रांची: झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) के आदेश पर राजधानी रांची में जिला प्रशासन और रांची नगर निगम (Ranchi Municipal Corporation) के द्वारा चलाए जा रहे अतिक्रमण हटाने के मामले को लेकर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत ने मामले की सुनवाई के दौरान मौखिक रूप से टिप्पणी करते हुए कहा कि बरसात में किसी का घर ना तोड़ें, खासकर गरीबों को अतिक्रमण हटाने के लिए अधिक समय दें.
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अदालत ने कहा कि बड़े लोग जो अतिक्रमण किए हुए हैं, उनके अतिक्रमण को पहले हटाया जाए और ज्यादा फोकस बड़े लोगों के द्वारा किए गए अतिक्रमण पर किया जाना चाहिए. उनके मुकाबले गरीबों को अतिक्रमण हटाने के लिए अधिक समय दिया जाना चाहिए, ताकि समाज में गरीब लोगों को ऐसा न लगे कि गरीबों पर सिर्फ कार्रवाई होती है, बड़े लोगों के द्वारा किए जा रहे अतिक्रमण पर किसी भी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं होती है. सबके साथ एक समान कार्रवाई होनी चाहिए.
अतिक्रमण हटाए जाने के विरोध में याचिका दायर
झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में 19 अगस्त को अतिक्रमण हटाए जाने के बिंदु पर सुनवाई हुई. अतिक्रमण हटाए जाने के विरोध में याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि रांची नगर निगम और जिला प्रशासन की ओर से सिर्फ गरीबों के ऊपर कार्रवाई की जाती है, 2 दिन का महज समय दिया जाता है और उनका घर तोड़े जा रहे हैं. गरीब लोग बरसात में कहां जाएं? क्या करें?
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अदालत ने सबके साथ एक समान कार्रवाई का दिया आदेश
अदालत ने कहा कि 'रांची को बचाना है, तो अतिक्रमण हटाना है' अदालत सबके साथ एक समान कार्रवाई करने का आदेश देता है. अगर किसी के साथ भेदभाव हो रहा है तो यह गलत है. उन्होंने जिला प्रशासन और आरएमसी को कहा कि गरीबों को अधिक समय दें, बरसात में किसी का घर ना तोड़ें, बरसात को देखते हुए 31 सितंबर तक घर तोड़ने की कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए. अमीरों के द्वारा किए गए अतिक्रमण को पहले हटाया जाए. अदालत ने राज्य सरकार से यह जानना चाहा कि गरीबों का अतिक्रमण हटाया जा रहा है तो उसके लिए पुनर्वास की भी व्यवस्था की जानी चाहिए. इसपर राज्य सरकार क्या व्यवस्था कर रही है? इसकी विस्तृत जानकारी अगली सुनवाई के दौरान देने को कहा है.