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धनबाद जज मौत मामला: सीबीआई को हाई कोर्ट ने लगाई फटकार, पूछा- बिना बताए कैसे फाइल कर दी चार्जशीट

धनबाद जज मौत मामले में झारखंड हाई कोर्ट ने प्रोग्रेस रिपोर्ट पर नाराजगी जताते हुए सीबीआई को फटकार लगाई. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अफसरों पर तल्ख टिप्पणी की. कोर्ट ने पूछा कि बिना जानकारी दिए चार्जशीट कैसे फाइल कर दी गई?

Hearing in jharkhand high court in dhanbad judge death case
धनबाद जज मौत मामले में हाई कोर्ट ने सीबीआई डायरेक्टर को हाजिर होने का दिया आदेश
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Published : Oct 22, 2021, 11:58 AM IST

Updated : Oct 22, 2021, 5:06 PM IST

रांची: धनबाद के जज उत्तम आनंद मौत मामले में झारखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने सीबीआई को कड़ी फटकार लगायी है. सीबीआई की तरफ से दायर प्रगति रिपोर्ट देखते ही नाराजगी व्यक्त करते हुए कोर्ट ने जांच अधिकारी से पूछा कि पिछले तीन माह से तोते की तरह रटा रटाया जवाब क्यों पेश किया जा रहा है. इससे अच्छी तो स्टेट पुलिस है जिसने वारदात के कुछ ही घंटे बाद दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था. लेकिन सीबीआई आज भी वहीं पर है. ऐसे में सीबीआई जांच का क्या मतलब है.

ये भी पढ़ें-48 घंटे में अधिवक्ता की हत्या और एक जज की संदिग्ध हालात में मौत ने पकड़ा तूल, क्या न्यायपालिका से जुड़े लोग निशाने पर ?

बिना मोटिव धारा 302 का क्या मतलब

अदालत ने इस बात पर भी नाराजगी जतायी कि बिना बताए चार्जशीट कैसे फाइल कर दी गई. क्यों नहीं मॉनिटरिंग कर रहे अदालत को इसकी जानकारी दी गई. कोर्ट ने पूछा कि बिना मोटिव दिखाए चार्जशीट फाइल करने का क्या मतलब है. इससे तो आरोपी पर हत्या का आरोप बनेगा ही नहीं. बिना मोटिव के जब धारा 302 लगाई गई है .ऐसे में तो ट्रायल के समय यह मामला हत्या का रहेगा ही नहीं. इस तरह का चार्जशीट पेश किए जाने का क्या मतलब है.

अधिवक्ता धीरज कुमार

सचिवालय के बाबू जैसा काम कर रही है सीबीआई

हाईकोर्ट ने कहा कि सीबीआई की ओर से सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है. प्रगति रिपोर्ट देखने से ऐसा लगता है कि सीबीआई सचिवालय के बाबू जैसा काम कर रही है. हाईकोर्ट ने पूछा कि पूर्व में सीबीआई की ओर से बड़ी साजिश की आशंका जतायी गई थी. उस पर हमारी नजर है. उसका क्या हुआ. कुछ भी नहीं या इस केस को महत्व ही नहीं दिया जा रहा है.

डायरेक्टर को हाजिर होने तक पहुंच गई बात

सीबीआई के जांच रिपोर्ट से नाराजगी इतनी बढ़ गई कि हाईकोर्ट ने सीबीआई के डायरेक्टर को अगली सुनवाई के दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हाजिर रहने का आदेश दे दिया. इसपर सीबीआई के अधिवक्ता ने फिजिकल उपस्थिति में छूट देने की गुहार लगाई. शुरू में अदालत इसके लिए तैयार नहीं था. लेकिन सीबीआई अधिवक्ता के काफी गुहार लगाने के बाद अदालत ने डायरेक्टर को हाजिर होने वाली बात वापस ले ली. एक मौका देते हुए कोर्ट ने कहा कि विस्तृत और बिंदुवार जवाब पेश करें. जवाब संतोषजनक रहा तो ठीक है नहीं तो वरीय अधिकारी को अदालत में हाजिर होकर जवाब देना होगा. सीबीआई को अपने जवाब में यह बताने को कहा गया है कि किस परिस्थिति में हाई कोर्ट को बिना बताए चार्जशीट पेश किया गया. मामले की अगली सुनवाई 29 अक्टूबर को होगी.

