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31 मार्च 2020 को मिला था झारखंड में कोरोना का पहला मरीज, तब से अब तक का दौर रहा चुनौतीपूर्ण

31 मार्च 2020 को झारखंड में कोरोना का पहला मरीज पाया गया था. इसे अब एक साल पूरे हो गए, लेकिन यह सिलसिला आज भी जारी है. झारखंड में भी कोरोना की रफ्तार रुकने का नाम नहीं ले रही है. दिन-ब-दिन कोरोना के मरीज बढ़ते ही जा रहे हैं.

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Published : Mar 31, 2021, 11:11 AM IST

Updated : Mar 31, 2021, 12:23 PM IST

रांची: 31 मार्च 2020 का दिन झारखंड के लिए हमेशा ही याद रखने वाला रहेगा, क्योंकि इसी दिन झारखंड में वैश्विक महामारी कोरोना के पहले मरीज की पुष्टि हुई थी. 31 मार्च 2020 को दोपहर 2:30 बजे के करीब यह सूचना आई कि हिंदपीढ़ी के इलाके में एक विदेशी मूल की महिला कोरोना संक्रमित पाई गई है. जिसे फिलहाल खेलगांव के क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखा गया है. यह सूचना आग की तरह पूरे राज्य में फैल गई और लोग के मन में कोरोना संक्रमण का खौफ आ गया.

देखें पूरी खबर

ये भी पढ़ें- अपने साथ खौफनाक मंजर लेकर आया था कोरोना, जानिये एक साल में कितनी बदली झारखंड के लोगों की जिंदगी

31 मार्च को मिला था पहला कोरोना मरीज

झारखंड में कोरोना का पहला केस 31 मार्च 2020 को सामने आया था. रांची के हिंदपीढ़ी में रहने वाली युवती 17 मार्च को मलेशिया से लौटी थी. हिंदपीढ़ी रांची का मुस्लिम बहुल इलाका है. यह खबर आते ही प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए. युवती को तुरंत रिम्स में भर्ती कराया गया. पूरा एरिया सील कर दिया गया. हालात ऐसे हो गए थे कि स्थिति कंट्रोल करने के लिए सीआरपीएफ को बुलाना पड़ा. यह तो बस शुरुआत थी. फिर एक के बाद एक केस मिलते गए. 9 अप्रैल को बोकारो में कोरोना से बुजुर्ग की मौत हो गई. मौत के 15 मिनट पहले ही बुजुर्ग की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी. यह झारखंड में कोरोना से मौत का पहला मामला था.

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हिंदपीढ़ी इलाके में मिला था पहला कोरोना मरीज
कोरोना मरीज मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग सख्त

कोरोना मरीज मिलने के बाद जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग हरकत में आया था और हिंदपीढ़ी में कोरोना जांच अभियान की शुरुआत की गई. जिसके बाद एक-एक कर के संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ती चली गई. जब राजधानी के ही हिंदपीढ़ी इलाके में एक संक्रमित महिला और उसके पति के मौत की सूचना आयी तो लोगों में इतना खौफ भर गया कि लोग जिंदा इंसानों से दूर शवों से भी डरने लगे.

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स्वास्थ्य विभाग सख्त


लोगों में कोरोना का बढ़ता गया खौफ

एक साल पहले 31 मार्च 2020 को मलेशियाई महिला के कोरोना के पॉजिटिव की पुष्टि होने के बाद स्वास्थ्य विभाग सख्ती से अपने कार्य में लग गया था. इसके साथ ही जिस इलाके में भी संक्रमित मरीज पाए जा रहे थे उस इलाके को कंटेनमेंट जोन बनाकर संक्रमण को रोकने का प्रयास किया गया था. तेजी से मिल रहे संक्रमित मरीजों को एक-एक करके अस्पताल में इलाज के लाया जा रहा था. संक्रमित मरीज को अस्पताल पहुंचाने में सबसे अहम योगदान एंबुलेंस चालकों का रहा.

