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शिक्षकों को अब नहीं लगाना होगा कार्यालयों का चक्कर, शिक्षक न्यायाधिकरण में सुनी जाएगी समस्याएं - रांची की खबर

राज्य के शिक्षकों के लिए झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण अधिनियम में राज्य सरकार बदलाव करने जा रही है. अधिनियम में बदलाव से शिक्षकों को एक साथ कई परेशानियों से छुटकारा मिल जाएगा. शिक्षकों ने राज्य सरकार की इस पहल की सराहना की है.

Education Tribunal Act
झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण अधिनियम
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Published : Feb 16, 2022, 1:49 PM IST

Updated : Feb 16, 2022, 2:10 PM IST

रांची: अब राज्य के शिक्षकों को अपनी परेशानियों और समस्याओं को लेकर कार्यालयों का चक्कर नहीं काटना पड़ेगा .इसके लिए राज्य सरकार की ओर से शिक्षक न्यायाधिकरण को सशक्त करने के लिए अधिनियम में बदलाव करने की तैयारी की जा रही है .शिक्षकों ने राज्य सरकार की इस पहल की सराहना की है.

ये भी पढ़ें- सर्वाइकल कैंसर को लेकर स्वास्थ्य मंत्री के साथ डॉक्टरों की बैठक, रोकथाम के उपायों पर हुई चर्चा

शिक्षकों की समस्या का होगा समाधान
झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण अधिनियम में राज्य सरकार बदलाव करने की तैयारी कर कर रही है. स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग के ऐसे कई मामले हैं जो झारखंड हाई कोर्ट में लंबित है. लेकिन समय पर उसका निपटारा नहीं हो पा रहा है. इन मामलों में शिक्षकों से जुड़े अधिकतर मामले हैं. शिक्षक भी विभिन्न कार्यालयों का चक्कर काट कर अपनी परेशानी और समस्याओं को सुलझाने के लिए भटकते रहते हैं. समस्या को दूर करने के उद्देश्य से ही राज्य सरकार यह पहल करने जा रही है.

देखें वीडियो

झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण अधिनियम में बदलाव

झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण अधिनियम में बदलाव से ना केवल जिला शिक्षा कार्यालय बल्कि विभाग और इसके निदेशालय का भी अधिक समय कोर्ट के मामलों में नहीं लगेगा. शिक्षक और शिक्षा विभाग न्यायाधिकरण में अपनी शिकायत दर्ज करा सकेंगे. अब शिक्षक पहले न्यायाधिकरण जाएंगे. यहां सुनवाई नहीं होने पर ही कोर्ट का दरवाजा वह खटखटाएंगे. इससे विभाग को भी कोर्ट का चक्कर नहीं काटना पड़ेगा और त्वरित मामलों का निष्पादन हो पाएगा.

यह है वर्तमान व्यवस्था
वर्तमान व्यवस्था के तहत सरकारी शिक्षक अपनी शिकायतों को स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग के प्रखंड और जिला स्तरीय कार्यालयों में दर्ज करवाते हैं. जिसमे कई चरण होते हैं. शिकायत विभाग पहुंचती है और उसके बाद कोर्ट में मामले लंबित हो जाते हैं.जिससे शिक्षकों की परेशानी और बढ़ जाती है. शिक्षक अपनी शिकायतें उनकी सेवा शर्तों से जुड़ने वाले मामलों को इसी प्लेटफार्म पर रखेंगे और अगर यदि कोई शिक्षक न्यायाधिकरण के फैसले से संतुष्ट नहीं होते हैं तो उन्हें हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने का मौका दिया जाएगा.व्यवस्था में ऐसे भी बदलाव हो रहे है .जिससे कि शिक्षकों को सीधे कोर्ट जाने से पहले न्यायाधिकरण में वह मामलों को लेकर पहुंचेंगे. इसके अलावा अभिभावकों और स्कूलों के शिक्षकों को भी अपनी शिकायतों को दर्ज कराने का मौका दिया जाएगा. निजी स्कूलों के मामले भी इस प्लेटफार्म में रखा जा सकता है.

