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झारखंड सरकार के विभागों में एससी-एसटी के प्रतिनिधित्व पर हाई लेवल कमिटी ने सौंपी रिपोर्ट - सरकारी विभागों में एसटी कर्मचारियों की संख्या

झारखंड सरकार के विभागों में एससी-एसटी के प्रतिनिधित्व को लेकर हाई लेवल कमिटी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और मुख्य सचिव सुखदेव सिंह को अपर मुख्य सचिव एल खियांगते, प्रधान सचिव वंदना डाडेल और सचिव केके सोन ने अध्ययन रिपोर्ट की प्रतिलिपि सौंप दी है.

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सीएम हेमंत को सौंपी रिपोर्ट
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Published : Nov 3, 2021, 10:42 PM IST

रांची: झारखंड सरकार की सेवाओं में पदों के अधीन प्रोन्नति, प्रशासनिक दक्षता और क्रीमी लेयर में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता पर एक अध्ययन रिपोर्ट तैयार करने के लिए गठित तीन सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और मुख्य सचिव सुखदेव सिंह को बुधवार को अपर मुख्य सचिव एल खियांगते, प्रधान सचिव वंदना डाडेल और सचिव केके सोन ने अध्ययन रिपोर्ट की प्रतिलिपि सौंपी है.


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राज्य सरकार के 34 विभागों में से 29 विभागों ने कर्मचारियों की जाति श्रेणीवार संख्या सहित सीधी नियुक्ति या प्रोन्नति के आधार पर भरे गए पदों की कुल संख्या पर अपनी रिपोर्ट ऑफलाइन प्रस्तुत की है. 10 विभागों ने इन सेवाओं में प्रत्येक जाति वर्ग में कार्यरत कर्मचारियों की सेवा श्रेणीवार संख्या सहित रिपोर्ट प्रस्तुत की है. एचआरएमएस से मिले आंकड़ों के अनुसार 34 विभागों में 31 प्रमुख विभागों में राज्य में कुल स्वीकृत पदों की कुल संख्या 3,01,198 है. जिसमें से 57,182 पद प्रोन्नति के आधार पर भरे जाने हैं. जबकि 2,44,016 पद सीधी नियुक्ति से भरे जाने हैं.


इस तरह समिति ने किया काम

समिति ने डेटाबेस की उपलब्धता की बाधाओं को ध्यान में रखते हुए विशेष रूप से कतिपय विभागों में प्रोन्नति के संबंध में एक कार्य प्रणाली तैयार करने का निर्णय लिया. जो समिति को पारदर्शी और समयबद्ध तरीके से मूल्यांकन करने में सक्षम बनाएगी. इसके अलावा सभी विभागों से कर्मचारी डेटा / सूचना श्रेणीवार और पदनाम के अनुसार एकत्र की गई थी. इन आंकड़ों को मैनुअल रूप के साथ-साथ ऑफलाइन रूप में भी मांगा गया था. आंकड़ों की शुद्धता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए समिति ने मुख्य रूप से एचआरएमएस के ऑफलाइन डेटा का उपयोग किया गया. कर्मचारियों की प्रोन्नति के विश्वसनीय आंकड़ों तक समिति की पहुंच थी. जिसके द्वारा विभिन्न रिपोर्ट तैयार किए गए और उनका विश्लेषण किया गया.

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समिति ने की अनुशंसा

1. संकलित और विश्लेषित आंकड़ों के अनुसार यह स्पष्ट है कि सरकार में प्रत्येक स्तर पर प्रोन्नति वाले पदों पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता है. राज्यभर में स्वीकृत प्रोन्नतिवाले पदों के विरुद्ध प्रोन्नति के आधार पर पद धारण करनेवाले कार्यरत कर्मचारियों की कुल संख्या से संबंधित अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के कर्मचारियों का प्रतिशत क्रमशः 4.45 और 10.04 प्रतिशत है. राज्य में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति क्रमशः 12.08 प्रतिशत (एससी) और 26.20 प्रतिशत ( एसटी) के जनसांख्यिकीय अनुपात से बहुत कम है.



2. राज्य की सेवाओं में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों का प्रतिनिधित्व अपेक्षित स्तर से काफी नीचे है. इसीलिए प्रोन्नति में आरक्षण की वर्तमान नीति को जारी रखना आवश्यक है.

3. वर्तमान प्रावधान में किसी भी प्रकार की ढील देना या किसी भी खंड को हटाना न्यायोचित या वांछनीय नहीं होगा और बड़े पैमाने पर सामुदायिक हितों के विरुद्ध होगा.

