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रांची: ITI भवन में किसी की नियुक्ति नहीं होने के मामले पर सुनवाई, अदालत ने राज्य सरकार से फिर से मांगा जवाब - रांची में आईटीआई भवन

झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजित नारायण प्रसाद की अदालत में आईटीआई भवन में किसी की नियुक्ति नहीं होने के मामले पर सुनवाई हुई. सुनवाई के बाद अदालत ने फिर से समय देते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है.

Hearing on matter of non-appointment in ITI building in Ranchi
झारखंड हाई कोर्ट
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Published : Aug 8, 2020, 2:03 PM IST

रांची: झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में आईटीआई भवन में शिक्षण कार्य प्रारंभ करने, वहां शिक्षकेतर कर्मचारी की नियुक्ति की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई हुई. न्यायाधीश आपने आवासीय कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई की. सुनवाई के बाद अदालत ने फिर से समय देते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है. सरकार से जवाब आने के बाद मामले पर सुनवाई होगी. वहीं, याचिकाकर्ता के अधिवक्ता और सरकार के अधिवक्ता अपने-अपने आवास से अपना पक्ष रखा.

अदालत ने सरकार से पूछा है कि जब भवन तैयार हो गया है, तो वहां पर पढ़ाने वालों की नियुक्ति क्यों नहीं की गई है? सरकार के अधिवक्ता ने बताया कि विभाग के सचिव कोरोना वायरस हो गए थे, इसीलिए मामले में जवाब पेश नहीं किया गया, अदालत ने फिर से उन्हें समय देते हुए जवाब पेश करने को कहा है.

ये भी देखें- क्रांति दिवस पर स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मानित करेंगे राष्ट्रपति, झारखंड के 5 स्वतंत्रता सेनानी होंगे शामिल

बता दें कि इस मामले में डॉ. भीम प्रभाकर ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है. सुनवाई के दौरान उनके अधिवक्ता विनोद सिंह ने हाई कोर्ट को बताया कि साल 2010 से ही चतरा, लातेहार, पलामू, चाईबासा सहित अन्य जगहों पर करोड़ों की लागत से आईटीआई भवन बना दिए गये हैं. वहां पर न तो प्राचार्य और न ही आइटीआइ अनुदेशक की नियुक्ति की गई है. इसके कारण भवन जर्जर हो रहे हैं और उसका कोई उपयोग भी नहीं हो रहा है. इस पर अदालत ने राज्य सरकार से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है.

रांची: झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में आईटीआई भवन में शिक्षण कार्य प्रारंभ करने, वहां शिक्षकेतर कर्मचारी की नियुक्ति की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई हुई. न्यायाधीश आपने आवासीय कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई की. सुनवाई के बाद अदालत ने फिर से समय देते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है. सरकार से जवाब आने के बाद मामले पर सुनवाई होगी. वहीं, याचिकाकर्ता के अधिवक्ता और सरकार के अधिवक्ता अपने-अपने आवास से अपना पक्ष रखा.

अदालत ने सरकार से पूछा है कि जब भवन तैयार हो गया है, तो वहां पर पढ़ाने वालों की नियुक्ति क्यों नहीं की गई है? सरकार के अधिवक्ता ने बताया कि विभाग के सचिव कोरोना वायरस हो गए थे, इसीलिए मामले में जवाब पेश नहीं किया गया, अदालत ने फिर से उन्हें समय देते हुए जवाब पेश करने को कहा है.

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बता दें कि इस मामले में डॉ. भीम प्रभाकर ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है. सुनवाई के दौरान उनके अधिवक्ता विनोद सिंह ने हाई कोर्ट को बताया कि साल 2010 से ही चतरा, लातेहार, पलामू, चाईबासा सहित अन्य जगहों पर करोड़ों की लागत से आईटीआई भवन बना दिए गये हैं. वहां पर न तो प्राचार्य और न ही आइटीआइ अनुदेशक की नियुक्ति की गई है. इसके कारण भवन जर्जर हो रहे हैं और उसका कोई उपयोग भी नहीं हो रहा है. इस पर अदालत ने राज्य सरकार से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है.

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