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झारखंड कैडर के IAS अमित खरे नियुक्त किए गए प्रधानमंत्री के सलाहकार, नई शिक्षा नीति बनाने में रही है अहम भूमिका

झारखंड कैडर के आईएएस अधिकारी अमित खरे को पीएम मोदी का सलाहकार नियुक्त किया गया है. अमित खरे एक तेज-तर्रार और बेहद ईमानदार अधिकारी माने जाते हैं. चारा घोटाला मामले में चाईबासा उपायुक्त रहते हुए उन्होंने पहला एफआईआर दर्ज कराया था. इसके अलावा नई शिक्षा नीति बनाने में भी इनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है.

jharkhand cadre ias amit khare appointed advisor to prime minister in prime minister office
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Published : Oct 12, 2021, 4:39 PM IST

Updated : Oct 12, 2021, 4:54 PM IST

रांची: झारखंड कैडर के आईएएस अधिकारी अमित खरे को प्रधानमंत्री का सलाहकार बनाया गया है. अमित खरे 1985 बैच के आईएएस अधिकारी हैं और 30 सितंबर को ही उच्च शिक्षा सचिव के पद से रिटायर हुए हैं. IAS अधिकारी अमित खरे ने दिसंबर 2019 में शिक्षा मंत्रालय के सचिव का पदभार ग्रहण किया था.

केंद्रीय उच्च शिक्षा सचिव रह चुके अमित खरे भारतीय प्रशासनिक सेवा में 1985 बैच के झारखंड कैडर के अधिकारी रहे हैं. उन्होंने अपने छत्तीस साल के शानदार कैरियर के दौरान भारत सरकार, झारखंड और बिहार सरकार में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाई. उनके नेतृत्व में करीब 34 सालों के बाद भारत में नई शिक्षा नीति 2020 लागू की गई. विशेषज्ञों ने इस नीति को भारत को विश्वगुरु बनाने का मास्टर प्लान बताया है. अपने कार्यकाल में उन्होंने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने कई क्रांतिकारी बदलाव किए.

ये भी पढ़ें: मोदी सरकार के बड़े फैसलों में 'की-रोल' में झारखंड के कई IAS अधिकारी, 370 और शिक्षा नीति से रहा सीधा जुड़ाव

अमित खरे ने आईआईटी, आईआईएम जैसे राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों को विश्वस्तरीय बनाने पर जोर दिया. तकनीकी संस्थानों में इनोवेशन को बढ़ावा दिया. जिसका फायदा देश की जनता को कोविड काल में देखने को मिला. अमित खरे अगस्त 2021 तक केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण सचिव के अतिरिक्त प्रभार में भी रहे. अपने कार्यकाल में उन्होंने डीडी झारखंड सहित एक दर्जन सैटेलाइट चैनल लांच किया. वहीं, दूरदर्शन और आकाशवाणी को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले लिए. इनके आधारभूत संरचना को मजबूत बनाने की योजना को अमली जामा पहनाया.

वहीं, डिजीटल मीडिया पॉलिसी सहित प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की मजबूती के लिए कई कदम उठाए. ओटीटी प्लेटफार्म को लेकर पालिसी को अंतिम रूप दिया. अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव गोवा को वैश्विक पहचान दिलाने की कोशिश की और राष्ट्रपति उपराष्ट्रपति के भाषणों का संकलन सहित कई महत्वपूर्ण विषयों पर पुस्तकों का प्रकाशन कराया. खरे झारखंड के पहले वाणिज्यकर आयुक्त थे. शिक्षा, वित्त और राज्यपाल के प्रधान सचिव से लेकर विकास आयुक्त का पद भी संभाला.

चाईबासा के उपायुक्त रहते हुए डायन हत्या के खिलाफ सामाजिक जागरुकता चलाया. जिससे राष्ट्रीय स्तर पर डायन हत्या के खिलाफ विमर्श शुरु हुआ. पटना, दरभंगा के जिलाधिकारी रहे और बिहार में मेडिकल और इंजीनियरिंग की परीक्षा कंबाइंड करा कर मेधा घोटाला को रोका. अमित खरे को राज्य की जनता एक ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी के रूप में याद करती है. उन्हें चारा घोटाला का उद्भेदनकर्ता माना जाता है. चाईबासा उपायुक्त रहते हुए उन्होंने चारा घोटाला में पहला एफआईआर दर्ज कराया. जिसके बाद कई हाईप्रोफाइल जेल गए और उन्हें सजा मिली. इस वजह से उन्हें कुछ दिनों तक तत्कालीन शासन का कोपभाजन भी बनना पड़ा था, लेकिन वे अपने कर्तव्य पथ पर अडिग रहें. उनकी पत्नी निधि खरे फिलहाल केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय में अपर सचिव के पद पर तैनात हैं.