4. झारखंड लोक सेवा आयोग और झारखंड कर्मचारी चयन आयोग और कार्मिक प्रशासनिक सुधार के साथ-साथ राजभाषा विभाग को भी वर्षवार और श्रेणीवार विवरण के साथ परिणामों के डेटाबेस को बनाएं कि कितने एससी, एसटी, ओबीसी ने अनारक्षित श्रेणी के अंतर्गत योग्यता प्राप्त की है.

5. सभी विभागों द्वारा आरक्षण नीति और उसके प्रावधानों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने के लिए अधिक कठोर और निरंतर निगरानी रखने के लिए कार्मिक विभाग के अंतर्गत एक पृथक कोषांग बनाया जाना चाहिए.

6. कार्मिक, प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग को भर्तियों, प्रोन्नतियों और अन्य संबंधित सूचनाओं पर वार्षिक प्रतिवेदन अवश्य प्रकाशित करना चाहिए.

रांची: झारखंड सरकार की सेवाओं में पदों के अधीन प्रोन्नति, प्रशासनिक दक्षता और क्रीमी लेयर में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता पर एक अध्ययन रिपोर्ट तैयार करने के लिए गठित तीन सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और मुख्य सचिव सुखदेव सिंह को बुधवार को अपर मुख्य सचिव एल खियांगते, प्रधान सचिव वंदना डाडेल और सचिव केके सोन ने अध्ययन रिपोर्ट की प्रतिलिपि सौंपी है.


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इस तरह समिति ने किया काम

समिति ने डेटाबेस की उपलब्धता की बाधाओं को ध्यान में रखते हुए विशेष रूप से कतिपय विभागों में प्रोन्नति के संबंध में एक कार्य प्रणाली तैयार करने का निर्णय लिया. जो समिति को पारदर्शी और समयबद्ध तरीके से मूल्यांकन करने में सक्षम बनाएगी. इसके अलावा सभी विभागों से कर्मचारी डेटा / सूचना श्रेणीवार और पदनाम के अनुसार एकत्र की गई थी. इन आंकड़ों को मैनुअल रूप के साथ-साथ ऑफलाइन रूप में भी मांगा गया था. आंकड़ों की शुद्धता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए समिति ने मुख्य रूप से एचआरएमएस के ऑफलाइन डेटा का उपयोग किया गया. कर्मचारियों की प्रोन्नति के विश्वसनीय आंकड़ों तक समिति की पहुंच थी. जिसके द्वारा विभिन्न रिपोर्ट तैयार किए गए और उनका विश्लेषण किया गया.

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समिति ने की अनुशंसा

1. संकलित और विश्लेषित आंकड़ों के अनुसार यह स्पष्ट है कि सरकार में प्रत्येक स्तर पर प्रोन्नति वाले पदों पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता है. राज्यभर में स्वीकृत प्रोन्नतिवाले पदों के विरुद्ध प्रोन्नति के आधार पर पद धारण करनेवाले कार्यरत कर्मचारियों की कुल संख्या से संबंधित अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के कर्मचारियों का प्रतिशत क्रमशः 4.45 और 10.04 प्रतिशत है. राज्य में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति क्रमशः 12.08 प्रतिशत (एससी) और 26.20 प्रतिशत ( एसटी) के जनसांख्यिकीय अनुपात से बहुत कम है.



2. राज्य की सेवाओं में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों का प्रतिनिधित्व अपेक्षित स्तर से काफी नीचे है. इसीलिए प्रोन्नति में आरक्षण की वर्तमान नीति को जारी रखना आवश्यक है.

3. वर्तमान प्रावधान में किसी भी प्रकार की ढील देना या किसी भी खंड को हटाना न्यायोचित या वांछनीय नहीं होगा और बड़े पैमाने पर सामुदायिक हितों के विरुद्ध होगा.

4. झारखंड लोक सेवा आयोग और झारखंड कर्मचारी चयन आयोग और कार्मिक प्रशासनिक सुधार के साथ-साथ राजभाषा विभाग को भी वर्षवार और श्रेणीवार विवरण के साथ परिणामों के डेटाबेस को बनाएं कि कितने एससी, एसटी, ओबीसी ने अनारक्षित श्रेणी के अंतर्गत योग्यता प्राप्त की है.

5. सभी विभागों द्वारा आरक्षण नीति और उसके प्रावधानों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने के लिए अधिक कठोर और निरंतर निगरानी रखने के लिए कार्मिक विभाग के अंतर्गत एक पृथक कोषांग बनाया जाना चाहिए.

6. कार्मिक, प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग को भर्तियों, प्रोन्नतियों और अन्य संबंधित सूचनाओं पर वार्षिक प्रतिवेदन अवश्य प्रकाशित करना चाहिए.

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