रांचीः दलबदल से जुड़े मामले में दायर बाबूलाल मरांडी की याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई(Babulal Marandi defection case). याचिका में विधानसभा न्यायाधिकरण पर पक्षपाथ का आरोप लगाया गया है. कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अदालत से आग्रह किया गया कि इस मामले में कांग्रेस विधायक दीपिका पांडेय सिंह, जो शिकायतकर्ता हैं, जिन्हें प्रतिवादी भी बनाया गया है. ऐसे में मेंटिबिलिटी पर सुनवाई के दौरान दीपिका पांडे सिंह की बात भी सुन ली जाए, इसके बाद कोर्ट अपना आदेश पारित करे. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता के आग्रह को स्वीकार करते हुए कोर्ट ने दीपिका पांडे सिंह को भी मामले में नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है.
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विधानसभा की ओर से अधिवक्ता ने अदालत से कहा गया कि बाबूलाल मरांडी की ओर से दाखिल रिट याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. यह भी कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट के न्यायादेश के आलोक में इस याचिका पर हाइकोर्ट की ओर से कोई आदेश पारित करना उचित नहीं है. झारखंड विधानसभा की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता संजय हेगड़े ने पैरवी की. अदालत ने पक्ष सुनने के उपरांत मामले की अगली सुनवाई के लिए 9 नवंबर की तिथि निर्धारित की है.
सुनवाई के दौरान विधानसभा की ओर से कोर्ट को बताया गया कि अभी इस मामले में विधानसभा अध्यक्ष के न्यायाधिकरण की ओर से कोई जजमेंट पास नहीं हुआ है. प्रार्थी के पक्ष में भी फैसला आ सकता है. इसलिए यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. वहीं प्रार्थी की ओर से कहा गया कि बिना गवाही कराये ही स्पीकर के न्यायाधिकरण ने फैसला सुरक्षित रखा है. स्पीकर के न्यायाधिकरण में बाबूलाल मरांडी और प्रदीप यादव के मामले में अलग-अलग तरीके से सुनवाई हो रही है, जो अनुचित है. यह सुनवाई हाइकोर्ट के न्यायमूर्ति राजेश शंकर की कोर्ट में हुई.
प्रार्थी की ओर वरीय अधिवक्ता वीपी सिंह और अधिवक्ता विनोद कुमार साहू ने पैरवी की. रिट याचिका में कहा गया है कि स्पीकर ने नियम संगत सुनवाई नहीं की है. स्पीकर के न्यायाधिकरण में संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत सुनवाई में भेदभाव हो रहा है. गवाही खत्म होने के बाद उन्हें पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया है. 30 सितंबर को सुनवाई खत्म कर ली गई है. फैसला कभी भी सुनाया जा सकता है. कहा गया है कि जिस मामले में बाबूलाल प्रतिवादी हैं उसकी सुनवाई कुछ अलग तरीके से हो रही है और जिस मामले में प्रदीप यादव प्रतिवादी है उसमें अलग तरीके से सुनवाई हो रही है. यहां उल्लेखनीय है कि बाबूलाल मरांडी वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में झाविमो उम्मीदवार के रूप में जीते थे लेकिन उसके बाद उन्होंने जेवीएम का विलय भाजपा में कर दिया था. जिसे लेकर उनके खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष दल बदल का मामला दर्ज किया गया है.