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सीएम हेमंत सोरेन धमकी मामला: जर्मनी सरकार का जानकारी देने से इंकार, कहा- सर्वर से डिलीट हुआ डाटा

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Published : Mar 30, 2022, 7:09 AM IST

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को धमकी मामले में झारखंड पुलिस को झटका लगा है. इंटरपोल से मदद मांगने के बाद जर्मन सरकार की तरफ से जानकारी देने से इंकार किया गया है. जर्मन सर्वर में डाटा संरक्षित नहीं होने की वजह से इनकार के बाद अब शायद ही ये पता चल पाएगा कि सीएम हेमंत सोरेन को धमकी किसने दी थी.

Jharkhand Police
झारखंड पुलिस

रांची: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को धमकी किसने दी इसका पता अब शायद ही चल पाए. जर्मन सर्वर का इस्तेमाल कर धमकी देने के इस मामले में इंटरपोल से मदद मांगने के बाद जर्मनी सरकार ने जवाब दिया है. जर्मन सर्वर में डाटा संरक्षित नहीं होने के कारण अब यह जानकारी हासिल नहीं हो पाएगी कि किसने सीएम हेमंत सोरेन को धमकी दी है.

ये भी पढ़ें- सीएम को मिली धमकी की हो रही जांच, खास निष्कर्ष पर पहुंचने के बाद दी जाएगी जानकारी: DGP

इंटरपोल से मांगी गई थी मदद: मुख्यमंत्री को साइबर अपराधियों ने जर्मन कंपनी के सर्वर से मेल भेजा था. जिसके बाद इंटरपोल के जरिये जर्मनी से सर्वर का डिटेल मांगा गया था. लेकिन अब जर्मन सरकार ने इंटरपोल के जरिए पत्राचार किया है. जिसमें बताया गया है कि संबंधित सर्वर में डाटा एक साल तक ही संरक्षित होता है. अब डाटा नहीं होने के कारण इसे इंटरपोल को नहीं सौंपा जा सकता. इसके बाद इंटरपोल ने इस संबंध में राज्य पुलिस की सीआईडी को जानकारी दे दी है. पूरे मामले में साइबर थाने में दर्ज कांड के अनुसंधानक ने सीबीआई के जरिए इंटरपोल को पत्र लिखकर केस में मदद मांगी थी. लेकिन अब डाटा की अनुपलब्धा के कारण यह जानकारी नहीं मिल पाएगी कि किसने इसका इस्तेमाल कर धमकी भरा मेल सीएम व अधिकारियों को भेजे थे.

जर्मन सर्वर का प्रयोग इसलिए मांगी मदद: दरअसल मामले की जांच के दौरान पुलिस को जानकारी मिली थी कि जिस सर्वर से मुख्यमंत्री को लगातार धमकियां मिली थीं उसका सर्वर जर्मनी में है. विदेशी सर्वर से जानकारी जुटाने के लिए इंटरपोल की मदद की जरूरत थी. इंटरपोल से राज्य की पुलिस सीधे अनुरोध नहीं कर सकती, इसलिए सीबीआई के जरिए ही इंटरपोल से मामले में कार्रवाई करायी जा सकती है. ऐसे में केस के अनुसंधानक ने सीआईडी मुख्यालय के आदेश से सीबीआई मुख्यालय दिल्ली को पत्र लिखा था. साइबर थाना के जांच पदाधिकारी ने इंटरपोल से मदद लेने के लिए कोर्ट में आवेदन भी दिया था.

ये भी पढ़ें- बाबूलाल मरांडी ने CM हेमंत सोरेन को लिखा पत्र, कहा- धमकी मामले में इंटरपोल की लें मदद

अबतक तीन बार मिल चुकी है धमकी: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पिछले वर्ष जुलाई महीने में भी ई-मेल भेजकर धमकी दी गई थी. अपराधियों ने आठ और 17 जुलाई 2020 को ई-मेल भेजकर धमकी दी थी. इस मामले में रांची के साइबर थाने में पहले भी दो अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज की गई थी. दोनों ई-मेल भेजने में जर्मनी व स्विटजरलैंड के अलग-अलग सर्वर का प्रयोग किया गया था. जानकारी के मुताबिक पहली बार 8 जुलाई 2020 को मुख्यमंत्री सचिवालय में धमकी भरा मेल आया था. इसमें मुख्यमंत्री को धमकाते हुए उड़ाने की धमकी दी गई थी. इस मामले में 13 जुलाई 2020 को स्पेशल ब्रांच के इंस्पेक्टर के बयान पर एफआईआर दर्ज करायी गई थी. बाद में जुलाई महीने में दो अन्य बार अलग अलग मेल के जरिए धमकी भेजी गई थी. हर बार धमकी भरा मेल भेजने में विदेशी सर्वर का ही इस्तेमाल हुआ था.