क्या था मामला

धनबाद के जज उत्तम आनंद की मॉर्निंग वॉक के समय रणधीर वर्मा चौक पर ऑटो से धक्का लगने से मौत हो गई. उसी मामले की जांच सीबीआई को दी गई है. सीबीआई मामले की जांच कर रही है. हाई कोर्ट के आदेश के आलोक में सीबीआई की ओर से प्रगति रिपोर्ट अदालत में पेश की गई थी. अदालत ने सीबीआई की प्रगति रिपोर्ट देखने के बाद नाराजगी व्यक्त की और फिर से प्रगति रिपोर्ट पेश करने को कहा है.

रांची: धनबाद के जज उत्तम आनंद मौत मामले में झारखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने सीबीआई को कड़ी फटकार लगायी है. सीबीआई की तरफ से दायर प्रगति रिपोर्ट देखते ही नाराजगी व्यक्त करते हुए कोर्ट ने जांच अधिकारी से पूछा कि पिछले तीन माह से तोते की तरह रटा रटाया जवाब क्यों पेश किया जा रहा है. इससे अच्छी तो स्टेट पुलिस है जिसने वारदात के कुछ ही घंटे बाद दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था. लेकिन सीबीआई आज भी वहीं पर है. ऐसे में सीबीआई जांच का क्या मतलब है.

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बिना मोटिव धारा 302 का क्या मतलब

अदालत ने इस बात पर भी नाराजगी जतायी कि बिना बताए चार्जशीट कैसे फाइल कर दी गई. क्यों नहीं मॉनिटरिंग कर रहे अदालत को इसकी जानकारी दी गई. कोर्ट ने पूछा कि बिना मोटिव दिखाए चार्जशीट फाइल करने का क्या मतलब है. इससे तो आरोपी पर हत्या का आरोप बनेगा ही नहीं. बिना मोटिव के जब धारा 302 लगाई गई है .ऐसे में तो ट्रायल के समय यह मामला हत्या का रहेगा ही नहीं. इस तरह का चार्जशीट पेश किए जाने का क्या मतलब है.

अधिवक्ता धीरज कुमार

सचिवालय के बाबू जैसा काम कर रही है सीबीआई

हाईकोर्ट ने कहा कि सीबीआई की ओर से सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है. प्रगति रिपोर्ट देखने से ऐसा लगता है कि सीबीआई सचिवालय के बाबू जैसा काम कर रही है. हाईकोर्ट ने पूछा कि पूर्व में सीबीआई की ओर से बड़ी साजिश की आशंका जतायी गई थी. उस पर हमारी नजर है. उसका क्या हुआ. कुछ भी नहीं या इस केस को महत्व ही नहीं दिया जा रहा है.

डायरेक्टर को हाजिर होने तक पहुंच गई बात

सीबीआई के जांच रिपोर्ट से नाराजगी इतनी बढ़ गई कि हाईकोर्ट ने सीबीआई के डायरेक्टर को अगली सुनवाई के दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हाजिर रहने का आदेश दे दिया. इसपर सीबीआई के अधिवक्ता ने फिजिकल उपस्थिति में छूट देने की गुहार लगाई. शुरू में अदालत इसके लिए तैयार नहीं था. लेकिन सीबीआई अधिवक्ता के काफी गुहार लगाने के बाद अदालत ने डायरेक्टर को हाजिर होने वाली बात वापस ले ली. एक मौका देते हुए कोर्ट ने कहा कि विस्तृत और बिंदुवार जवाब पेश करें. जवाब संतोषजनक रहा तो ठीक है नहीं तो वरीय अधिकारी को अदालत में हाजिर होकर जवाब देना होगा. सीबीआई को अपने जवाब में यह बताने को कहा गया है कि किस परिस्थिति में हाई कोर्ट को बिना बताए चार्जशीट पेश किया गया. मामले की अगली सुनवाई 29 अक्टूबर को होगी.

क्या था मामला

धनबाद के जज उत्तम आनंद की मॉर्निंग वॉक के समय रणधीर वर्मा चौक पर ऑटो से धक्का लगने से मौत हो गई. उसी मामले की जांच सीबीआई को दी गई है. सीबीआई मामले की जांच कर रही है. हाई कोर्ट के आदेश के आलोक में सीबीआई की ओर से प्रगति रिपोर्ट अदालत में पेश की गई थी. अदालत ने सीबीआई की प्रगति रिपोर्ट देखने के बाद नाराजगी व्यक्त की और फिर से प्रगति रिपोर्ट पेश करने को कहा है.

Last Updated : Oct 22, 2021, 5:06 PM IST
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