रांची: कोरोना वायरस के कारण इंसान के कदम रुकते ही प्रदूषण के चादर में लिपटी प्रकृति गुलजार हो उठी है. गाड़ियों की पींपीं की जगह अब दिल को सुकून देने वाली पक्षियों की आवाज सुनाई देती है. लॉकडाउन का जलवायु और वातावरण पर किस तरह प्रभाव पड़ा है इसकी पड़ताल की ईटीवी भारत की टीम ने.
पड़ताल में सबसे चौंकाने वाली बात यह सामने आई कि लॉकडाउन के बावजूद रांची के रिम्स और हाईकोर्ट क्षेत्र में स्टैंडर्ड से ज्यादा ध्वनि प्रदूषण पाया गया है. झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक 4 कैटेगरी में ध्वनि प्रदूषण को मापा जाता है. वह है इंडस्ट्रियल, कमर्शियल, रेजिडेंशियल और साइलेंस एरिया. रिम्स और हाई कोर्ट का इलाका साइलेंस एरिया में आता है. लेकिन लॉकडाउन के बावजूद इन दोनों क्षेत्र का स्टैंडर्ड dB(A) 50 से कम होने के बजाय ज्यादा है.
रांची में गाड़ियों के कारण वायु गुणवता प्रभावित
रिम्स क्षेत्र में dB(A) 63.7 और हाईकोर्ट इलाके में dB(A) 59.9 है. झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के पदाधिकारी आर्यन कश्यप ने बताया कि इन दोनों इलाकों में लॉकडाउन से जुड़े अनाउंसमेंट के कारण dB(A) में इजाफा हुआ होगा. वैसे तो झारखंड में वायु प्रदूषण के मामले में धनबाद सबसे टॉप पर रहा है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से राजधानी रांची की सड़कों पर गाड़ियों की संख्या बढ़ने से यहां भी वायु की गुणवत्ता प्रभावित हुई थी लेकिन लॉकडाउन के बाद इसमें बहुत बदलाव देखने को मिल रहा है.
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केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मानक के मुताबिक RSPM-10 की अधिकतम मात्रा 100mg/cum, PM-2.5 की अधिकतम मात्रा 60, सल्फर डाइऑक्साइड की अधिकतम मात्रा 80 माइक्रो ग्राम और नाइट्रोजन की अधिकतम मात्रा 80 माइक्रो ग्राम होनी चाहिए. इस मामले में वायु की गुणवत्ता में जबरदस्त बदलाव हुआ है. लॉकडाउन से पहले रांची में RSPM-10 जहां मानक से बढ़ जाता था वह अब 72mg/cum है. पीएम 2.5 की मात्रा 46, सल्फर डाइऑक्साइड की मात्रा 12.4 माइक्रो ग्राम और ऑक्साइड सब नाइट्रोजन की मात्रा 10 से भी कम है.
लॉकडाउन में नदियों की स्वच्छता पर प्रभाव
रांची में तीन प्रमुख नदियां हैं स्वर्णरेखा, हरमू और जुमार. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक नदियों के जल की गुणवत्ता को मापने के लिए पांच कैटेगरी बनाए गए हैं. इसमें तीसरे कैटेगरी में आती है रांची की तीनों नदियां. इस कैटेगरी में नदी के पानी को डिसइन्फेक्शन और ट्रीटमेंट के बाद ही इस्तेमाल किया जा सकता है.
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अब सवाल यह है कि लॉकडाउन के पहले इन नदियों की क्या स्थिति थी और अब क्या है? जांच में पता चला कि लॉकडाउन के कारण तीनों नदियों के जल की गुणवत्ता पर कोई खास असर नहीं पड़ा है क्योंकि तीनों नदियों में शहर के सीवरेज का पानी पहले की तरह ही जा रहा है. जहां तक फैक्ट्रियों के केमिकल के इन नदियों में जाने की बात है तो रांची में ऐसी कोई फैक्ट्री नहीं है जिससे केमिकल वेस्ट डिस्चार्ज होता हो. तीनों नदियों के जल की गुणवत्ता शहर के अलग-अलग पॉइंट पर जांची गई जिसमें लॉकडाउन के बाद भी कोई खास बदलाव नहीं दिखा.
इस मामले में हरमू स्थित श्मशान घाट के पास हरमू नदी के जल का बीओडी यानी बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड तय मानक 3mg/4 लीटर की तुलना में 42.6 मापा गया है. दरअसल श्मशान घाट के पास हरमू नदी में सीवरेज का पानी गिरता है इसकी वजह से यहां का बीओडी बहुत ज्यादा है.