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झारखंड के गांव बन रहे हैं नशा मुक्त और राजधानी में हड़िया बन गई दवा - हड़िया का सेवन

राजधानी से सटे ओरमांझी का वनटोलवा गांव को नशा मुक्त घोषित कर दिया गया है, लेकिन दूसरी तरफ घर में बने राइस बियर का धड़ल्ले से दवाई के रूप में उपयोग किया जाता है. लोग इसे अपने धर्म और पारंपरा से जोड़कर खुलेआम इसकी बिक्री करते हैं.

Hadiya is used as medicine in jharkhand
खुलेआम हड़िया की बिक्री
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Published : Jan 18, 2020, 8:53 PM IST

Updated : Jan 18, 2020, 9:48 PM IST

रांचीः झारखंड की राजधानी रांची का एक ऐसा गांव जहां पूरी तरह से गांव को नशा मुक्त कर दिया गया है. ओरमांझी प्रखंड की वनलोटवा गांव पूरी तरह से शराब मुक्त हो गया है. जिले के इस गांव में अब कोई भी शराब नहीं पीता है और गांव को नशा मुक्त करने का संकल्प ग्रामीणों की एकजुटता के कारण संभव हो पाया है, लेकिन दूसरी तरफ राजधानी रांची के हाट बाजार चौक चौराहों पर एक नशीला पेय पदार्थ सरेआम बिकता है और लोग इसे दवाई के रूप में इस्तेमाल करते हैं. जिसे हड़िया के नाम से जाना जाता है. इस पेय पदार्थ का इस्तेमाल करने से जॉन्डिस जैसे खतरनाक बीमारी भी नहीं होती है.

देखें स्पेशल स्टोरी

नशा मुक्त बना गांव
ओरमांझी प्रखंड का वनलोटवा गांव नशा मुक्त गांव होने के कारण पूरे झारखंड में मिसाल बन गया है और उसी गांव के बुद्धिजीवी और युवा के दृढ़ संकल्प के कारण यह इलाका पूरी तरह से नशा मुक्त हो गया है. वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि 2 साल पहले सामाजिक तौर पर सभी ने बैठक कर गांव में नशा मुक्त बनाने का संकल्प लिया था. जिसके बाद गांव पूरी तरह से नशा मुक्त हो गया है.

गांव का हो रहा विकास
बताया जाता है कि पहले जलगांव नशा की गिरफ्त में था जिसके कारण हर घर में लड़ाई झगड़ा होता रहता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है इस गांव के लोग समझदार हो गए हैं और लोग समझदारी का काम कर रहे हैं. स्थानीय महिलाओं का कहना है कि यह गांव जबसे नशा मुक्त हुआ है तब से यहां अब लड़ाई झगड़ा नहीं होता है और इस गांव का विकास हो रहा है. यह सिर्फ गांव के लोगों के दृढ़ संकल्प के कारण हुआ हैं. जिसके कारण यह गांव एक मिसाल के रूप में उभर कर सामने आया है.

चावल और रानू से बनता है यह बियर
बात करें राजधानी रांची के विभिन्न हाट बाजार और चौक चौराहों पर झारखंडी पेय पदार्थ हड़िया ( राइस बियर) की बिक्री जोरों पर होता है. इस पेय पदार्थ को लोग अपने धर्म संस्कृति से भी जोड़कर बताते हैं. यह दिखने में सफेद रंग का होता और जो सिर्फ चावल और रानू से बनाया जाता है. ग्रामीण स्तर पर महिला इसे बेचकर अपनी जीविका भी चलाते हैं.

ये भी पढ़ें- तीन बेटों की 'बूढ़ी मां' की दर्द भरी दास्तां, राज्य महिला आयोग ने बेटों को किया सचेत

नवजात बच्चों के लिए फायदेमंद
बाजार में बेच रहीं महिला का कहना है कि हड़िया पीने से किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होता बल्कि इसमें औषधि गुण होता है, जिससे जोंडिस जैसी खतरनाक बीमारी नहीं होती है. लोगों का कहना है कि बच्चे के पैदा होने के तुरंत बाद नवजात शिशु को एक चम्मच हड़िया पिलाया जाता है ताकि उसके अंदर का सारा कचरा बाहर आ सके. उनका कहना है कि इस घर में चावल से बनाया जाता है. इसलिए इससे किसी चरह का कोई नुकसान नहीं होता है.

धर्म और परंपरा से जोड़ा जा रहा
बहरहाल, जहां गांव नशा मुक्त की ओर बढ़ रहा है और लोग संकल्पित हो रहे हैं तो दूसरी तरफ लोग धर्म पारंपरिक को जोड़कर हड़िया की बिक्री खुलेआम कर रहे हैं.

