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पत्थलगड़ी को लेकर झारखंड में हुए कई कांड, जानें प्रमुख घटनाएं

पत्थलगड़ी को लेकर झारखंड कि सियासत पिछले कुछ सालों से गर्म है. पिछली सरकार में पत्थलगड़ी को सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच कई बार तरकार भी हुआ है. झारखंड में पत्थलगड़ी की आग एक बार फिर भड़क उठी है. पश्चिमी सिहभूम के चक्रधरपुर में पत्थलगड़ी के समर्थकों ने 7 लोगों की हत्या की खबर आ रही है.

Incident in Jharkhand regarding Pathalgadi
पत्थलगड़ी
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Published : Jan 21, 2020, 9:17 PM IST

रांची: झारखंड में पत्थलगड़ी की आग एक बार फिर भड़क उठी है. पश्चिमी सिहभूम के चक्रधरपुर में पत्थलगड़ी के समर्थकों ने 7 लोगों की हत्या कर दी है. वहीं खूंटी के 13 लोगों ने अपना सभी सरकारी दस्तावेज राष्ट्रपति को सौंप दिया है जो मामला राष्ट्रपति भवन से होते हुए झारखंड मंत्रालय पहुंच चुका है.

पत्थलगड़ी को लेकर झारखंड कि सियासत पिछले कुछ सालों से गर्म है. पिछली सरकार में पत्थलगड़ी को सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच कई बार तरकार भी हुआ है. सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन के विरोध में यह आंदोलन खूंटी से शुरू हुआ था. इस दौरान पत्थलगड़ी के समर्थकों ने कई जगहों पर सरकारी अधिकारियों समेत कई पुलिस कर्मियों को बंधक बना लिया था.

पत्थलगड़ी आदिवासियों की पुरानी परंपरा है. इसमें एक पत्थर लगाये जाते हैं जिसपर मौजा, सीमाना, ग्रामसभा और अधिकार की जानकारी रहती है. इसके अलावा वंशावली, पुरखे और मृत व्यक्ति की याद संजोए रखने के लिए भी पत्थलगड़ी की जाती है. कई जगहों पर अंग्रेजों-दुश्मनों के खिलाफ लड़कर शहीद होने वाले वीरों के सम्मान में भी पत्थलगड़ी की जाती रही है, लेकिन खतरे की बात यह है कि पिछले दिनों जो पत्थलगड़ी आंदोलन शुरू हुआ और जो पत्थर लगाए जा रहे हैं उन पर आदिवासियों के स्वशासन और नियंत्रण क्षेत्र में गैररूढ़ी प्रथा के व्यक्तियों के मौलिक अधिकार लागू नहीं होने की बात लिखी जाती है.

पत्‍थरों पर लिखा जाता कि पांचवीं अनुसूची क्षेत्रों में संसद या विधानमंडल का कोई भी सामान्य कानून लागू नहीं है. इसके साथ ही अनुच्छेद 15 (पारा 1-5) के तहत ऐसे लोग जिनके गांव में आने से यहां की सुशासन शक्ति भंग होने की संभावना है, तो उनका आना-जाना, घूमना-फिरना वर्जित है. पत्थलगड़ी में वोटर कार्ड और आधार कार्ड को आदिवासी विरोधी दस्तावेज बताया जाता है. यह उल्लेख किया जाता है कि आदिवासी लोग भारत देश के मालिक हैं, आम आदमी या नागरिक नहीं. संविधान के अनुच्छेद 13 (3) क के तहत रूढ़ि और प्रथा ही विधि का बल यानी संविधान की शक्ति है.

खूंटी कोचांग गैंग रेप
19 जून 2018 को कोचांग में नुक्कड़ नाटक करने गयी पांच युवतियों के साथ गैंगरेप किया गया था, जबकि, महिलाओं के साथ गये एक व्यक्ति के साथ भी अमानवीय व्यवहार किया गया था. इसको पूरे देश में बवाल हुआ था.

ये भी पढ़ें: झारखंड में पत्थलगड़ी का क्या है इतिहास, डिटेल में जानें पूरी जानकारी

करिया मुंडा के बॉडीगार्ड
खूंटी कोचांग मामले के बाद पूर्व सांसद करिया मुंडा के घर पर पत्थलगड़ी समर्थकों ने कथित रुप से हमला बोलकर उनके तीन अंगरक्षकों को हथियार समेत अगवा कर लिया. इस घटना से पहले खूंटी गैंगरेप के आरोपियों पर कार्रवाई करने गई पुलिस फोर्स से पत्थलगड़ी समर्थकों का जमकर टकराव हुआ. जिसके बाद उग्र पत्थलगड़ी समर्थकों ने बीजेपी सांसद के घर पर हमला कर दिया और अंगरक्षकों को हथियार समेत उठा लिया. इसके साथ ही चाईबासा में कई जगहों पर पत्थलगड़ी को लेकर विरोध होता रहा है, कई बार इसे लेकर दो पक्षों के बीच झड़प भी देखने को मिली थी.

