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घरों में बंद हुए इंसान तो वातावरण में आई जान, देखिए कितना स्वच्छ हुआ वातावरण

कोरोना का एक उजला पक्ष भी है, जिससे उम्मीद की रोशनी दिखती है, उससे सबक भी मिलती है. रांची में हवा पहले से कहीं ज्यादा साफ हो गई है, नदियों के किनारों में गंदगी कम दिख रही है.

environment in lockdown in ranchi
घरों में बंद हुए इंसान
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Published : Apr 24, 2020, 8:23 PM IST

रांची: कोरोना वायरस के कारण इंसान के कदम रुकते ही प्रदूषण के चादर में लिपटी प्रकृति गुलजार हो उठी है. गाड़ियों की पींपीं की जगह अब दिल को सुकून देने वाली पक्षियों की आवाज सुनाई देती है. लॉकडाउन का जलवायु और वातावरण पर किस तरह प्रभाव पड़ा है इसकी पड़ताल की ईटीवी भारत की टीम ने.

वीडियो में देखिए स्पेशल रिपोर्ट

पड़ताल में सबसे चौंकाने वाली बात यह सामने आई कि लॉकडाउन के बावजूद रांची के रिम्स और हाईकोर्ट क्षेत्र में स्टैंडर्ड से ज्यादा ध्वनि प्रदूषण पाया गया है. झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक 4 कैटेगरी में ध्वनि प्रदूषण को मापा जाता है. वह है इंडस्ट्रियल, कमर्शियल, रेजिडेंशियल और साइलेंस एरिया. रिम्स और हाई कोर्ट का इलाका साइलेंस एरिया में आता है. लेकिन लॉकडाउन के बावजूद इन दोनों क्षेत्र का स्टैंडर्ड dB(A) 50 से कम होने के बजाय ज्यादा है.

Improvement of environment
सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण धनबाद में

रांची में गाड़ियों के कारण वायु गुणवता प्रभावित

रिम्स क्षेत्र में dB(A) 63.7 और हाईकोर्ट इलाके में dB(A) 59.9 है. झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के पदाधिकारी आर्यन कश्यप ने बताया कि इन दोनों इलाकों में लॉकडाउन से जुड़े अनाउंसमेंट के कारण dB(A) में इजाफा हुआ होगा. वैसे तो झारखंड में वायु प्रदूषण के मामले में धनबाद सबसे टॉप पर रहा है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से राजधानी रांची की सड़कों पर गाड़ियों की संख्या बढ़ने से यहां भी वायु की गुणवत्ता प्रभावित हुई थी लेकिन लॉकडाउन के बाद इसमें बहुत बदलाव देखने को मिल रहा है.

Improvement of environment
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

ये भी पढ़ें- शांभवी को कंठस्थ है गीता के 16 अध्याय, कोरोना महामारी को लेकर कर रही है जागरूक

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मानक के मुताबिक RSPM-10 की अधिकतम मात्रा 100mg/cum, PM-2.5 की अधिकतम मात्रा 60, सल्फर डाइऑक्साइड की अधिकतम मात्रा 80 माइक्रो ग्राम और नाइट्रोजन की अधिकतम मात्रा 80 माइक्रो ग्राम होनी चाहिए. इस मामले में वायु की गुणवत्ता में जबरदस्त बदलाव हुआ है. लॉकडाउन से पहले रांची में RSPM-10 जहां मानक से बढ़ जाता था वह अब 72mg/cum है. पीएम 2.5 की मात्रा 46, सल्फर डाइऑक्साइड की मात्रा 12.4 माइक्रो ग्राम और ऑक्साइड सब नाइट्रोजन की मात्रा 10 से भी कम है.

Improvement of environment
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

लॉकडाउन में नदियों की स्वच्छता पर प्रभाव

रांची में तीन प्रमुख नदियां हैं स्वर्णरेखा, हरमू और जुमार. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक नदियों के जल की गुणवत्ता को मापने के लिए पांच कैटेगरी बनाए गए हैं. इसमें तीसरे कैटेगरी में आती है रांची की तीनों नदियां. इस कैटेगरी में नदी के पानी को डिसइन्फेक्शन और ट्रीटमेंट के बाद ही इस्तेमाल किया जा सकता है.

Improvement of environment
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

ये भी पढ़ें- रांची: कोरोना हॉटस्पॉट 'हिंदपीढ़ी' पर विशेष नजर, SSP ने की ईटीवी भारत से खास बातचीत

अब सवाल यह है कि लॉकडाउन के पहले इन नदियों की क्या स्थिति थी और अब क्या है? जांच में पता चला कि लॉकडाउन के कारण तीनों नदियों के जल की गुणवत्ता पर कोई खास असर नहीं पड़ा है क्योंकि तीनों नदियों में शहर के सीवरेज का पानी पहले की तरह ही जा रहा है. जहां तक फैक्ट्रियों के केमिकल के इन नदियों में जाने की बात है तो रांची में ऐसी कोई फैक्ट्री नहीं है जिससे केमिकल वेस्ट डिस्चार्ज होता हो. तीनों नदियों के जल की गुणवत्ता शहर के अलग-अलग पॉइंट पर जांची गई जिसमें लॉकडाउन के बाद भी कोई खास बदलाव नहीं दिखा.

