रांचीः झारखंड में सक्रिय उग्रवादियों और संगठित गिरोहों के हथियार नेटवर्क को खत्म करने में लगे झारखंड एटीएस की जांच का दायरा जैसे-जैसे बढ़ेगा, वैसे-वैसे कई चौंकाने वाले खुलासे होंगे. सीआरपीएफ और बीएसएफ के कुछ जवानों की गिरफ्तारी के बाद एटीएस के जांच का दायरा वैसे ही बहुत व्यापक हो गया है. पिछले एक महीने में एटीएस ने हथियार तस्करी में शामिल 9 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें से तीन का संबंध बीएसएफ और सीआरपीएफ से रहे हैं.
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बीएसएफ सीआरपीएफ को रिपोर्ट भेजेगी झारखंड पुलिस
हथियार तस्करी में बीएसएफ और सीआरपीएफ जवानों के शामिल होने के खुलासे के बाद झारखंड पुलिस के तरफ से एक डिटेल रिपोर्ट भी तैयार की जा रही है. इस रिपोर्ट में एटीएस की जांच में आए सभी तथ्यों को शामिल किया किया जा रहा, जो सीआरपीएफ और बीएसएफ दोनों के आला अधिकारियों को भेजा जाएगा ताकि इस रैकेट में अगर कोई अधिकारी या जवान शामिल है तो उसे भी चिन्हित किया जा सके.
हथियार तस्करों के लिंक सीआरपीएफ और बीएसएफ में कार्यरत कुछ जवानों के साथ हैं. इसका सबसे पहले खुलासा सीआरपीएफ के भगोड़े जवान अविनाश की गिरफ्तारी के बाद हुआ था. झारखंड एटीएस ने 14 नवंबर को सीआरपीएफ के 182 बटालियन के जवान अविनाश कुमार को गिरफ्तार किया था. अविनाश की निशानेदही पर हथियार की सप्लाई करने वाले ऋषि कुमार, पंकज कुमार सिंह को एटीएस ने दबोचा था. तीनों की गिरफ्तारी के बाद एटीएस ने झारखंड, बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और पंजाब में अलग अलग टीम बनाकर जांच की. इस दौरान 16-17 नवंबर को एटीएस ने बिहार के सारण से बीएसएफ से स्वैच्छिक सेवानिवृति ले चुके अरुण कुमार सिंह को 909 राउंड कारतूस के साथ गिरफ्तार किया. अरुण को रिमांड पर लेकर पूछताछ की गई तो उसने कार्तिक के विषय में जानकारी दी. इसके बाद कार्तिक को पंजाब के बीएसएफ कैंप से ही छापेमारी कर गिरफ्तार किया. कई सालों से BSF का कोत प्रभारी रहा कार्तिक ही फोर्स को आवंटित होने वाली गोलियों की सप्लाई उग्रवादियों और अपराधियों को करता था. एटीएस ने इस मामले में पंजाब के फिरोजपुर से बीएसएफ 116 बटालियन के टीएचक्यू कैंपस में छापेमारी की, जहां से आठ हजार से ज्यादा कारतूस बरामद किया गया.
मास्टरमाइंड तक पहुंचना बाकी
झारखंड एटीएस पूरे मामले की तफ्तीश कर रही है. दरअसल एटीएस यह भली-भांति जानती है कि इतने बड़े हथियार नेटवर्क को चलाना सिर्फ दो या तीन लोगों का काम नहीं है. सेंट्रल फोर्सेज के कारतूस इतने बड़े पैमाने पर गायब कर देना भी बेहद हैरान कर देने वाला है. एटीएस को तीन-चार ऐसे लोगों की तलाश है जो मास्टरमाइंड की तरह इस अंतरराज्यीय गिरोह को ऑपरेट कर रहे हैं. एटीएस को इस मामले में लिंक भी मिले हैं. जिस पर एक विशेष टीम काम कर रही है. पूरे मामले में गिरफ्तार बीएसएफ के ही एक पूर्व हवलदार अरूण कुमार सिंह की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है. ऐसे में एटीएस उसे रिमांड पर लेकर पूछताछ करेगी. एटीएस के अधिकारियों के मुताबिक, गिरोह की सक्रियता कई राज्यों में है. ऐसे में संबंधित राज्यों की पुलिस के साथ मिलकर एटीएस काम कर रही है.
झारखंड, बिहार और यूपी के नामचीन गैंगस्टरों तक पहुचेगी जांच की आंच
झारखंड एटीएस की पड़ताल में कई बड़े खुलासे हो सकते हैं. एटीएस की पड़ताल से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक, BSF के कोत से निकाली गई गोलियों की सप्लाई यूपी, बिहार, झारखंड के तमाम बड़े आपराधिक गिरोहों तक हुई है. बिहार और यूपी के कई बाहुबलियों ने भी बीते पांच सालों में कई दफे इन हथियार तस्करों के गिरोह से संपर्क कर हथियार और गोलियों की खरीद की है. राज्य पुलिस के आला अधिकारियों की मानें तो हथियार तस्करों का राजनीतिक कनेक्शन भी आया है. जिसकी पड़ताल काफी सूक्ष्मता से की जा रही है. झारखंड में संगठित आपराधिक गिरोह अमन साव, अमन श्रीवास्तव, सुजीत सिन्हा, डब्लू सिंह समेत अन्य के द्वारा लगातार इस गैंग से गोली और हथियार की खरीद करते थे.
कारतूस फोर्स के, हथियार का निर्माण एमपी बार्डर पर
एटीएस की जांच में यह बात साबित हो चुकी है कि जितने भी कारतूस बरामद किए गए हैं, वह सभी सेंट्रल फोर्सेज के हैं. वहीं हथियारों के निर्माण का एक नया लिंक भी अब सामने आ गया है. पहले बिहार के मुंगेर को लेकर अक्सर चर्चाएं हुआ करती थी, लेकिन अब महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के बॉर्डर पर हथियार तस्करों ने अपने हथियार की फैक्ट्री लगा रखी है. जिसमें एक से बढ़कर एक उम्दा हथियार तैयार किए जा रहे हैं. झारखंड एटीएस की टीम ने मध्य प्रदेश के बुराहनपुर और महाराष्ट्र के बुलढाणा में छापेमारी की. आईजी अभियान अमोल होमकर के अनुसार मध्य प्रदेश- महाराष्ट्र सीमा पर आपराधिक गैंग के द्वारा गन फैक्ट्री चलायी जा रही थी. उसी फैक्ट्री में बने 14 सेमी ऑटोमेटिक पिस्टल और 21 मैगजीन एटीएस ने बरामद किया था.