रांची: झारखंड में पत्थलगड़ी की आग एक बार फिर भड़क उठी है. पश्चिमी सिहभूम के चक्रधरपुर में पत्थलगड़ी के समर्थकों ने 7 लोगों की हत्या कर दी है. वहीं खूंटी के 13 लोगों ने अपना सभी सरकारी दस्तावेज राष्ट्रपति को सौंप दिया है जो मामला राष्ट्रपति भवन से होते हुए झारखंड मंत्रालय पहुंच चुका है.

पत्थलगड़ी को लेकर झारखंड कि सियासत पिछले कुछ सालों से गर्म है. पिछली सरकार में पत्थलगड़ी को सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच कई बार तरकार भी हुआ है. सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन के विरोध में यह आंदोलन खूंटी से शुरू हुआ था. इस दौरान पत्थलगड़ी के समर्थकों ने कई जगहों पर सरकारी अधिकारियों समेत कई पुलिस कर्मियों को बंधक बना लिया था.

पत्थलगड़ी आदिवासियों की पुरानी परंपरा है. इसमें एक पत्थर लगाये जाते हैं जिसपर मौजा, सीमाना, ग्रामसभा और अधिकार की जानकारी रहती है. इसके अलावा वंशावली, पुरखे और मृत व्यक्ति की याद संजोए रखने के लिए भी पत्थलगड़ी की जाती है. कई जगहों पर अंग्रेजों-दुश्मनों के खिलाफ लड़कर शहीद होने वाले वीरों के सम्मान में भी पत्थलगड़ी की जाती रही है, लेकिन खतरे की बात यह है कि पिछले दिनों जो पत्थलगड़ी आंदोलन शुरू हुआ और जो पत्थर लगाए जा रहे हैं उन पर आदिवासियों के स्वशासन और नियंत्रण क्षेत्र में गैररूढ़ी प्रथा के व्यक्तियों के मौलिक अधिकार लागू नहीं होने की बात लिखी जाती है.

पत्‍थरों पर लिखा जाता कि पांचवीं अनुसूची क्षेत्रों में संसद या विधानमंडल का कोई भी सामान्य कानून लागू नहीं है. इसके साथ ही अनुच्छेद 15 (पारा 1-5) के तहत ऐसे लोग जिनके गांव में आने से यहां की सुशासन शक्ति भंग होने की संभावना है, तो उनका आना-जाना, घूमना-फिरना वर्जित है. पत्थलगड़ी में वोटर कार्ड और आधार कार्ड को आदिवासी विरोधी दस्तावेज बताया जाता है. यह उल्लेख किया जाता है कि आदिवासी लोग भारत देश के मालिक हैं, आम आदमी या नागरिक नहीं. संविधान के अनुच्छेद 13 (3) क के तहत रूढ़ि और प्रथा ही विधि का बल यानी संविधान की शक्ति है.

खूंटी कोचांग गैंग रेप
19 जून 2018 को कोचांग में नुक्कड़ नाटक करने गयी पांच युवतियों के साथ गैंगरेप किया गया था, जबकि, महिलाओं के साथ गये एक व्यक्ति के साथ भी अमानवीय व्यवहार किया गया था. इसको पूरे देश में बवाल हुआ था.

ये भी पढ़ें: झारखंड में पत्थलगड़ी का क्या है इतिहास, डिटेल में जानें पूरी जानकारी

करिया मुंडा के बॉडीगार्ड
खूंटी कोचांग मामले के बाद पूर्व सांसद करिया मुंडा के घर पर पत्थलगड़ी समर्थकों ने कथित रुप से हमला बोलकर उनके तीन अंगरक्षकों को हथियार समेत अगवा कर लिया. इस घटना से पहले खूंटी गैंगरेप के आरोपियों पर कार्रवाई करने गई पुलिस फोर्स से पत्थलगड़ी समर्थकों का जमकर टकराव हुआ. जिसके बाद उग्र पत्थलगड़ी समर्थकों ने बीजेपी सांसद के घर पर हमला कर दिया और अंगरक्षकों को हथियार समेत उठा लिया. इसके साथ ही चाईबासा में कई जगहों पर पत्थलगड़ी को लेकर विरोध होता रहा है, कई बार इसे लेकर दो पक्षों के बीच झड़प भी देखने को मिली थी.

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Incident in Jharkhand regarding Pathalgadi


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