रांची: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को धमकी किसने दी इसका पता अब शायद ही चल पाए. जर्मन सर्वर का इस्तेमाल कर धमकी देने के इस मामले में इंटरपोल से मदद मांगने के बाद जर्मनी सरकार ने जवाब दिया है. जर्मन सर्वर में डाटा संरक्षित नहीं होने के कारण अब यह जानकारी हासिल नहीं हो पाएगी कि किसने सीएम हेमंत सोरेन को धमकी दी है.

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इंटरपोल से मांगी गई थी मदद: मुख्यमंत्री को साइबर अपराधियों ने जर्मन कंपनी के सर्वर से मेल भेजा था. जिसके बाद इंटरपोल के जरिये जर्मनी से सर्वर का डिटेल मांगा गया था. लेकिन अब जर्मन सरकार ने इंटरपोल के जरिए पत्राचार किया है. जिसमें बताया गया है कि संबंधित सर्वर में डाटा एक साल तक ही संरक्षित होता है. अब डाटा नहीं होने के कारण इसे इंटरपोल को नहीं सौंपा जा सकता. इसके बाद इंटरपोल ने इस संबंध में राज्य पुलिस की सीआईडी को जानकारी दे दी है. पूरे मामले में साइबर थाने में दर्ज कांड के अनुसंधानक ने सीबीआई के जरिए इंटरपोल को पत्र लिखकर केस में मदद मांगी थी. लेकिन अब डाटा की अनुपलब्धा के कारण यह जानकारी नहीं मिल पाएगी कि किसने इसका इस्तेमाल कर धमकी भरा मेल सीएम व अधिकारियों को भेजे थे.

जर्मन सर्वर का प्रयोग इसलिए मांगी मदद: दरअसल मामले की जांच के दौरान पुलिस को जानकारी मिली थी कि जिस सर्वर से मुख्यमंत्री को लगातार धमकियां मिली थीं उसका सर्वर जर्मनी में है. विदेशी सर्वर से जानकारी जुटाने के लिए इंटरपोल की मदद की जरूरत थी. इंटरपोल से राज्य की पुलिस सीधे अनुरोध नहीं कर सकती, इसलिए सीबीआई के जरिए ही इंटरपोल से मामले में कार्रवाई करायी जा सकती है. ऐसे में केस के अनुसंधानक ने सीआईडी मुख्यालय के आदेश से सीबीआई मुख्यालय दिल्ली को पत्र लिखा था. साइबर थाना के जांच पदाधिकारी ने इंटरपोल से मदद लेने के लिए कोर्ट में आवेदन भी दिया था.

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अबतक तीन बार मिल चुकी है धमकी: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पिछले वर्ष जुलाई महीने में भी ई-मेल भेजकर धमकी दी गई थी. अपराधियों ने आठ और 17 जुलाई 2020 को ई-मेल भेजकर धमकी दी थी. इस मामले में रांची के साइबर थाने में पहले भी दो अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज की गई थी. दोनों ई-मेल भेजने में जर्मनी व स्विटजरलैंड के अलग-अलग सर्वर का प्रयोग किया गया था. जानकारी के मुताबिक पहली बार 8 जुलाई 2020 को मुख्यमंत्री सचिवालय में धमकी भरा मेल आया था. इसमें मुख्यमंत्री को धमकाते हुए उड़ाने की धमकी दी गई थी. इस मामले में 13 जुलाई 2020 को स्पेशल ब्रांच के इंस्पेक्टर के बयान पर एफआईआर दर्ज करायी गई थी. बाद में जुलाई महीने में दो अन्य बार अलग अलग मेल के जरिए धमकी भेजी गई थी. हर बार धमकी भरा मेल भेजने में विदेशी सर्वर का ही इस्तेमाल हुआ था.

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