ETV Bharat / city

झारखंड में जनता दल यूनाइटेड अपने अस्तित्व के लिए कर रहा संघर्ष, फिर भी गिर रहा जनाधार - बीजेपी प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा

झारखंड में जनता दल यूनाइटेड अपने अस्तित्व को लेकर संघर्ष कर रहा है. झारखंड राज्य गठन के समय विधानसभा में जदयू के 6 विधायक थे. लेकिन वर्तमान में एक भी विधायक नहीं है. इसके साथ ही दिन प्रतिदिन जनाधार भी गिर रहा है.

Janata Dal United in Jharkhand
झारखंड में जनता दल यूनाइटेड अपने अस्तित्व के लिए कर रही संघर्ष
author img

By

Published : May 12, 2022, 5:13 PM IST

Updated : May 12, 2022, 6:31 PM IST

रांची: देश के क्षेत्रीय पार्टियों में एक जनता दल यूनाइटेड (जदयू), जो बिहार में लंबे समय से सरकार चला रहा है. लेकिन पड़ोसी राज्य झारखंड में आज अपने अस्तित्व के लिए जद्दोजहद कर रहा है. झारखंड में जदयू के इतिहास की बात करें तो राज्य स्थापना के समय कई बड़े नेता थे और विधानसभा में छह विधायक हुआ करते थे. लेकिन आज एक भी विधायक नहीं है.

यह भी पढ़ेंःझारखंड जदयू ने बनाई नई कमेटी, पंचायत चुनाव में दिखाएगी ताकत


पिछले दो चुनावों से जेडीयू का झारखंड में खाता तक नहीं खुला. हालांकि, जदयू को झारखंड में मजबूत करने को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह लगातार मेहनत कर रहे हैं. संगठन मजबूत करने के साथ साथ जनाधार बढ़ाने को लेकर ही पिछले कुछ वर्षों में कई प्रदेश अध्यक्ष बदले गए. लेकिन पार्टी के जनाधार में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है.

देखें पूरी खबर



झारखंड के कई नामचीन चेहरे जेडीयू से जुड़े थे. इसमें राज्य के पहले विधानसभा अध्यक्ष इंदर सिंह नामधारी के साथ साथ जलेश्वर महतो, रमेश सिंह मुंडा, बैद्यनाथ राम, रामचंद्र केसरी, सुधा चौधरी, राजा पीटर आदि नाम शामिल हैं. लेकिन आज कई बड़े नेताओं ने पार्टी छोड़ दी हैं.



जदयू की गिरते जनाधार के संबंध में मुख्य प्रवक्ता श्रवण कुमार कहते हैं कि पिछले कुछ वर्षों में पार्टी का जनाधार गिरा है. इसकी सबसे बड़ी वजह बाहरी लोगों को पार्टी में शामिल करना है. उन्होंने कहा कि पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सालखन मुर्मू को पार्टी की जिम्मेदारी दी गई थी. लेकिन उन्होंने भी सिर्फ व्यक्तिगत लाभ देखा.

यह भी पढ़ेंःझारखंड में नीतीश की जेडीयू के सामने चुनौतियां हैं बड़ी, 2022 में जनाधार बढ़ाने पर रहेगा जोर

साल 2005 के विधानसभा चुनाव में जदयू ने बीजेपी के साथ मिलकर 19 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें जेडीयू के 6 विधायक जीते थे. साल 2009 में जदयू ने चार सीट गवां दी और सिर्फ 2 सीटों पर ही जीत हासिल की और पार्टी का वोट प्रतिशत भी काफी गिर गया था. वहीं साल 2014 में जब बीजेपी से अलग होकर जदयू ने चुनाव लड़ा तो पार्टी की स्थिति बद से बदतर हो गई. जदयू के महासचिव भगवान सिंह बताते हैं कि नये प्रदेश अध्यक्ष खीरू महतो के आने के बाद संगठन को मजबूत किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि आने वाले चुनाव में जदयू फिर मजबूती के साथ जनता के बीच आएगी.

