 वर्षीय नेत्रहीन रेप पीड़ित युवती का गर्भपात कराने की मांग मामले में दायर याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई (Jharkhand hc serious in rape victim pregnant case). हाई कोर्ट ने मामले में सभी पक्षों को सुनने के उपरांत रिम्स निदेशक को मेडिकल बोर्ड गठित करने का निर्देश दिए हैं. बोर्ड को जांच कर 12 सितंबर तक सीलबंद रिपोर्ट अदालत में पेश करने को कहा गया है. राज्य सरकार को युवती को शेल्टर होम जैसी जगह जहां उसकी देखभाल हो सके, वहां शिफ्ट कराने की व्यवस्था करने के भी निर्देश दिए गए हैं.

झारखंड हाई कोर्ट ने रिम्स निदेशक को निर्देश दिया है कि मेडिकल बोर्ड गठित कर यह सुनिश्चित किया जाए कि युवती का गर्भपात कराना सुरक्षित है या नहीं. कोर्ट ने युवती की मेडिकल रिपोर्ट सील सील बंद लिफाफे में कोर्ट में 12 सितंबर को प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 13 सितंबर निर्धारित की गई है. हाई कोर्ट के न्यायाधीश एसके द्विवेदी की कोर्ट ने पीड़िता की क्रिमिनल रिट याचिका पर सुनवाई की. प्रार्थी के अधिवक्ता के कोर्ट से मामले को लेकर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने की मांग के बाद हाई कोर्ट ने यह निर्देश जारी किया.

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पिछले दिनों पीड़िता की मेडिकल जांच कराई गई थी, जिसमें पीड़िता के 28 सप्ताह का गर्भ होने की बात बताई गई. पीड़िता नगड़ी थाना क्षेत्र में रहती है. जब वह नाबालिग थी तो वर्ष 2018 में पहली बार उसके साथ रेप की वारदात हुई थी. इससे संबंधित पोक्सो एक्ट के तहत भी मामला निचली अदालत में चल रहा है. दूसरी बार पीड़िता के साथ फिर से रेप की घटना हुई, इसके बाद अभी वह 28 सप्ताह की गर्भवती बताई जा रही है. पीड़िता ने अपनी आर्थिक स्थिति खराब होने का हवाना देते हुए कोर्ट से गर्भपात कराने की गुहार लगाई है. इस संबंध में प्रार्थी के अधिवक्ता ने बताया कि हाईकोर्ट में मामले से संबंधित याचिका दाखिल करने के पूर्व उन्होंने पीड़िता के इलाज के लिए जिले के उपायुक्त और डालसा के समक्ष भी आवेदन दिया था, लेकिन इस संबंध में कोई सुनवाई नहीं हुई.

पीड़िता के पिता रिक्शा चालक हैं और उसकी मां का निधन हो गया है. 2018 में जब वह अपने काम पर गए थे उस दौरान युवती घर में अकेली थी. इसी का फायदा उठाते हुए उसके साथ दुष्कर्म किया गया. पीड़िता बेहद गरीब है और उसके घर ना तो बिजली की व्यवस्था है और ना ही गैस की. गर्भवती हो जाने पर उसने हाई कोर्ट में रिट याचिका दाखिल कर करने के लिए मेडिकल बोर्ड गठित करने का आग्रह किया है. ताकि सुरक्षित गर्भपात हो सके.

रांची: 19 वर्षीय नेत्रहीन रेप पीड़ित युवती का गर्भपात कराने की मांग मामले में दायर याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई (Jharkhand hc serious in rape victim pregnant case). हाई कोर्ट ने मामले में सभी पक्षों को सुनने के उपरांत रिम्स निदेशक को मेडिकल बोर्ड गठित करने का निर्देश दिए हैं. बोर्ड को जांच कर 12 सितंबर तक सीलबंद रिपोर्ट अदालत में पेश करने को कहा गया है. राज्य सरकार को युवती को शेल्टर होम जैसी जगह जहां उसकी देखभाल हो सके, वहां शिफ्ट कराने की व्यवस्था करने के भी निर्देश दिए गए हैं.

झारखंड हाई कोर्ट ने रिम्स निदेशक को निर्देश दिया है कि मेडिकल बोर्ड गठित कर यह सुनिश्चित किया जाए कि युवती का गर्भपात कराना सुरक्षित है या नहीं. कोर्ट ने युवती की मेडिकल रिपोर्ट सील सील बंद लिफाफे में कोर्ट में 12 सितंबर को प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 13 सितंबर निर्धारित की गई है. हाई कोर्ट के न्यायाधीश एसके द्विवेदी की कोर्ट ने पीड़िता की क्रिमिनल रिट याचिका पर सुनवाई की. प्रार्थी के अधिवक्ता के कोर्ट से मामले को लेकर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने की मांग के बाद हाई कोर्ट ने यह निर्देश जारी किया.

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पिछले दिनों पीड़िता की मेडिकल जांच कराई गई थी, जिसमें पीड़िता के 28 सप्ताह का गर्भ होने की बात बताई गई. पीड़िता नगड़ी थाना क्षेत्र में रहती है. जब वह नाबालिग थी तो वर्ष 2018 में पहली बार उसके साथ रेप की वारदात हुई थी. इससे संबंधित पोक्सो एक्ट के तहत भी मामला निचली अदालत में चल रहा है. दूसरी बार पीड़िता के साथ फिर से रेप की घटना हुई, इसके बाद अभी वह 28 सप्ताह की गर्भवती बताई जा रही है. पीड़िता ने अपनी आर्थिक स्थिति खराब होने का हवाना देते हुए कोर्ट से गर्भपात कराने की गुहार लगाई है. इस संबंध में प्रार्थी के अधिवक्ता ने बताया कि हाईकोर्ट में मामले से संबंधित याचिका दाखिल करने के पूर्व उन्होंने पीड़िता के इलाज के लिए जिले के उपायुक्त और डालसा के समक्ष भी आवेदन दिया था, लेकिन इस संबंध में कोई सुनवाई नहीं हुई.

पीड़िता के पिता रिक्शा चालक हैं और उसकी मां का निधन हो गया है. 2018 में जब वह अपने काम पर गए थे उस दौरान युवती घर में अकेली थी. इसी का फायदा उठाते हुए उसके साथ दुष्कर्म किया गया. पीड़िता बेहद गरीब है और उसके घर ना तो बिजली की व्यवस्था है और ना ही गैस की. गर्भवती हो जाने पर उसने हाई कोर्ट में रिट याचिका दाखिल कर करने के लिए मेडिकल बोर्ड गठित करने का आग्रह किया है. ताकि सुरक्षित गर्भपात हो सके.

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