रांची: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के सलाहकार सुनील तिवारी (Sunil Tiwari) से जुड़े एक मामले में चैता वेदिया के ओर से दायर हैविएस कॉरपस याचिका (Heavious Corpus Petition) पर झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) में सुनवाई हुई. अदालत ने मामले में सभी पक्षों को सुनने और सरकार के साथ-साथ सीडब्ल्यूसी के जवाब को देखने के बाद संतुष्टि जताते हुए याचिका को निष्पादित कर दिया है. मामले से जुड़ी बच्ची की पठन-पाठन कस्तूरबा विद्यालय में होगी. डालसा उसकी निगरानी करती रहेगी.
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न्यायाधीश अपरेश कुमार सिंह और न्यायाधीश अनुभा रावत चौधरी की युगल पीठ में मामले की सुनवाई हुई. अदालत ने मामले की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई की. सुनवाई के दौरान अदालत के पूर्व के आदेश के आलोक में सीडब्ल्यूसी की ओर से जवाब पेश किया गया. सरकार की ओर से अदालत को जानकारी दी गई कि बच्ची चाइल्ड केयर प्रोटेक्शन में रखी गई है. उसकी पठन-पाठन के लिए उसका कस्तूरबा विद्यालय में नामांकन कराया जाएगा. जिसपर अदालत ने संतुष्टि जाहिर करते हुए सरकार को उसे कस्तूरबा विद्यालय में नामांकन कराने पर सहमति दी.
अदालत ने डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विस कमेटी को दिया निगरानी का निर्देश
अदालत ने डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विस कमेटी को भी निर्देश दिया कि समय-समय पर बच्ची की मॉनिटरिंग करते रहें. अदालत ने मामले को निष्पादित कर दिया है. मामले में जो प्रार्थी की ओर से आरोप लगाया गया था कि उनके परिजन को गिरफ्तार किया गया है. उस पर सरकार की ओर से जानकारी दी गई थी कि उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया गया था. जिसे उसी दिन छोड़ दिया गया. प्रार्थी का यह आरोप गलत है.
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चैता बेदिया ने दायर की है हैवीएस कॉरपस याचिका
चैता बेदिया ने झारखंड हाई कोर्ट में हैवीएस कॉरपस याचिका दायर की थी. याचिका के माध्यम से अदालत से गुहार लगाई गई कि उनके परिजनों की रिहाई हो. साथ ही पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए उनके परिजन को अदालत में पेश किया जाए. उन्होंने याचिका के माध्यम से अदालत को जानकारी दी है कि पुलिस ने उनके पिता, बहन, पत्नी और बच्चे को गिरफ्तार कर लिया है. इसकी सूचना उन्हें नहीं दी जा रही है कि क्यों उन्हें गिरफ्तार किया गया है? कहां पर रखा गया है? कई दिन बीत गए हैं. लेकिन पुलिस ना तो उन्हें रिहा किया है और ना ही उसे किसी अदालत में पेश किया है. उन्होंने पुलिस पर आरोप लगाया है कि उनके परिवार पर सुनील तिवारी पर केस करने का दबाव बनाया जा रहा है.