रांचीः झारखंड की राजधानी रांची का एक ऐसा गांव जहां पूरी तरह से गांव को नशा मुक्त कर दिया गया है. ओरमांझी प्रखंड की वनलोटवा गांव पूरी तरह से शराब मुक्त हो गया है. जिले के इस गांव में अब कोई भी शराब नहीं पीता है और गांव को नशा मुक्त करने का संकल्प ग्रामीणों की एकजुटता के कारण संभव हो पाया है, लेकिन दूसरी तरफ राजधानी रांची के हाट बाजार चौक चौराहों पर एक नशीला पेय पदार्थ सरेआम बिकता है और लोग इसे दवाई के रूप में इस्तेमाल करते हैं. जिसे हड़िया के नाम से जाना जाता है. इस पेय पदार्थ का इस्तेमाल करने से जॉन्डिस जैसे खतरनाक बीमारी भी नहीं होती है.

देखें स्पेशल स्टोरी

नशा मुक्त बना गांव
ओरमांझी प्रखंड का वनलोटवा गांव नशा मुक्त गांव होने के कारण पूरे झारखंड में मिसाल बन गया है और उसी गांव के बुद्धिजीवी और युवा के दृढ़ संकल्प के कारण यह इलाका पूरी तरह से नशा मुक्त हो गया है. वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि 2 साल पहले सामाजिक तौर पर सभी ने बैठक कर गांव में नशा मुक्त बनाने का संकल्प लिया था. जिसके बाद गांव पूरी तरह से नशा मुक्त हो गया है.

गांव का हो रहा विकास
बताया जाता है कि पहले जलगांव नशा की गिरफ्त में था जिसके कारण हर घर में लड़ाई झगड़ा होता रहता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है इस गांव के लोग समझदार हो गए हैं और लोग समझदारी का काम कर रहे हैं. स्थानीय महिलाओं का कहना है कि यह गांव जबसे नशा मुक्त हुआ है तब से यहां अब लड़ाई झगड़ा नहीं होता है और इस गांव का विकास हो रहा है. यह सिर्फ गांव के लोगों के दृढ़ संकल्प के कारण हुआ हैं. जिसके कारण यह गांव एक मिसाल के रूप में उभर कर सामने आया है.

चावल और रानू से बनता है यह बियर
बात करें राजधानी रांची के विभिन्न हाट बाजार और चौक चौराहों पर झारखंडी पेय पदार्थ हड़िया ( राइस बियर) की बिक्री जोरों पर होता है. इस पेय पदार्थ को लोग अपने धर्म संस्कृति से भी जोड़कर बताते हैं. यह दिखने में सफेद रंग का होता और जो सिर्फ चावल और रानू से बनाया जाता है. ग्रामीण स्तर पर महिला इसे बेचकर अपनी जीविका भी चलाते हैं.

ये भी पढ़ें- तीन बेटों की 'बूढ़ी मां' की दर्द भरी दास्तां, राज्य महिला आयोग ने बेटों को किया सचेत

नवजात बच्चों के लिए फायदेमंद
बाजार में बेच रहीं महिला का कहना है कि हड़िया पीने से किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होता बल्कि इसमें औषधि गुण होता है, जिससे जोंडिस जैसी खतरनाक बीमारी नहीं होती है. लोगों का कहना है कि बच्चे के पैदा होने के तुरंत बाद नवजात शिशु को एक चम्मच हड़िया पिलाया जाता है ताकि उसके अंदर का सारा कचरा बाहर आ सके. उनका कहना है कि इस घर में चावल से बनाया जाता है. इसलिए इससे किसी चरह का कोई नुकसान नहीं होता है.

धर्म और परंपरा से जोड़ा जा रहा
बहरहाल, जहां गांव नशा मुक्त की ओर बढ़ रहा है और लोग संकल्पित हो रहे हैं तो दूसरी तरफ लोग धर्म पारंपरिक को जोड़कर हड़िया की बिक्री खुलेआम कर रहे हैं.

Intro:रांची

विसुआल live u से गई है......

jh_ran_01_liveu_nasha_mukt_village_pkg_jh10015

बाइट---दीपक कच्छप वनलोटवा गांव
बाइट---देवन्ती देवी वनलोटवा गांव
बाइट---चम्पू उराइन हडिया बेचती महिला
बाइट---गोपाल महली ग्रहक