रांची: झारखंड कैडर के आईएएस अधिकारी अमित खरे को प्रधानमंत्री का सलाहकार बनाया गया है. अमित खरे 1985 बैच के आईएएस अधिकारी हैं और 30 सितंबर को ही उच्च शिक्षा सचिव के पद से रिटायर हुए हैं. IAS अधिकारी अमित खरे ने दिसंबर 2019 में शिक्षा मंत्रालय के सचिव का पदभार ग्रहण किया था.

केंद्रीय उच्च शिक्षा सचिव रह चुके अमित खरे भारतीय प्रशासनिक सेवा में 1985 बैच के झारखंड कैडर के अधिकारी रहे हैं. उन्होंने अपने छत्तीस साल के शानदार कैरियर के दौरान भारत सरकार, झारखंड और बिहार सरकार में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाई. उनके नेतृत्व में करीब 34 सालों के बाद भारत में नई शिक्षा नीति 2020 लागू की गई. विशेषज्ञों ने इस नीति को भारत को विश्वगुरु बनाने का मास्टर प्लान बताया है. अपने कार्यकाल में उन्होंने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने कई क्रांतिकारी बदलाव किए.

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अमित खरे ने आईआईटी, आईआईएम जैसे राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों को विश्वस्तरीय बनाने पर जोर दिया. तकनीकी संस्थानों में इनोवेशन को बढ़ावा दिया. जिसका फायदा देश की जनता को कोविड काल में देखने को मिला. अमित खरे अगस्त 2021 तक केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण सचिव के अतिरिक्त प्रभार में भी रहे. अपने कार्यकाल में उन्होंने डीडी झारखंड सहित एक दर्जन सैटेलाइट चैनल लांच किया. वहीं, दूरदर्शन और आकाशवाणी को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले लिए. इनके आधारभूत संरचना को मजबूत बनाने की योजना को अमली जामा पहनाया.

वहीं, डिजीटल मीडिया पॉलिसी सहित प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की मजबूती के लिए कई कदम उठाए. ओटीटी प्लेटफार्म को लेकर पालिसी को अंतिम रूप दिया. अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव गोवा को वैश्विक पहचान दिलाने की कोशिश की और राष्ट्रपति उपराष्ट्रपति के भाषणों का संकलन सहित कई महत्वपूर्ण विषयों पर पुस्तकों का प्रकाशन कराया. खरे झारखंड के पहले वाणिज्यकर आयुक्त थे. शिक्षा, वित्त और राज्यपाल के प्रधान सचिव से लेकर विकास आयुक्त का पद भी संभाला.

चाईबासा के उपायुक्त रहते हुए डायन हत्या के खिलाफ सामाजिक जागरुकता चलाया. जिससे राष्ट्रीय स्तर पर डायन हत्या के खिलाफ विमर्श शुरु हुआ. पटना, दरभंगा के जिलाधिकारी रहे और बिहार में मेडिकल और इंजीनियरिंग की परीक्षा कंबाइंड करा कर मेधा घोटाला को रोका. अमित खरे को राज्य की जनता एक ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी के रूप में याद करती है. उन्हें चारा घोटाला का उद्भेदनकर्ता माना जाता है. चाईबासा उपायुक्त रहते हुए उन्होंने चारा घोटाला में पहला एफआईआर दर्ज कराया. जिसके बाद कई हाईप्रोफाइल जेल गए और उन्हें सजा मिली. इस वजह से उन्हें कुछ दिनों तक तत्कालीन शासन का कोपभाजन भी बनना पड़ा था, लेकिन वे अपने कर्तव्य पथ पर अडिग रहें. उनकी पत्नी निधि खरे फिलहाल केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय में अपर सचिव के पद पर तैनात हैं.

Last Updated : Oct 12, 2021, 4:54 PM IST
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