रांची: राज्यपाल रमेश बैस ने स्वयंसेवी संस्था विकास भारती द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर पौधारोपण, जल संरक्षण एवं जन-स्वास्थ्य अभियान के राज्यस्तरीय कार्यक्रम का शुभारंभ किया. विकास भारती के बरियातू स्थित परिसर में वृक्षारोपण कर राज्यपाल ने राज्यवासियों से पर्यावरण संरक्षण के प्रति सजग रहने की अपील की. इस दौरान उन्होंने लोगों को आने वाली पीढ़ी के लिए प्रकृति की सुरक्षा का प्रण लेने के लिए कहा.
ये भी पढ़ें: जानिए, क्यों दिखावा बनकर रह गया है झारखंड में पर्यावरण संरक्षण को लेकर वृक्षारोपण का कार्यक्रम
राज्यपाल ने समाजसेवी पदम अशोक भगत के कार्यों की सराहना करते हुए कि जो व्यक्ति अपने देश और समाज के लिए कुछ करते हैं, उसका नाम सदा रहता है. विकास भारती द्वारा पर वृक्षारोपण, जल संरक्षण एवं जन-स्वास्थ्य अभियान समाज हित में एक नेक पहल है. गवर्नर रमेश बैस ने पर्यावरण एवं जन-स्वास्थ्य के प्रति संवेदनशील होकर इस प्रकार के प्रयास करने के लिए स्वयंसेवी संस्था ‘विकास भारती’ के प्रयासों की सराहना की.
राज्यपाल ने कहा कि आज धरती के चारों तरफ सुरक्षात्मक ओजोन परत दिन-प्रतिदिन पतली होती जा रही है, जिससे धरती पर रहनेवाले सभी जीव-जंतुओं के अस्तित्व पर एक प्रश्नचिन्ह लग गया है.
पर्यावरण असंतुलन के कारण ही अनावृष्टि, अल्पवृष्टि एवं सुखाड़ से लोग प्रभावित हो रहे हैं. भूगर्भ जल लगातार नीचे जा रहा है. वृक्षों एवं पहाड़ों की अन्धाधुन्ध कटाई से प्रकृति विनाश की ओर जा रही है. फसल चक्र भी प्रभावित हो रहा है. नदियों का पानी दूषित हो गया है. ऐसे में हमें सामाजिक दायित्व को समझना होगा. पर्यावरण संतुलन को ध्यान में रखकर कार्य करने की जरूरत है साथ ही वर्षा जल संचयन की दिशा में भी ध्यान देने की जरूरत है ताकि वाटर लेवल सही रहे.
राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि झारखंड में प्रकृति ने खूबसूरती के साथ प्रचुर मात्रा में खनिज संपदा दियाअगर इसका सुनियोजित और योजनाबद्ध तरीके से उपयोग किया जाय तो दुनिया की कोई ताकत हमारे राज्य की तेज गति से समृद्धि की राह पर जाने से रोक नहीं सकती. सिर्फ पर्यावरण संतुलन को ध्यान में रखते हुए इसके लिए भी कार्य करने की जरूरत है. राज्यपाल ने स्पष्ट किया कि उनके कहने का मतलब यह नहीं कि पर्यावरण संतुलन के लिए राज्य में उद्योग-धंधे, कल-कारखाने नहीं स्थापित हो. औद्योगिक विकास हो, लेकिन संतुलन जरूरी है, औद्योगिकीकरण और पर्यावरण में संतुलन होना चाहिये. औद्योगिकीकरण पर्यावरण की कीमत पर नहीं किया जाना चाहिए.