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कोरना मरीज मिलने बाद हरकत में प्रशासन

ये भी पढ़ें- हिंदपीढ़ी में कोरोना मरीज मिलने के बाद प्रशासन सख्त, इलाके को 72 घंटे के लिए किया गया सील


एंबुलेंस चालक ने किया अनुभव साझा

31 मार्च 2020 को मलेशियाई महिला को खेलगांव के क्वॉरेंटाइन सेंटर से रिम्स के कोविड अस्पताल लाने वाले एंबुलेंस चालक इंद्रजीत सरकार ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि निश्चित रूप से कोरोना के एक साल का दौर काफी कठिनाई भरा रहा. हमारे काम का भार भी बढ़ गया. अमूमन आम मरीज को लाने में एक एंबुलेंस चालक को चंद घंटों का समय लगता था लेकिन कोरोना के मरीज को लाने में कई घंटे लगते थे. मरीज को लाने से पहले और बाद में प्रत्येक एंबुलेंस चालक को कोविड प्रोटोकॉल के नियमों का पालन करना पड़ता था. जिसमें घंटों समय लग जाते थे. इसके बावजूद एंबुलेंस चालक लगातार एक काम में लगे रहे और राज्य को कोरोना से बचाने के लिए जी तोड़ मेहनत करते रहे.


रिम्स के सुरक्षाकर्मी ने बताया एक्सपीरियंस

31 मार्च 2020 को याद करते हुए रिम्स के सुरक्षाकर्मी अतुलाह रहमान बताते हैं कि वह दिन निश्चित रूप से कभी भूलने वाला दिन नहीं है, क्योंकि उसी दिन हम लोगों को अस्पताल की तरफ से कई नई जिम्मेदारियां दी गई थी. जिसे हमने बखूबी निभाया और आगे भी निभाते रहेंगे. इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि इस कठिन दौर में सुरक्षाकर्मी ही नहीं हमारे परिवार ने भी अहम योगदान निभाया है.


डॉक्टर ने क्या कहा

31 मार्च 2020 राज्य के स्वास्थ्य विभाग के लिए हमेशा ही यादगार दिन रहेगा और उसी को याद करते हुए कोरोना के मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टर तपन बताते हैं कि जब पहली बार कोरोना के मरीजों का इलाज करने की ड्यूटी पड़ी थी तो निश्चित रूप से हम अपने परिवार के लिए चिंतित और सशंकित थे, लेकिन धीरे-धीरे हालात को संभालने का प्रयास किया गया. जिसके बाद सभी डॉक्टर एकजुट होकर मरीजों की सेवा में लग गए.


लगाया गया ब्लड डोनेशन कैंप

कोरोना के समय में आम मरीजों के लिए भी ब्लड के कमी की समस्या बढ़ने लगी थी. जिसको देखते हुए रक्तवीर के रूप में रिम्स के चिकित्सक डॉ. चंद्रभूषण ने हिम्मत दिखाई और रिम्स में ब्लड डोनेशन कैंप लगाकर लोगों को ये विश्वास दिलाया कि रक्तदान करने से कोरोना का संक्रमण नहीं होता. जिसके बाद लोग भी उनसे जुड़ते चले गए. वे बताते हैं कि लोगों को विश्वास दिलाना कहीं न कहीं एक चुनौती थी. लेकिन डॉक्टरों के त्याग और बलिदान को देखते हुए लोगों ने भी उनका सम्मान किया और लोग आम मरीजों की मदद के लिए ब्लड कैंप में धीरे-धीरे पहुंचने लगे.

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कोरोना की चपेट में जगरनाथ महतो

माननीयों पर भी टूटा कोरोना का कहर

कोरोना ऐसा कहर बनकर टूटा कि विधायक और मंत्री तक इसकी चपेट में आ गए. झारखंड सरकार में मंत्री मिथिलेश ठाकुर, बन्ना गुप्ता, बादल पत्रलेख रामेश्वर उरांव, जगरनाथ महतो, झामुमो अध्यक्ष शिबू सोरेन, आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो, पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष को भी कोरोना हुआ. मंत्री हाजी हुसैन अंसारी भी कोरोना की चपेट में आए और इससे उबरने के महज चंद दिनों बाद उनकी मौत हो गई. सुदेश महतो तो दो बार कोरोना की चपेट में आए. शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो को कोरोना ने ऐसा जकड़ा कि एयर एंबुलेंस से इलाज के लिए चेन्नई ले जाया गया. लंग्स ट्रांसप्लांट के बाद अब वे ठीक हैं.