Improvement of environment
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

इस मामले में हरमू स्थित श्मशान घाट के पास हरमू नदी के जल का बीओडी यानी बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड तय मानक 3mg/4 लीटर की तुलना में 42.6 मापा गया है. दरअसल श्मशान घाट के पास हरमू नदी में सीवरेज का पानी गिरता है इसकी वजह से यहां का बीओडी बहुत ज्यादा है.

रांची: कोरोना वायरस के कारण इंसान के कदम रुकते ही प्रदूषण के चादर में लिपटी प्रकृति गुलजार हो उठी है. गाड़ियों की पींपीं की जगह अब दिल को सुकून देने वाली पक्षियों की आवाज सुनाई देती है. लॉकडाउन का जलवायु और वातावरण पर किस तरह प्रभाव पड़ा है इसकी पड़ताल की ईटीवी भारत की टीम ने.

वीडियो में देखिए स्पेशल रिपोर्ट

पड़ताल में सबसे चौंकाने वाली बात यह सामने आई कि लॉकडाउन के बावजूद रांची के रिम्स और हाईकोर्ट क्षेत्र में स्टैंडर्ड से ज्यादा ध्वनि प्रदूषण पाया गया है. झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक 4 कैटेगरी में ध्वनि प्रदूषण को मापा जाता है. वह है इंडस्ट्रियल, कमर्शियल, रेजिडेंशियल और साइलेंस एरिया. रिम्स और हाई कोर्ट का इलाका साइलेंस एरिया में आता है. लेकिन लॉकडाउन के बावजूद इन दोनों क्षेत्र का स्टैंडर्ड dB(A) 50 से कम होने के बजाय ज्यादा है.

Improvement of environment
सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण धनबाद में

रांची में गाड़ियों के कारण वायु गुणवता प्रभावित

रिम्स क्षेत्र में dB(A) 63.7 और हाईकोर्ट इलाके में dB(A) 59.9 है. झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के पदाधिकारी आर्यन कश्यप ने बताया कि इन दोनों इलाकों में लॉकडाउन से जुड़े अनाउंसमेंट के कारण dB(A) में इजाफा हुआ होगा. वैसे तो झारखंड में वायु प्रदूषण के मामले में धनबाद सबसे टॉप पर रहा है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से राजधानी रांची की सड़कों पर गाड़ियों की संख्या बढ़ने से यहां भी वायु की गुणवत्ता प्रभावित हुई थी लेकिन लॉकडाउन के बाद इसमें बहुत बदलाव देखने को मिल रहा है.

Improvement of environment
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

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केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मानक के मुताबिक RSPM-10 की अधिकतम मात्रा 100mg/cum, PM-2.5 की अधिकतम मात्रा 60, सल्फर डाइऑक्साइड की अधिकतम मात्रा 80 माइक्रो ग्राम और नाइट्रोजन की अधिकतम मात्रा 80 माइक्रो ग्राम होनी चाहिए. इस मामले में वायु की गुणवत्ता में जबरदस्त बदलाव हुआ है. लॉकडाउन से पहले रांची में RSPM-10 जहां मानक से बढ़ जाता था वह अब 72mg/cum है. पीएम 2.5 की मात्रा 46, सल्फर डाइऑक्साइड की मात्रा 12.4 माइक्रो ग्राम और ऑक्साइड सब नाइट्रोजन की मात्रा 10 से भी कम है.

Improvement of environment
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

लॉकडाउन में नदियों की स्वच्छता पर प्रभाव

रांची में तीन प्रमुख नदियां हैं स्वर्णरेखा, हरमू और जुमार. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक नदियों के जल की गुणवत्ता को मापने के लिए पांच कैटेगरी बनाए गए हैं. इसमें तीसरे कैटेगरी में आती है रांची की तीनों नदियां. इस कैटेगरी में नदी के पानी को डिसइन्फेक्शन और ट्रीटमेंट के बाद ही इस्तेमाल किया जा सकता है.

Improvement of environment
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

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अब सवाल यह है कि लॉकडाउन के पहले इन नदियों की क्या स्थिति थी और अब क्या है? जांच में पता चला कि लॉकडाउन के कारण तीनों नदियों के जल की गुणवत्ता पर कोई खास असर नहीं पड़ा है क्योंकि तीनों नदियों में शहर के सीवरेज का पानी पहले की तरह ही जा रहा है. जहां तक फैक्ट्रियों के केमिकल के इन नदियों में जाने की बात है तो रांची में ऐसी कोई फैक्ट्री नहीं है जिससे केमिकल वेस्ट डिस्चार्ज होता हो. तीनों नदियों के जल की गुणवत्ता शहर के अलग-अलग पॉइंट पर जांची गई जिसमें लॉकडाउन के बाद भी कोई खास बदलाव नहीं दिखा.

Improvement of environment
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

इस मामले में हरमू स्थित श्मशान घाट के पास हरमू नदी के जल का बीओडी यानी बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड तय मानक 3mg/4 लीटर की तुलना में 42.6 मापा गया है. दरअसल श्मशान घाट के पास हरमू नदी में सीवरेज का पानी गिरता है इसकी वजह से यहां का बीओडी बहुत ज्यादा है.

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