झारखंड की राजधानी रांची का एक ऐसा गांव जहां पर पूरी तरह से गांव को नशा मुक्त कर दिया गया है ओरमांझी प्रखंड की वनलोटवा गांव पूरी तरह से शराब मुक्त हो गया है जिले के इस गांव में अब कोई भी शराब नहीं पीता है और गांव को नशा मुक्त करने का संकल्प ग्रामीणों की एकजुटता के कारण संभव हो पाया है। लेकिन वहीं दूसरी तरफ राजधानी रांची के हाट बाजार चौक चौराहों पर एक नशीला पेय पदार्थ सरेआम बिकती है और लोग इसे दवाई के रूप में इस्तेमाल करते हैं। नाम है हड़िया...इस पे पदार्थ के इस्तेमाल करने से जौंडिस जैसे खतरनाक बीमारी नहीं होती है।


ओरमांझी प्रखंड का वनलोटवा गांव नशा मुक्त गांव होने के कारण पूरे झारखंड में मिसाल बन गया है और उसी गांव के बुद्धिजीवी और युवा के दृढ़ संकल्प के कारण जगह पूरी तरह से नशा मुक्त हो गया है स्थानीय लोगों की मानें तो 2 साल पहले सामाजिक तौर पर सभी ने बैठक कर गांव में नशा मुक्त बनाने का संकल्प लिया जिसके बाद जगा पूरी तरह से नशा मुक्त हो गया है पहले जलगांव नशा की गिरफ्त में था जिसके कारण हर घर में लड़ाई झगड़ा होता रहता था लेकिन अब ऐसा नहीं है इस गांव के लोग समझदार हो गए हैं और लोग समझदारी का काम कर रहे हैं। स्थानीय महिला की माने तो यह गांव जबसे नशा मुक्त हुआ है तब से या गांव अब लड़ाई झगड़ा से भी मुक्त हो गया है। जो लोग पहले नशे की गिरफ्त में रोज दो बार आते थे अब अपने बच्चों को पढ़ाई लिखाई करा रहे हैं इस गांव का विकास हो रहा है और यह सिर्फ गांव के लोगों के दृढ़ संकल्प के कारण हुए हैं जिसके कारण या गांव एक मिसाल के रूप में उभर कर सामने आया है।


Body:दूसरी तरफ बात करें राजधानी रांची के विभिन्न हाट बाजार और चौक चौराहों पर झारखंडी पेय पदार्थ हड़िया ( राइस बियर) का बिक्री जोरों पर होता है। इस पेय पदार्थ को लोग अपने धर्म संस्कृति से भी जोड़कर बताते हैं . दिखने में सफेद रंग का पे पदार्थ होता है और जो सिर्फ चावल और रानू से बनाया जाता है ग्रामीण स्तर पर महिला इसे बेचकर अपनी जीविका भी चलाते हैं बाजार में बेच रही महिला की माने तो हरिया से किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होता बल्कि इसमें औषधि कौन है जोंडिस जैसी खतरनाक बीमारी इसके सेवन करने से नहीं होती है। पैदा होने के तुरंत बाद नवजात शिशु को एक चम्मच हड़िया पिलाया जाता है ताकि उसके अंदर का सारा कचरा बाहर आ सके। साथ ही उन्होंने बताया कि यह हमारी धर्म संस्कृति से भी जुड़ा हुआ है हम आदिवासियों के सभी कार्यक्रम में हरिया का इस्तेमाल होता है चाहे वह शादी हो श्राद्ध हो छठी हो या फिर पूजा हो सभी में हमारे पूर्वज को इसी हड़िया अर्पित कर खुश किया जाता है। इसमें नशा मात्र नाम पर का होता है लेकिन इसके फायदे अनेक है क्योंकि यह सिर्फ चावल से बना हुआ होता है


हट बजाए में हड़िया पेय पदार्थ इस्तेमाल करने वाले युवक ने बताया कि वह लंबे वर्ष से इस हरिया का सेवन कर रहा हूं लेकिन मुझे आज तक कोई भी बीमारी नहीं हुई है हां साथ ही उन्होंने कहा कि किसी भी चीज का ज्यादा सेवन करने से उसका दुष्प्रभाव जरूर होता है क्योंकि लोग अगर खाना भी ज्यादा खाते हैं तो उससे भी फ़ूडपोजनिग होता है लेकिन अगर इसका इस्तेमाल हम लिए सीमित मात्रा में करें तो यह नुकसान नहीं बल्कि फायदा देता है झारखंड में इसे (राइस बीयर) के नाम से जाना जाता है और यह सिर्फ झारखंड में ही उपलब्ध है अन्य राज्य में या नहीं मिलता है


Conclusion:एक तरफ जहां गांव नशा मुक्त की ओर बढ़ रहा है और लोग संकल्पित हो रहे हैं तो दूसरी तरफ लोग धर्म पारंपरिक को जोड़कर हड़िया का बिक्री खुलेआम कर रहे हैं।
Last Updated : Jan 18, 2020, 9:48 PM IST
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