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छात्रावास संचालन नियमावली छात्रहित में नहीं, बंधु तिर्की ने अनुसूचित जनजाति मंत्री से की निरस्त करने की मांग

रांची में मांडर विधायक बंधु तिर्की ने गुरुवार को अनुसूचित जनजाति मंत्री से झारखंड सरकार कल्याण विभाग छात्रावास संचालन नियमावली के पत्रांक 327/2018 को छात्र हित में निरस्त करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि इस नियमावली की वजह से छात्रों को ज्यादा खर्च वहन के साथ कई समस्याओं का सामना करना पड़ेगा.

Mandar MLA Bandhu Tirkey
मांडर विधायक बंधु तिर्की
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Published : Sep 3, 2020, 3:51 PM IST

Updated : Sep 16, 2020, 12:40 PM IST

रांचीः मांडर विधायक बंधु तिर्की ने गुरुवार को अनुसूचित जनजाति मंत्री से झारखंड सरकार कल्याण विभाग छात्रावास संचालन नियमावली के पत्रांक 327/2018 को छात्र हित में निरस्त करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि इस नियमावली की वजह से छात्रों को छात्रावास में रहने के लिए ज्यादा खर्च वहन के साथ कई समस्याओं का सामना करना पड़ेगा.

ये भी पढ़ें- पादरी पर नाबालिग को जबरन धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर करने का आरोप

उन्होंने कहा है कि पत्रांक में आदिवासी छात्रों के हितों की अनदेखी की गई है. विभाग की ओर से बनाई गई नियमावली में हुई विभागीय त्रुटि के कारण गरीब छात्रों को अधिक खर्च वहन कर छात्रावास में रहना पड़ेगा. उन्हें पानी, बिजली, नगर टैक्स, रसोइया, सफाईकर्मी का खर्च का समान अनुपात के रूप से वहन करना पड़ेगा. नियमावली में आदिवासी छात्रावासों का संचालन कल्याण विभाग से हटाकर शिक्षा विभाग, कॉलेज और विश्वविद्यालयों को सौंपे जाने की व्यवस्था का वर्णन है, जो छात्र हित में नहीं है. इस नियम के अनुसार छात्रों को ज्यादा भार वहन करना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि वर्तमान में आदिवासी छात्रावास में कई कॉलेजों के छात्र को रहने की छूट है. लेकिन नई नियमावली के आधार पर केवल एक ही कॉलेज के छात्रों का समावेश होगा, जिससे आदिवासी छात्रों की मुश्किलें बढ़ेंगी.

रांचीः मांडर विधायक बंधु तिर्की ने गुरुवार को अनुसूचित जनजाति मंत्री से झारखंड सरकार कल्याण विभाग छात्रावास संचालन नियमावली के पत्रांक 327/2018 को छात्र हित में निरस्त करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि इस नियमावली की वजह से छात्रों को छात्रावास में रहने के लिए ज्यादा खर्च वहन के साथ कई समस्याओं का सामना करना पड़ेगा.

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उन्होंने कहा है कि पत्रांक में आदिवासी छात्रों के हितों की अनदेखी की गई है. विभाग की ओर से बनाई गई नियमावली में हुई विभागीय त्रुटि के कारण गरीब छात्रों को अधिक खर्च वहन कर छात्रावास में रहना पड़ेगा. उन्हें पानी, बिजली, नगर टैक्स, रसोइया, सफाईकर्मी का खर्च का समान अनुपात के रूप से वहन करना पड़ेगा. नियमावली में आदिवासी छात्रावासों का संचालन कल्याण विभाग से हटाकर शिक्षा विभाग, कॉलेज और विश्वविद्यालयों को सौंपे जाने की व्यवस्था का वर्णन है, जो छात्र हित में नहीं है. इस नियम के अनुसार छात्रों को ज्यादा भार वहन करना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि वर्तमान में आदिवासी छात्रावास में कई कॉलेजों के छात्र को रहने की छूट है. लेकिन नई नियमावली के आधार पर केवल एक ही कॉलेज के छात्रों का समावेश होगा, जिससे आदिवासी छात्रों की मुश्किलें बढ़ेंगी.

Last Updated : Sep 16, 2020, 12:40 PM IST
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