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झारखंड हाई कोर्ट में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन, JPSC मामले में हुई सुनवाई, आरोपी को मिला बेल - hearing on lecturer appointment scam case in high court

सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए झारखंड हाई कोर्ट ने सोमवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. अमूमन सुनवाई अदालत से होती है, लेकिन आज अदालत की सुनवाई घर से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से की गई है. बता दें कि न्यायाधीश रंगन मुखोपाध्याय की अदालत ने आरोपी शिल्पी बख्शी को बेल दिया है. वे जेपीएससी के लेक्चरर घोटाला मामले में आरोपी हैं.

hearing on lecturer appointment scam case in high court
झारखंड हाई कोर्ट
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Published : Mar 30, 2020, 7:09 PM IST

रांची: कोरोना वायरस के इस वैश्विक महामारी में डब्ल्यूएचओ के जारी निर्देश का अनुपालन करते हुए झारखंड हाई कोर्ट ने सोमवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट के बाद झारखंड हाई कोर्ट में यह पहला मौका है कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से न्यायाधीश रंगन मुखोपाध्याय अपने कार्यालय से वहीं केंद्र सरकार के अधिवक्ता अपने घर से और याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अपने घर से ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत में उपस्थित हुए. अदालत ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपना फैसला सुनाते हुए लेक्चरर नियुक्ति घोटाला मामले में आरोपी शिल्पी बख्शी को जमानत की सुविधा प्रदान की है.

देखें पूरी खबर

मामले में पूर्व में ही सुनवाई पूरी कर ली गई थी. आदेश सुरक्षित रख लिया गया था. अदालत ने उस आदेश को आज सुनाया है. शिल्पी बख्शी के पति ने हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ. रवि रंजन से आग्रह किया था कि उनकी पत्नी जेल में है. उनकी छोटी सी बच्ची अकेली है. घर में कोई और नहीं है. इसलिए इस मामले को अर्जेंट मैटर मानते हुए इस पर सुनवाई पूरी कर ली जाए. मुख्य न्यायाधीश ने उनके आग्रह को स्वीकार करते हुए इस मामले पर सुनवाई पूरी करने का आदेश दिया. मुख्य न्यायाधीश के आदेश के बाद न्यायाधीश रंगन मुखोपाध्याय ने यह फैसला सुनाया है.

ये भी देखें- सीएम हेमंत सोरेन ने की जनप्रतिनिधियों से बात, कहा- हम झारखंडवासी मजबूत इरादों वाले हैं

बता दें कि लेक्चरर नियुक्ति घोटाला मामले में सीबीआई जांच के क्रम में सीबीआई ने शिल्पी बख्शी पर केस दर्ज किया है. उसी मामले में सीबीआई ने उन्हें गिरफ्तार किया है. वर्तमान में वह जेल में हैं. उनकी ओर से सीबीआई के विशेष न्यायालय में जमानत की अर्जी दायर की गई थी. सीबीआई के विशेष अदालत ने उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया था. उसके बाद उन्होंने झारखंड हाई कोर्ट में जमानत याचिका दायर की लेकिन कोरोना के इस वैश्विक महामारी में अदालत में अति महत्वपूर्ण मामले की सुनवाई करने के आदेश दिए जाने के बाद सुनवाई नहीं हो पा रही थी. उनके पति ने मुख्य न्यायाधीश को आवेदन देकर इस मामले को अर्जेंट मानते हुए सुनवाई पूरी करने का आग्रह किया था. जिस पर मुख्य न्यायाधीश ने सुनवाई पूरी करने का आदेश दिया था, उसके बाद सुनवाई पूरी कर फैसला सुनाया गया.

रांची: कोरोना वायरस के इस वैश्विक महामारी में डब्ल्यूएचओ के जारी निर्देश का अनुपालन करते हुए झारखंड हाई कोर्ट ने सोमवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट के बाद झारखंड हाई कोर्ट में यह पहला मौका है कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से न्यायाधीश रंगन मुखोपाध्याय अपने कार्यालय से वहीं केंद्र सरकार के अधिवक्ता अपने घर से और याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अपने घर से ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत में उपस्थित हुए. अदालत ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपना फैसला सुनाते हुए लेक्चरर नियुक्ति घोटाला मामले में आरोपी शिल्पी बख्शी को जमानत की सुविधा प्रदान की है.

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मामले में पूर्व में ही सुनवाई पूरी कर ली गई थी. आदेश सुरक्षित रख लिया गया था. अदालत ने उस आदेश को आज सुनाया है. शिल्पी बख्शी के पति ने हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ. रवि रंजन से आग्रह किया था कि उनकी पत्नी जेल में है. उनकी छोटी सी बच्ची अकेली है. घर में कोई और नहीं है. इसलिए इस मामले को अर्जेंट मैटर मानते हुए इस पर सुनवाई पूरी कर ली जाए. मुख्य न्यायाधीश ने उनके आग्रह को स्वीकार करते हुए इस मामले पर सुनवाई पूरी करने का आदेश दिया. मुख्य न्यायाधीश के आदेश के बाद न्यायाधीश रंगन मुखोपाध्याय ने यह फैसला सुनाया है.

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बता दें कि लेक्चरर नियुक्ति घोटाला मामले में सीबीआई जांच के क्रम में सीबीआई ने शिल्पी बख्शी पर केस दर्ज किया है. उसी मामले में सीबीआई ने उन्हें गिरफ्तार किया है. वर्तमान में वह जेल में हैं. उनकी ओर से सीबीआई के विशेष न्यायालय में जमानत की अर्जी दायर की गई थी. सीबीआई के विशेष अदालत ने उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया था. उसके बाद उन्होंने झारखंड हाई कोर्ट में जमानत याचिका दायर की लेकिन कोरोना के इस वैश्विक महामारी में अदालत में अति महत्वपूर्ण मामले की सुनवाई करने के आदेश दिए जाने के बाद सुनवाई नहीं हो पा रही थी. उनके पति ने मुख्य न्यायाधीश को आवेदन देकर इस मामले को अर्जेंट मानते हुए सुनवाई पूरी करने का आग्रह किया था. जिस पर मुख्य न्यायाधीश ने सुनवाई पूरी करने का आदेश दिया था, उसके बाद सुनवाई पूरी कर फैसला सुनाया गया.

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