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जगुआर को मिला अत्याधुनिक तकनीक का ट्रूप ट्रैकर, अब नक्सल अभियान में होगी सहूलियत - झारखंड समाचार

झारखंड में अब नक्सल अभियान (Naxal Operation) के दौरान सुरक्षाबलों को और मजबूती मिलेगी. तकनीक के बल पर सुरक्षाबलों को नक्सल अभियान में मजबूती मिलेगी. झारखंड जगुआर को अब नए तकनीक का ट्रूप ट्रैकर (Troop Tracker) मिल गया है. इससे अब सुरक्षाबलों को अभियान में सहूलियत मिलेगी. बीते एक साल से झारखंड पुलिस का ट्रूप ट्रैकर खराब हो गया था, जिसके बाद अभियान में परेशानी हो रही थी.

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झारखंड जगुआर
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Published : Aug 12, 2021, 6:50 AM IST

Updated : Aug 12, 2021, 7:00 AM IST

रांची: झारखंड में नक्सल अभियान (Naxal Operation) के दौरान सुरक्षाबलों को ट्रूप ट्रैकर (Troop Tracker) नहीं होने से परेशानी उठानी पड़ रही थी, लेकिन अब झारखंड जगुआर को नए तकनीक का ट्रूप ट्रैकर मिल गया है. इससे अब सुरक्षाबलों को अभियान में सहूलियत मिलेगी. बीते एक साल से झारखंड पुलिस का ट्रूप ट्रैकर खराब हो गया था, जिसके बाद अभियान में परेशानी हो रही थी. झारखंड पुलिस के नक्सल अभियान से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक, नया ट्रूप ट्रैकर आकार में काफी छोटा है. ऐसे में इसे अभियान में साथ ले जाना आसान है. पहले जो ट्रूप ट्रैकर इस्तेमाल में होता था, वह बड़े आकार का था. अभियान के दौरान उसे पीठ पर लेकर जवान चलते थे.

इसे भी पढ़ें: पलामूः मारा गया कुख्यात नक्सली कमांडर रामसुंदर, बरामद हुए अत्याधुनिक हथियार



अधिक संख्या में खरीद भी होगी

राज्य में वर्तमान में एक ही कंपनी ने ट्रूप ट्रैकर की सप्लाई दी है. अभियान के लिए अधिक संख्या में अब ट्रूप ट्रैकर के खरीदने की योजना पुलिस बना रही है. जल्द ही खरीद के संबंध में प्रस्ताव सरकार के पास भेजा जाएगा. इसके बाद इसकी खरीद की जाएगी.



लोकेशन के लिए जरूरी है ट्रूप ट्रैकर

अभियान के दौरान जवानों के पास जीपीएस होता है, जिससे वह किसी भी दुरूह क्षेत्र या जंगल में किस जगह पर हैं और उन्हें किस दिशा में जाना है, इसकी जानकारी दी जाती है. जीपीएस ट्रैकर से जुड़ा होता है. इससे एक बार में कई जगह चल रहे अभियान की मॉनिटरिंग होती है. कहीं मुठभेड़ होने की स्थिति में भी ट्रैकर से तत्काल सूचना मिल जाती है. नक्सल अभियान के दौरान जंगल या दुरूह इलाकों में ट्रूप ट्रैकर की काफी अधिक महत्व है. अभियान के दौरान ट्रूप ट्रैकर जगुआर के वार रूम से जुड़ा रहता है. अभियान में शामिल सुरक्षाबलों के लोकेशन के साथ साथ ट्रूप ट्रैकर के जरिए किसी भी तरह के मुठभेड़ की सूचना रियल टाइम पर वार रूम तक पहुंचाई जा सकती है.

इसे भी पढ़ें: जानिए झारखंड पुलिस क्यों चला रही है मिशन आकाश



हाल के दिनों में बढ़ी नक्सली गतिविधि


हाल के दिनों में नक्सली संगठन भाकपा माओवादी, पीएलएफआई और टीपीसी की गतिविधियों में तेजी आई है. लेवी के लिए वारदात की घटनाओं को भी नक्सली संगठन ने अंजाम दिया है. वहीं गुमला, लातेहार, लोहरदगा, चाईबासा में अभियान में भी तेजी आई है. झारखंड में नक्सली प्रभाव वाले इलाकों में सुरक्षाबलों पर खतरा बढ़ा है. हाल के दिनों में आईईडी, डायरेक्शनल बम समेत नई तकनीकों के इस्तेमाल ने नक्सलियों को मजबूत किया है. सीधे मुकाबले के बजाय नक्सली आईईडी के जरिए पुलिस को ज्यादा परेशान कर रहे हैं.

