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झारखंड हाई कोर्ट में कई मामले की सुनवाई, सिविल जज जूनियर डिविजन नियुक्ति मामले में दायर याचिका निष्पादित

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Published : Dec 10, 2020, 9:39 PM IST

गुरुवार को झारखंड हाई कोर्ट में बिहार कैडर आवंटन में आए बिहार के रहने वाले कर्मचारियों को झारखंड में आरक्षण का लाभ ना दिए जाने के मामले में सुनवाई हुई. अदालत ने मामले की विस्तृत सुनवाई के लिए 17 दिसंबर की तिथि निर्धारित की गई है.

Hearing of several cases in Jharkhand High Court
झारखंड हाई कोर्ट

रांची: झारखंड हाई कोर्ट में गुरुवार को कई मामले में सुनवाई हुई. इसमें राज्य बंटवारे के समय बिहार कैडर आवंटन में आए बिहार के रहने वाले कर्मचारियों को झारखंड में आरक्षण का लाभ ना दिए जाने को लेकर झारखंड सरकार द्वारा दायर एलपीए याचिका पर सुनवाई हुई. वहीं, सिविल जज जूनियर डिविजन नियुक्ति मामले में दायर याचिका पर भी सुनवाई हुई.

ये भी पढे़ं: राष्ट्रीय महिला आयोग ने दुमका सामूहिक दुष्कर्म मामले में लिया संज्ञान, DGP को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग

झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में राज्य बंटवारे के समय बिहार कैडर आवंटन में आए बिहार के रहने वाले कर्मचारियों को झारखंड में आरक्षण का लाभ ना दिए जाने को लेकर झारखंड सरकार द्वारा दायर एलपीए याचिका पर सुनवाई हुई. अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकृत कर लिया है. मामले की विस्तृत सुनवाई के लिए 17 दिसंबर की तिथि निर्धारित की गई है. सुनवाई के दौरान बिहार से आए कर्मचारियों की ओर से अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि झारखंड सरकार द्वारा जो एलपीए याचिका दायर की है, यह समय सीमा पार करने के बाद दायर की गई है, इसलिए इस याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकृत नहीं किया जाना चाहिए, लेकिन अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए उनकी आग्रह को स्वीकार करते हुए याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकृत कर लिया है.

बता दें कि झारखंड लोक सेवा आयोग के द्वारा सीमित प्रतियोगिता परीक्षा में बिहार से कैडर बंटवारा में आए बिहार के निवासी अखिलेश प्रसाद एवं अन्य को आरक्षण का लाभ नहीं दिया गया. झारखंड सरकार की उसी आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई. हाई कोर्ट की एकल पीठ ने कर्मियों को आरक्षण का लाभ दिए जाने का आदेश दिया है. हाई कोर्ट की एकल पीठ के आदेश को राज्य सरकार और झारखंड लोक सेवा आयोग ने हाई कोर्ट की डबल बेंच में चुनौती दी है. उसी याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकृत कर लिया है. मामले की अगली सुनवाई 17 दिसंबर को होगी.

सिविल जज जूनियर डिविजन नियुक्ति मामले में सुनवाई

झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में सिविल जज जूनियर डिविजन नियुक्ति मामले में दायर याचिका पर सुनवाई हुई. न्यायाधीश अपने आवासीय कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई की. वहीं, याचिकाकर्ता के अधिवक्ता और सरकार के अधिवक्ता अपने अपने आवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपना पक्ष रखा. सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से बताया गया कि प्रार्थी की नियुक्ति हो गई है, प्रार्थी की ओर से भी सरकार के जवाब पर अपनी सहमति जताई गई. अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद याचिका को निष्पादित कर दिया है.

हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति मामले में सुनवाई

झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश संजय कुमार द्विवेदी की अदालत में धनबाद जिले में हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई हुई. न्यायाधीश अपने आवासीय कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई की. वहीं, याचिकाकर्ता के अधिवक्ता और कर्मचारी चयन आयोग के अधिवक्ता अपने-अपने आवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपना पक्ष रखा. सुनवाई के दौरान प्रार्थी के अधिवक्ता ने अदालत को बताया है कि अभी तक नियुक्ति नहीं की गई है, जिस पर अदालत ने राज्य सरकार और कर्मचारी चयन आयोग को शपथ पत्र के माध्यम से अपना जवाब पेश करने को कहा है.

रांची: झारखंड हाई कोर्ट में गुरुवार को कई मामले में सुनवाई हुई. इसमें राज्य बंटवारे के समय बिहार कैडर आवंटन में आए बिहार के रहने वाले कर्मचारियों को झारखंड में आरक्षण का लाभ ना दिए जाने को लेकर झारखंड सरकार द्वारा दायर एलपीए याचिका पर सुनवाई हुई. वहीं, सिविल जज जूनियर डिविजन नियुक्ति मामले में दायर याचिका पर भी सुनवाई हुई.

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झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में राज्य बंटवारे के समय बिहार कैडर आवंटन में आए बिहार के रहने वाले कर्मचारियों को झारखंड में आरक्षण का लाभ ना दिए जाने को लेकर झारखंड सरकार द्वारा दायर एलपीए याचिका पर सुनवाई हुई. अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकृत कर लिया है. मामले की विस्तृत सुनवाई के लिए 17 दिसंबर की तिथि निर्धारित की गई है. सुनवाई के दौरान बिहार से आए कर्मचारियों की ओर से अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि झारखंड सरकार द्वारा जो एलपीए याचिका दायर की है, यह समय सीमा पार करने के बाद दायर की गई है, इसलिए इस याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकृत नहीं किया जाना चाहिए, लेकिन अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए उनकी आग्रह को स्वीकार करते हुए याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकृत कर लिया है.

बता दें कि झारखंड लोक सेवा आयोग के द्वारा सीमित प्रतियोगिता परीक्षा में बिहार से कैडर बंटवारा में आए बिहार के निवासी अखिलेश प्रसाद एवं अन्य को आरक्षण का लाभ नहीं दिया गया. झारखंड सरकार की उसी आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई. हाई कोर्ट की एकल पीठ ने कर्मियों को आरक्षण का लाभ दिए जाने का आदेश दिया है. हाई कोर्ट की एकल पीठ के आदेश को राज्य सरकार और झारखंड लोक सेवा आयोग ने हाई कोर्ट की डबल बेंच में चुनौती दी है. उसी याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकृत कर लिया है. मामले की अगली सुनवाई 17 दिसंबर को होगी.

सिविल जज जूनियर डिविजन नियुक्ति मामले में सुनवाई

झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में सिविल जज जूनियर डिविजन नियुक्ति मामले में दायर याचिका पर सुनवाई हुई. न्यायाधीश अपने आवासीय कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई की. वहीं, याचिकाकर्ता के अधिवक्ता और सरकार के अधिवक्ता अपने अपने आवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपना पक्ष रखा. सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से बताया गया कि प्रार्थी की नियुक्ति हो गई है, प्रार्थी की ओर से भी सरकार के जवाब पर अपनी सहमति जताई गई. अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद याचिका को निष्पादित कर दिया है.

हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति मामले में सुनवाई

झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश संजय कुमार द्विवेदी की अदालत में धनबाद जिले में हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई हुई. न्यायाधीश अपने आवासीय कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई की. वहीं, याचिकाकर्ता के अधिवक्ता और कर्मचारी चयन आयोग के अधिवक्ता अपने-अपने आवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपना पक्ष रखा. सुनवाई के दौरान प्रार्थी के अधिवक्ता ने अदालत को बताया है कि अभी तक नियुक्ति नहीं की गई है, जिस पर अदालत ने राज्य सरकार और कर्मचारी चयन आयोग को शपथ पत्र के माध्यम से अपना जवाब पेश करने को कहा है.

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