ये भी पढ़ें- झारखंड में कोरोना विस्फोट, 24 घंटे में मिले 418 संक्रमित, रांची में रिकॉर्ड 262 मरीज, 3 की मौत

कोरोना ने फिर पकड़ी रफ्तार

पूरे देश समेत झारखंड में कोरोना ने फिर से रफ्तार पकड़ ली है. झारखंड में 30 मार्च 2021 को 24 घंटे के भीतर कोरोना के 418 मरीज मिले हैं. अब राज्य में कोरोना संक्रमितों की संख्या 2,254 हो गई है. जबकि 1,113 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. 11,426 सैंपल के टेस्ट के आधार पर यह आंकड़ा सामने आया है. अब देखना होगा कि राजधानी सहित राज्य में शुरू हुई 31 मार्च 2020 के खौफ की समाप्ति कब होती है, क्योंकि इस दिन से आज तक कोरोना का खौफ बढ़ता ही जा रहा है.

रांची: 31 मार्च 2020 का दिन झारखंड के लिए हमेशा ही याद रखने वाला रहेगा, क्योंकि इसी दिन झारखंड में वैश्विक महामारी कोरोना के पहले मरीज की पुष्टि हुई थी. 31 मार्च 2020 को दोपहर 2:30 बजे के करीब यह सूचना आई कि हिंदपीढ़ी के इलाके में एक विदेशी मूल की महिला कोरोना संक्रमित पाई गई है. जिसे फिलहाल खेलगांव के क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखा गया है. यह सूचना आग की तरह पूरे राज्य में फैल गई और लोग के मन में कोरोना संक्रमण का खौफ आ गया.

देखें पूरी खबर

ये भी पढ़ें- अपने साथ खौफनाक मंजर लेकर आया था कोरोना, जानिये एक साल में कितनी बदली झारखंड के लोगों की जिंदगी

31 मार्च को मिला था पहला कोरोना मरीज

झारखंड में कोरोना का पहला केस 31 मार्च 2020 को सामने आया था. रांची के हिंदपीढ़ी में रहने वाली युवती 17 मार्च को मलेशिया से लौटी थी. हिंदपीढ़ी रांची का मुस्लिम बहुल इलाका है. यह खबर आते ही प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए. युवती को तुरंत रिम्स में भर्ती कराया गया. पूरा एरिया सील कर दिया गया. हालात ऐसे हो गए थे कि स्थिति कंट्रोल करने के लिए सीआरपीएफ को बुलाना पड़ा. यह तो बस शुरुआत थी. फिर एक के बाद एक केस मिलते गए. 9 अप्रैल को बोकारो में कोरोना से बुजुर्ग की मौत हो गई. मौत के 15 मिनट पहले ही बुजुर्ग की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी. यह झारखंड में कोरोना से मौत का पहला मामला था.

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हिंदपीढ़ी इलाके में मिला था पहला कोरोना मरीज
कोरोना मरीज मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग सख्त

कोरोना मरीज मिलने के बाद जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग हरकत में आया था और हिंदपीढ़ी में कोरोना जांच अभियान की शुरुआत की गई. जिसके बाद एक-एक कर के संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ती चली गई. जब राजधानी के ही हिंदपीढ़ी इलाके में एक संक्रमित महिला और उसके पति के मौत की सूचना आयी तो लोगों में इतना खौफ भर गया कि लोग जिंदा इंसानों से दूर शवों से भी डरने लगे.