मार्च में जगुआर के तीन जवान शहीद

नक्सलियों ने अपने प्रभाव वाले इलाकों की घेराबंदी इस तरह की है कि उस इलाके में पुलिस पैदल पगडंडियों के सहारे भी पहुंचे तो उसे टारगेट किया जा सके. बीते आठ महीने में ही चाईबासा में लगभग दो कई बार पुलिसबलों को निशाना बनाया गया. मार्च महीने में लांजी में जगुआर के तीन कर्मी शहीद भी हुए, लेकिन पुलिस ने अधिकांश बार नक्सलियों के द्वारा किए जाने वाले हमले की साजिश को विफल किया.

रांची: झारखंड में नक्सल अभियान (Naxal Operation) के दौरान सुरक्षाबलों को ट्रूप ट्रैकर (Troop Tracker) नहीं होने से परेशानी उठानी पड़ रही थी, लेकिन अब झारखंड जगुआर को नए तकनीक का ट्रूप ट्रैकर मिल गया है. इससे अब सुरक्षाबलों को अभियान में सहूलियत मिलेगी. बीते एक साल से झारखंड पुलिस का ट्रूप ट्रैकर खराब हो गया था, जिसके बाद अभियान में परेशानी हो रही थी. झारखंड पुलिस के नक्सल अभियान से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक, नया ट्रूप ट्रैकर आकार में काफी छोटा है. ऐसे में इसे अभियान में साथ ले जाना आसान है. पहले जो ट्रूप ट्रैकर इस्तेमाल में होता था, वह बड़े आकार का था. अभियान के दौरान उसे पीठ पर लेकर जवान चलते थे.

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अधिक संख्या में खरीद भी होगी

राज्य में वर्तमान में एक ही कंपनी ने ट्रूप ट्रैकर की सप्लाई दी है. अभियान के लिए अधिक संख्या में अब ट्रूप ट्रैकर के खरीदने की योजना पुलिस बना रही है. जल्द ही खरीद के संबंध में प्रस्ताव सरकार के पास भेजा जाएगा. इसके बाद इसकी खरीद की जाएगी.



लोकेशन के लिए जरूरी है ट्रूप ट्रैकर

अभियान के दौरान जवानों के पास जीपीएस होता है, जिससे वह किसी भी दुरूह क्षेत्र या जंगल में किस जगह पर हैं और उन्हें किस दिशा में जाना है, इसकी जानकारी दी जाती है. जीपीएस ट्रैकर से जुड़ा होता है. इससे एक बार में कई जगह चल रहे अभियान की मॉनिटरिंग होती है. कहीं मुठभेड़ होने की स्थिति में भी ट्रैकर से तत्काल सूचना मिल जाती है. नक्सल अभियान के दौरान जंगल या दुरूह इलाकों में ट्रूप ट्रैकर की काफी अधिक महत्व है. अभियान के दौरान ट्रूप ट्रैकर जगुआर के वार रूम से जुड़ा रहता है. अभियान में शामिल सुरक्षाबलों के लोकेशन के साथ साथ ट्रूप ट्रैकर के जरिए किसी भी तरह के मुठभेड़ की सूचना रियल टाइम पर वार रूम तक पहुंचाई जा सकती है.

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हाल के दिनों में बढ़ी नक्सली गतिविधि


हाल के दिनों में नक्सली संगठन भाकपा माओवादी, पीएलएफआई और टीपीसी की गतिविधियों में तेजी आई है. लेवी के लिए वारदात की घटनाओं को भी नक्सली संगठन ने अंजाम दिया है. वहीं गुमला, लातेहार, लोहरदगा, चाईबासा में अभियान में भी तेजी आई है. झारखंड में नक्सली प्रभाव वाले इलाकों में सुरक्षाबलों पर खतरा बढ़ा है. हाल के दिनों में आईईडी, डायरेक्शनल बम समेत नई तकनीकों के इस्तेमाल ने नक्सलियों को मजबूत किया है. सीधे मुकाबले के बजाय नक्सली आईईडी के जरिए पुलिस को ज्यादा परेशान कर रहे हैं.

मार्च में जगुआर के तीन जवान शहीद

नक्सलियों ने अपने प्रभाव वाले इलाकों की घेराबंदी इस तरह की है कि उस इलाके में पुलिस पैदल पगडंडियों के सहारे भी पहुंचे तो उसे टारगेट किया जा सके. बीते आठ महीने में ही चाईबासा में लगभग दो कई बार पुलिसबलों को निशाना बनाया गया. मार्च महीने में लांजी में जगुआर के तीन कर्मी शहीद भी हुए, लेकिन पुलिस ने अधिकांश बार नक्सलियों के द्वारा किए जाने वाले हमले की साजिश को विफल किया.

Last Updated : Aug 12, 2021, 7:00 AM IST
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