रांची: नई शराब नीति के तहत पहले 4 दिनों के संचालन में राज्य को उत्पाद कर के रूप में 7.05 करोड़ रुपए और उत्पाद परिवहन कर के रूप में 12.02 करोड़ रुपए यानी कुल 19.07 करोड़ रुपए राजस्व के रूप में प्राप्त हो चुके हैं. 3 मई को 15 जिलों में खुदरा उत्पाद दुकानों के संचालन से जेएसबीसीएल को शराब बिक्री से लगभग 2 करोड़ की राशि प्राप्त हुई है.
नई उत्पाद नीति के तहत राज्य में 1 मई से शुरू हुई शराब की बिक्री से 4 दिनों के अंदर 19.07 करोड़ रुपये की कमाई राज्य सरकार ने की है. उत्पाद विभाग ने रांची सहित राज्य के 15 जिलों में नई उत्पाद नीति के तहत शराब बिक्री शुरू होने का दावा किया है, जिसके तहत बीयर के 70 और विदेशी शराब के 126 ब्रांडों के बिक्री मूल्य में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है. उत्पाद आयुक्त ने बताया है कि राज्य में नए उत्पाद नीति के तहत जेएसबीसीएल के गोदामों में थोक बिक्री लाइसेंसधारियों द्वारा शराब की आपूर्ति 1 मई से की जा रही है. खुदरा उत्पाद दुकानों का संचालन राज्य के 15 जिलों में 3 मई से शुरू हो चुका है और चार मई यानी बुधवार से रांची जिले के खुदरा उत्पाद दुकानों का भी संचालन शुरू कर दिया गया है.
उत्पाद आयुक्त ने कहा की बीयर और विदेशी शराब के 62 ब्रांडों के बिक्री मूल्य में 10 रुपए से 1000 रुपए तक की कमी हुई है, साथ ही बीयर और विदेशी शराब के कुल 68 ब्रांडों के बिक्री मूल्य में 10 रुपया से 100 रुपया तक की वृद्धि की गई है. शराब ही ऐसा सेक्टर है जहां से राज्य सरकार को भारी भरकम राशि हर वर्ष राजस्व के रुप में प्राप्त होता है. इसलिए सरकार ने नई उत्पाद नीति के तहत शराब बेचकर 3000 करोड़ कमाने का लक्ष्य तय किया है.
वर्तमान समय में झारखंड में शराब पर 75 फीसदी टैक्स है जो सरकार के खाते में जमा होता है. इस तरह से सरकार को भी हर वर्ष अच्छी खासी कमाई टैक्स के रूप में प्राप्त होती रही है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कोरोना लॉकडाउन के बाबजूद 2020-21 में उत्पाद विभाग ने शराब बेचकर करीब 1800 करोड़ कमाया था. ऐसे में सरकार को उम्मीद है कि नई उत्पाद नीति से जहां राजस्व 3000 करोड़ तक आयेगा वहीं शराब की अवैध बिक्री और वितरण पर रोक लग सकेगी.