रांचीः सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड की तर्ज पर अगर झारखंड अकादमिक काउंसिल की ओर से दसवीं की परीक्षाएं रद्द कर दी जाती है, तो जैक के लिए रिजल्ट तैयार करना एक बड़ी चुनौती होगी. जैक बोर्ड के स्कूलों और शिक्षा विभाग का इंफ्रास्ट्रक्चर इतना मजबूत नहीं है और ना ही सुविधाएं हैं कि विद्यार्थियों के पठन-पाठन का शत-प्रतिशत आकलन किया जा सके.
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रिजल्ट तैयार करने के लिए जैक के पास ऐसा कोई सिस्टम भी नहीं है. जिससे राज्य के सभी स्कूलों की वार्षिक रिपोर्ट वह तैयार कर सके. जबकि इसके उलट आईसीएसई ओर सीबीएसई बोर्ड ने कोरोना महामारी के दौरान भी ऑनलाइन क्लासेस लिया है. तमाम विद्यार्थियों तक स्टडी मैटेरियल पहुंचाई गई है. कई टेस्ट परीक्षाएं भी ऑनलाइन हो चुकी है. वर्ष 2020 में ही सीबीएसई और आईसीएसई पढ़ाने वाले निजी स्कूलों ने आने वाले समय को लेकर अपनी तैयारी कर ली थी.
लेकिन जैक बोर्ड पढ़ाने वाले सरकारी स्कूलों की हालत जस की तस है. ऑनलाइन पढ़ाई को लेकर सिर्फ और सिर्फ खानापूर्ति हुई. कोई तैयारी पहले से नहीं की गई. इसका नतीजा अब विद्यार्थियों को भुगतना पड़ सकता है. आंतरिक मूल्यांकन की कोई तैयारी नहीं है, इस स्थिति में बिना परीक्षा के रिजल्ट जारी करना झारखंड एकेडमिक काउंसिल के लिए काफी चुनौती भरा होगा.
इंटरनेट की पहुंच नहीं है ग्रामीण क्षेत्रों तक
इस मामले को लेकर ईटीवी भारत ने कुछ शिक्षकों से भी इस संबंध में जानने की कोशिश की. उनका साफ तौर पर कहना है कि सरकारी स्कूलों के अधिकतर विद्यार्थियों के पास एंड्रॉयड फोन नहीं है. ग्रामीण क्षेत्रों में तो इंटरनेट की कनेक्टिविटी भी काफी कम है. ऐसे में विद्यार्थियों का कोई दोष नहीं है. ऑनलाइन कक्षाओं से बच्चे वंचित हैं.
हालांकि जैक की मानें तो 9वीं के परिणाम और इंटरनल असेसमेंट के जरिए मूल्यांकन किया जा सकता है. लेकिन इसमें भी कई समस्याएं आ सकती है. मैट्रिक का परीक्षा परिणाम जारी करना जैक के लिए परेशानी भरा होगा. शत-प्रतिशत विद्यार्थियों के साथ न्याय भी नहीं किया जा सकेगा. ऐसे में शिक्षा विभाग और जैक को मैट्रिक की परीक्षा को लेकर विशेष तौर पर मंथन करने की जरूरत है.