रांची: झारखंड में बाल कल्याण समिति (सीडब्लूसी) और न्याय बोर्ड (जेजेबी) में रिक्त पदों पर नियुक्ति की मांग को लेकर दायर याचिका पर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत ने सरकार के द्वारा मामले में हो रही लापरवाही पर कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए जवाब तलब किया है. मामले की अगली सुनवाई 6 सितंबर को होगी.
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झारखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ. रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में इस मामले पर सुनवाई हुई. अदालत ने मामले की सुनवाई अपने आवासीय कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से की. वहीं याचिकाकर्ता के अधिवक्ता और सरकार के अधिवक्ता ने अपने अपने आवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपना पक्ष रखा. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि मार्च 2020 में यह मामला सुनवाई के लिए सूचीबद्ध हुआ था. जिसमें राज्य सरकार को रिक्त पदों पर नियुक्ति संबंधी जवाब पेश करने को कहा गया था. लेकिन सरकार के द्वारा मामले में जवाब पेश नहीं किया गया. जो यह बताता है कि सरकारी अधिकारी कितने गंभीर हैं. अदालत के आदेश के बावजूद जवाब पेश नहीं करते हैं. नियुक्ति की प्रक्रिया नहीं करते हैं.
सरकार के अधिवक्ता की ओर से कोविड-19 के चलते मामले में देरी होने की बात कही गई. अदालत ने सरकारी अधिकारी की लापरवाही पर कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए जवाब पेश करने को कहा है. कोर्ट ने जवाब में ये भी बताने को कहा है कि क्यों देरी हुई. अब तक सरकार के द्वारा क्या कदम उठाया गया है. अद्यतन शपथ पत्र के माध्यम से जवाब पेश करने को कहा गया है.
बता दें कि मामले में बचपन बचाओ आंदोलन नामक संस्था के द्वारा हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है. उसी मामले में हाई कोर्ट के अधिवक्ता अनूप अग्रवाल ने भी हस्तक्षेप याचिका दायर कर राज्य में सीडब्ल्यूसी और जेजेबी में रिक्त पदों पर नियुक्ति की मांग की है. उसी मामले पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार को जवाब पेश करने को कहा है. राज्य सरकार के जवाब आने के बाद 6 सितंबर को मामले की सुनवाई होगी.