जदयू नेता श्रवण कुमार और भगवान सिंह ने बताया कि बीजेपी का जैसा तालमेल बिहार में है, वैसा तालमेल झारखंड में नहीं रहा है. उन्होंने कहा कि झारझंड बीजेपी हमेशा जेडीयू का जनाधार कमजोर करने में जुटी रहती है. हालांकि, बीजेपी प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा कहते हैं कि जनता दल यूनाइटेड अपने अंदरूनी समस्या की वजह से जनता के बीच अपनी पहुंच नहीं बना पाई है. बीजेपी नेता शिवपूजन पाठक ने कहा कि कोई जन नेता और कार्यकर्ता बीजेपी में शामिल होना चाहते हैं तो बीजेपी उनका स्वागत करती है.

रांची: देश के क्षेत्रीय पार्टियों में एक जनता दल यूनाइटेड (जदयू), जो बिहार में लंबे समय से सरकार चला रहा है. लेकिन पड़ोसी राज्य झारखंड में आज अपने अस्तित्व के लिए जद्दोजहद कर रहा है. झारखंड में जदयू के इतिहास की बात करें तो राज्य स्थापना के समय कई बड़े नेता थे और विधानसभा में छह विधायक हुआ करते थे. लेकिन आज एक भी विधायक नहीं है.

यह भी पढ़ेंःझारखंड जदयू ने बनाई नई कमेटी, पंचायत चुनाव में दिखाएगी ताकत


पिछले दो चुनावों से जेडीयू का झारखंड में खाता तक नहीं खुला. हालांकि, जदयू को झारखंड में मजबूत करने को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह लगातार मेहनत कर रहे हैं. संगठन मजबूत करने के साथ साथ जनाधार बढ़ाने को लेकर ही पिछले कुछ वर्षों में कई प्रदेश अध्यक्ष बदले गए. लेकिन पार्टी के जनाधार में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है.

देखें पूरी खबर



झारखंड के कई नामचीन चेहरे जेडीयू से जुड़े थे. इसमें राज्य के पहले विधानसभा अध्यक्ष इंदर सिंह नामधारी के साथ साथ जलेश्वर महतो, रमेश सिंह मुंडा, बैद्यनाथ राम, रामचंद्र केसरी, सुधा चौधरी, राजा पीटर आदि नाम शामिल हैं. लेकिन आज कई बड़े नेताओं ने पार्टी छोड़ दी हैं.



जदयू की गिरते जनाधार के संबंध में मुख्य प्रवक्ता श्रवण कुमार कहते हैं कि पिछले कुछ वर्षों में पार्टी का जनाधार गिरा है. इसकी सबसे बड़ी वजह बाहरी लोगों को पार्टी में शामिल करना है. उन्होंने कहा कि पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सालखन मुर्मू को पार्टी की जिम्मेदारी दी गई थी. लेकिन उन्होंने भी सिर्फ व्यक्तिगत लाभ देखा.

यह भी पढ़ेंःझारखंड में नीतीश की जेडीयू के सामने चुनौतियां हैं बड़ी, 2022 में जनाधार बढ़ाने पर रहेगा जोर

साल 2005 के विधानसभा चुनाव में जदयू ने बीजेपी के साथ मिलकर 19 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें जेडीयू के 6 विधायक जीते थे. साल 2009 में जदयू ने चार सीट गवां दी और सिर्फ 2 सीटों पर ही जीत हासिल की और पार्टी का वोट प्रतिशत भी काफी गिर गया था. वहीं साल 2014 में जब बीजेपी से अलग होकर जदयू ने चुनाव लड़ा तो पार्टी की स्थिति बद से बदतर हो गई. जदयू के महासचिव भगवान सिंह बताते हैं कि नये प्रदेश अध्यक्ष खीरू महतो के आने के बाद संगठन को मजबूत किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि आने वाले चुनाव में जदयू फिर मजबूती के साथ जनता के बीच आएगी.

जदयू नेता श्रवण कुमार और भगवान सिंह ने बताया कि बीजेपी का जैसा तालमेल बिहार में है, वैसा तालमेल झारखंड में नहीं रहा है. उन्होंने कहा कि झारझंड बीजेपी हमेशा जेडीयू का जनाधार कमजोर करने में जुटी रहती है. हालांकि, बीजेपी प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा कहते हैं कि जनता दल यूनाइटेड अपने अंदरूनी समस्या की वजह से जनता के बीच अपनी पहुंच नहीं बना पाई है. बीजेपी नेता शिवपूजन पाठक ने कहा कि कोई जन नेता और कार्यकर्ता बीजेपी में शामिल होना चाहते हैं तो बीजेपी उनका स्वागत करती है.

Last Updated : May 12, 2022, 6:31 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.