शिक्षकों में खुशी
सरकार के इस पहल के बाद राज्य के शिक्षकों ने खुशी जाहिर की है. शिक्षकों का कहना है कि अगर यह योजना बेहतर तरीके से संचालित किया जाए .तो कहीं ना कहीं राज्य के शिक्षकों को काफी फायदा मिलेगा. इस योजना से शिक्षकों को सीधा सीधा लाभ मिल रहा है. हालांकि अब तक शिक्षक न्यायाधिकरण में अध्यक्ष नियुक्त नहीं किए गए हैं. नियमावली में बदलाव से पहले इस पद को भरा जाना आवश्यक है.

रांची: अब राज्य के शिक्षकों को अपनी परेशानियों और समस्याओं को लेकर कार्यालयों का चक्कर नहीं काटना पड़ेगा .इसके लिए राज्य सरकार की ओर से शिक्षक न्यायाधिकरण को सशक्त करने के लिए अधिनियम में बदलाव करने की तैयारी की जा रही है .शिक्षकों ने राज्य सरकार की इस पहल की सराहना की है.

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शिक्षकों की समस्या का होगा समाधान
झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण अधिनियम में राज्य सरकार बदलाव करने की तैयारी कर कर रही है. स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग के ऐसे कई मामले हैं जो झारखंड हाई कोर्ट में लंबित है. लेकिन समय पर उसका निपटारा नहीं हो पा रहा है. इन मामलों में शिक्षकों से जुड़े अधिकतर मामले हैं. शिक्षक भी विभिन्न कार्यालयों का चक्कर काट कर अपनी परेशानी और समस्याओं को सुलझाने के लिए भटकते रहते हैं. समस्या को दूर करने के उद्देश्य से ही राज्य सरकार यह पहल करने जा रही है.

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झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण अधिनियम में बदलाव

झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण अधिनियम में बदलाव से ना केवल जिला शिक्षा कार्यालय बल्कि विभाग और इसके निदेशालय का भी अधिक समय कोर्ट के मामलों में नहीं लगेगा. शिक्षक और शिक्षा विभाग न्यायाधिकरण में अपनी शिकायत दर्ज करा सकेंगे. अब शिक्षक पहले न्यायाधिकरण जाएंगे. यहां सुनवाई नहीं होने पर ही कोर्ट का दरवाजा वह खटखटाएंगे. इससे विभाग को भी कोर्ट का चक्कर नहीं काटना पड़ेगा और त्वरित मामलों का निष्पादन हो पाएगा.

यह है वर्तमान व्यवस्था
वर्तमान व्यवस्था के तहत सरकारी शिक्षक अपनी शिकायतों को स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग के प्रखंड और जिला स्तरीय कार्यालयों में दर्ज करवाते हैं. जिसमे कई चरण होते हैं. शिकायत विभाग पहुंचती है और उसके बाद कोर्ट में मामले लंबित हो जाते हैं.जिससे शिक्षकों की परेशानी और बढ़ जाती है. शिक्षक अपनी शिकायतें उनकी सेवा शर्तों से जुड़ने वाले मामलों को इसी प्लेटफार्म पर रखेंगे और अगर यदि कोई शिक्षक न्यायाधिकरण के फैसले से संतुष्ट नहीं होते हैं तो उन्हें हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने का मौका दिया जाएगा.व्यवस्था में ऐसे भी बदलाव हो रहे है .जिससे कि शिक्षकों को सीधे कोर्ट जाने से पहले न्यायाधिकरण में वह मामलों को लेकर पहुंचेंगे. इसके अलावा अभिभावकों और स्कूलों के शिक्षकों को भी अपनी शिकायतों को दर्ज कराने का मौका दिया जाएगा. निजी स्कूलों के मामले भी इस प्लेटफार्म में रखा जा सकता है.

शिक्षकों में खुशी
सरकार के इस पहल के बाद राज्य के शिक्षकों ने खुशी जाहिर की है. शिक्षकों का कहना है कि अगर यह योजना बेहतर तरीके से संचालित किया जाए .तो कहीं ना कहीं राज्य के शिक्षकों को काफी फायदा मिलेगा. इस योजना से शिक्षकों को सीधा सीधा लाभ मिल रहा है. हालांकि अब तक शिक्षक न्यायाधिकरण में अध्यक्ष नियुक्त नहीं किए गए हैं. नियमावली में बदलाव से पहले इस पद को भरा जाना आवश्यक है.

Last Updated : Feb 16, 2022, 2:10 PM IST
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