रांची: बिहार और झारखंड के बॉर्डर पर स्थित एक ऐसा विधानसभा क्षेत्र जिसकी पहचान अभ्रक की चमक और रेडियो पर फरमाइसी गानों के शौकीन लोगों की वजह से होती रही है. राजनीति के लिहाज से कोडरमा विधानसभा क्षेत्र को आरजेडी का अभेद्य किला कहा जाता था. इस किले के प्रांगण में कमल फूल खिलाने का बीजेपी का सपना पूरा किया नीरा यादव ने. लगातार तीन बार से आरजेडी की विधायक रही अन्नपूर्णा देवी को बीजेपी की नीरा यादव ने 2014 में शिकस्त दी.
नीरा की इस उपलब्धि को पार्टी ने सम्मान भी दिया और पहली बार विधायक बनने वाली नीरा यादव, रघुवर सरकार में मंत्री बनायी गईं. अब सवाल है कि पांच वर्षों तक शिक्षा मंत्री के पद पर रहीं नीरा यादव ने अपने क्षेत्र के लिए क्या किया. इससे जुड़े कुछ सवालों को लेकर ईटीवी भारत ने मंत्री नीरा यादव से बात की. उन्होंने बेबाकी से अपनी बात रखी. उपलब्धियों को गिनायी साथ ही कमियों को भी स्वीकार किया.
मंत्री नीरा यादव ने कोडरमा को क्या दिया?
ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान मंत्री नीरा यादव ने कोडरमा में करमा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल को अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि बताई. उन्होंने कहा कि क्षेत्र के लोगों की इस मांग को पूरा करने में मुख्यमंत्री रघुवर दास ने पूरा सहयोग किया. नीरा यादव ने कहा कि उनके कार्यकाल में सड़क, बिजली और पेयजल जैसी बुनायादी जरूरतों को पूरा करने के लिए कई काम किए गए हैं. शिक्षा मंत्री होने के नाते कोडरमा के जेजे कॉलेज में पीजी की पढ़ाई शुरू करायी गई. हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि शिक्षकों की कमी के कारण छात्रों को परेशानी हो रही है, जिसे दूर करने की कोशिश जारी है.
अभ्रक से जुड़े ढिबरा खदानों को ऑक्शन कराने में भूमिका निभायी ताकि इस कारोबार से जुड़े व्यवसायी और मजदूरों की जिंदगी फिर से अभ्रक की तरह चमक सके, लेकिन कुछ कानूनी अड़चनों के कारण इसे गति नहीं मिल सकी. स्कूलों के मर्जर के सवाल पर उन्होंने कहा कि सिर्फ भवन बना देने से बच्चों को शिक्षा नहीं मिल सकती. इसलिए स्कूलों के मर्जर का फैसला लिया गया. जहां तक भौगोलिक रूप से दुरूह क्षेत्र की बात है तो वहां के बच्चों को होने वाली परेशानी से उनकी सरकार वाकिफ है. वैसे जगहों पर स्कूलों का मर्जर नहीं होगा.
नीरा जहां प्रिंसिपल थीं वह कॉलेज क्यों हो गया बंद
राजनीति में आने से पहले नीरा यादव, कोडरमा के एक निजी महिला कॉलेज में प्रिंसिपल थीं. उन्होंने स्वीकार किया कि जिस कॉलेज को उन्होंने संवारने की कोशिश की, वह उनके हटने के बाद नहीं चल सका. उन्होंने कहा कि किसी भी कॉलेज को सरकारी सहायता के लिए कुछ अहर्ता पूरी करनी होती है, लेकिन उनके हटने के साथ ही छात्रों की संख्या घटती चली गई. बुनियादी जरूरते कम होती गई. जिसकी वजह से वित्त लाभ नहीं मिलने से कॉलेज बंद हो गया. इसका उन्हें हमेशा अफसोस रहेगा.
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जिला परिषद से की राजनीति की शुरूआत
नीरा यादव को कोडरमा जिला परिषद चुनाव को अपनी राजनीति का प्लेटफॉर्म बनाया. मृदुभाषी नीरा यादव को जिला परिषद सदस्य का चुनाव जीतने में कोई खास अड़चन नहीं आई. यादव बहुल इस इलाके में अपने व्यवहार कुशलता और महिला कॉलेज में दिए उनके योगदान से राजनीति में पांव जमाने में मदद मिली. अब उनकी नजर विधानसभा चुनाव पर थी, लेकिन आरजेडी की अन्नपूर्णा देवी की राजनीतिक पैठ को तोड़ना उनके लिए आसान नहीं था. इस काम में उन्हें बीजेपी का समर्थन मिला. इसका फायदा नीरा यादव ने बखूबी उठाया और अप्रत्याशित तरीके से आरजेडी के गढ़ में सेंध लगा दी.
अधिकारियों को फटकार के लिए चर्चा में रहीं नीरा यादव
ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान मंत्री नीरा यादव ने स्वीकार किया कि कई ऐसे मौके आए जब उन्हें अधिकारियों को सख्त अंदाज में समझाना पड़ा. इसके लिए उनकी आलोचना भी हुई. इसके जवाब में उन्होंने कहा कि एक जनप्रतिनिधि के नाते क्षेत्र के लोगों की समस्याओं का समाधान करना उनका दायित्व है, लेकिन कुछ मौके पर अधिकारियों के टालटमटोल वाले रवैये और लापरवाही के कारण उन्हें सख्त होना पड़ा. हालांकि उन्होंने कहा कि उन्होंने कभी भी खुद को एक विधायक या मंत्री नहीं समझा. बकौल नीरा यादव, वह अपने क्षेत्र के लोगों के बीच हमेशा मौजूद रहती हैं.
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शालिनी गुप्ता की सक्रियता नीरा के लिए चुनौती
वर्तमान में कोडरमा जिला परिषद की अध्यक्ष शालिनी गुप्ता वहां की राजनीति में लगातार अपने पांव जमा रही हैं. बीजेपी में उनके आने से इस बात की चर्चा है कि इस विधानसभा चुनाव में वह नीरा यादव की प्रतिद्वंद्वी साबित हो सकती हैं. इसके जवाब में नीरा यादव ने कहा कि उनका सिर्फ एक मकसद है, अपने क्षेत्र के लोगों के लिए काम करना. पार्टी की संसदीय बोर्ड तय करती है कि किसे टिकट दिया जाए.