रांची: रांची विश्वविद्यालय और विश्वविद्यालय के अंतर्गत कॉलेजों में रूसा द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी लेने के उद्देश्य से रूसा की टीम विश्वविद्यालय का मुआयना की. इस टीम ने योजनाओं के संबंध में जानकारी हासिल की. रूसा विश्वविद्यालय को फंड देती है.
रूसा की ओर से उच्च तकनीकी शिक्षा कौशल विकास विभाग के अलावा भवन निर्माण से जुड़े योजनाओं को लेकर भी विश्वविद्यालय को फंड दिया जाता है और इसके एवज में विश्वविद्यालय में कई बेहतर योजनाएं चलाई जाती है. इन योजनाओं का क्रियान्वयन सही तरीके से हो रहा है कि नहीं उनका भौतिक सत्यापन करने के उद्देश्य से रूसा की टीम शुक्रवार को रांची विश्वविद्यालय के विभिन्न कॉलेजों में पहुंची और मुआयना किया. इस दौरान टीम ने कौशल विकास विभाग के अधिकारियों के अलावा भवन निर्माण निगम के अभियंता विश्वविद्यालय के अधिकारियों से मुलाकात भी की है.
रूसा की यह टीम खासकर मारवाड़ी कॉलेज और संत जेवियर कॉलेज में चल रहे योजनाओं की जानकारी हासिल की है. वहीं, मोरहाबादी कैंपस के क्रिएटिविटी सेंटर के अलावा लीगल स्टडीज का भी जायजा लिया है. वेकैंट सीटों के लिए जापानी भाषा विषय में आवेदन दोबारा मांगे गए हैं. रांची विश्वविद्यालय में संचालित जापानी भाषा पाठ्यक्रम को लेकर 2020 में नामांकन के लिए अभ्यर्थियों से आवेदन मांगे गए हैं. इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेन लैंग्वेज स्टडीज में आयोजित सत्र 2020 में जो सीटें खाली रह गई थी. उन्हें भरने के लिए आवेदन मांगा गया है.
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28 नवंबर से 10 दिसंबर तक आवेदन लिए जाएंगे. आवेदन और अन्य सभी प्रक्रियाएं संस्थान के कार्यालय में ऑफलाइन तरीके से होगी. हालांकि, इस दौरान कोविड-19 के तहत सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखा जाएगा और सुरक्षात्मक कदम भी उठाए जाएंगे. शिक्षा विभाग की ओर से ड्रॉपआउट बच्चों को चिन्हित करने के लिए एक बार फिर एक सर्वे किया जा रहा है. सरकारी विद्यालयों के 2020-21 के विद्यार्थियों का हाउसहोल्ड सर्वे की शुरुआत सोमवार से की जाएगी. इसकी तैयारी पूरी कर ली गई है. जिला शिक्षा पदाधिकारियों को निर्देश जारी किया गया है. वहीं, जिला शिक्षा कार्यालय की ओर से तमाम प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारियों को इस संबंध में जानकारी दी गई है.
इसके साथ ही सर्वे को लेकर तत्परता दिखाने की बात भी कही गई है. तमाम पदाधिकारियों को हाउसहोल्ड सर्वे कराने का फॉर्मेट दिया गया है. 8 दिसंबर तक सर्वे पूरा कर लेने का लक्ष्य रखा गया है. ऑनलाइन पठन-पाठन से वंचित विद्यार्थियों को भी ड्रॉपआउट कैटेगरी में रखा गया है. इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए और भी कई बिंदुओं को जोड़ा गया है.