रांचीः बाबूलाल मरांडी पर स्पीकर कोर्ट में चल रहे दल बदल मामले में बीजेपी ने सरकार पर जानबूझकर इसे लटकाने का आरोप लगाया है. भाजपा प्रदेश कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि झामुमो और सत्ता के शीर्ष में बैठे राज्य के तमाम हुक्मरान बाबूलाल मरांडी से भयभीत रहते हैं.
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पार्टी प्रवक्ता प्रतुल ने कहा कि भय का आलम यह है कि भारत निर्वाचन आयोग के द्वारा मान्यता दिए जाने के बावजूद बाबूलाल मरांडी को आज तक स्पीकर ने भाजपा विधायक के रूप में मान्यता नहीं दी. राज्यसभा चुनाव में भारत निर्वाचन आयोग के द्वारा भेजी गयी लिस्ट के आलोक में बाबूलाल मरांडी ने भाजपा विधायक के नाते भाजपा के उम्मीदवार के पक्ष में मतदान किया था. लेकिन राज्य सरकार को बाबूलाल का इतना डर सताता है कि ये इन्हें भाजपा विधायक और प्रतिपक्ष के नेता बनाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर साधा निशानाः प्रतुल शाहदेव ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के द्वारा दिए गए बयान का हवाला देते हुए कहा कि 17 जुलाई 2020 को सीएम ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि भाजपा विपक्ष के नेता पद के लिए तरस जाएगी. समय का चक्र देखिए कि आज मुख्यमंत्री खुद सत्ता पक्ष के नेता के रूप में अपनी कुर्सी को बचाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है. आज स्पीकर के न्यायाधिकरण से भी कमोबेश वही होता दिख रहा है.
प्रतुल शाहदेव ने कहा स्पीकर ने अपने दायरे से बाहर जाकर बाबूलाल मरांडी के सदस्य मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए इस मुद्दे पर नोटिस जारी किया था, जिसे झारखंड हाई कोर्ट में केस संख्या Wpc3687/2020 के जरिए निरस्त कर दिया था. इसके बाद सत्ताधारी दल के कुछ विधायकों के द्वारा आनन-फानन में बाबूलाल के खिलाफ स्पीकर के न्यायाधिकरण में मामला दर्ज किया गया. यह मामले भी समय सीमा पूरा होने के बाद दर्ज कराया गया था. भाजपा विधायक समरी लाल एवं अन्य विधायकों ने भी प्रदीप यादव और बंधु तिर्की पर दल बदल कानून के तहत मामला दर्ज किया था लेकिन उस पर आगे क्या कार्रवाई हुई किसी को जानकारी नहीं.
आगे उन्होंने कहा कि अब नैसर्गिक न्याय के खिलाफ सिर्फ बाबूलाल मरांडी के मामले में सुनवाई की गई है जबकि लगभग सामान आरोप बंधु तिर्की और प्रदीप यादव पर भी लगे थे. जाहिर है कि राज्य सरकार के आदेश पर संबंधित संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति हड़बड़ी में दिख रहे हैं. प्रतुल शाहदेव ने कहा कि स्पीकर के न्यायाधिकरण में अगर बाबूलाल मरांडी के मामले की सुनवाई हो रही है तो फिर प्रदीप यादव और बंधु तिर्की के मामले क्यों आंखें बंद रखी गयी है.