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स्वास्थ्य विभाग सख्त


लोगों में कोरोना का बढ़ता गया खौफ

एक साल पहले 31 मार्च 2020 को मलेशियाई महिला के कोरोना के पॉजिटिव की पुष्टि होने के बाद स्वास्थ्य विभाग सख्ती से अपने कार्य में लग गया था. इसके साथ ही जिस इलाके में भी संक्रमित मरीज पाए जा रहे थे उस इलाके को कंटेनमेंट जोन बनाकर संक्रमण को रोकने का प्रयास किया गया था. तेजी से मिल रहे संक्रमित मरीजों को एक-एक करके अस्पताल में इलाज के लाया जा रहा था. संक्रमित मरीज को अस्पताल पहुंचाने में सबसे अहम योगदान एंबुलेंस चालकों का रहा.

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कोरना मरीज मिलने बाद हरकत में प्रशासन

ये भी पढ़ें- हिंदपीढ़ी में कोरोना मरीज मिलने के बाद प्रशासन सख्त, इलाके को 72 घंटे के लिए किया गया सील


एंबुलेंस चालक ने किया अनुभव साझा

31 मार्च 2020 को मलेशियाई महिला को खेलगांव के क्वॉरेंटाइन सेंटर से रिम्स के कोविड अस्पताल लाने वाले एंबुलेंस चालक इंद्रजीत सरकार ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि निश्चित रूप से कोरोना के एक साल का दौर काफी कठिनाई भरा रहा. हमारे काम का भार भी बढ़ गया. अमूमन आम मरीज को लाने में एक एंबुलेंस चालक को चंद घंटों का समय लगता था लेकिन कोरोना के मरीज को लाने में कई घंटे लगते थे. मरीज को लाने से पहले और बाद में प्रत्येक एंबुलेंस चालक को कोविड प्रोटोकॉल के नियमों का पालन करना पड़ता था. जिसमें घंटों समय लग जाते थे. इसके बावजूद एंबुलेंस चालक लगातार एक काम में लगे रहे और राज्य को कोरोना से बचाने के लिए जी तोड़ मेहनत करते रहे.


रिम्स के सुरक्षाकर्मी ने बताया एक्सपीरियंस

31 मार्च 2020 को याद करते हुए रिम्स के सुरक्षाकर्मी अतुलाह रहमान बताते हैं कि वह दिन निश्चित रूप से कभी भूलने वाला दिन नहीं है, क्योंकि उसी दिन हम लोगों को अस्पताल की तरफ से कई नई जिम्मेदारियां दी गई थी. जिसे हमने बखूबी निभाया और आगे भी निभाते रहेंगे. इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि इस कठिन दौर में सुरक्षाकर्मी ही नहीं हमारे परिवार ने भी अहम योगदान निभाया है.


डॉक्टर ने क्या कहा

31 मार्च 2020 राज्य के स्वास्थ्य विभाग के लिए हमेशा ही यादगार दिन रहेगा और उसी को याद करते हुए कोरोना के मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टर तपन बताते हैं कि जब पहली बार कोरोना के मरीजों का इलाज करने की ड्यूटी पड़ी थी तो निश्चित रूप से हम अपने परिवार के लिए चिंतित और सशंकित थे, लेकिन धीरे-धीरे हालात को संभालने का प्रयास किया गया. जिसके बाद सभी डॉक्टर एकजुट होकर मरीजों की सेवा में लग गए.


लगाया गया ब्लड डोनेशन कैंप

कोरोना के समय में आम मरीजों के लिए भी ब्लड के कमी की समस्या बढ़ने लगी थी. जिसको देखते हुए रक्तवीर के रूप में रिम्स के चिकित्सक डॉ. चंद्रभूषण ने हिम्मत दिखाई और रिम्स में ब्लड डोनेशन कैंप लगाकर लोगों को ये विश्वास दिलाया कि रक्तदान करने से कोरोना का संक्रमण नहीं होता. जिसके बाद लोग भी उनसे जुड़ते चले गए. वे बताते हैं कि लोगों को विश्वास दिलाना कहीं न कहीं एक चुनौती थी. लेकिन डॉक्टरों के त्याग और बलिदान को देखते हुए लोगों ने भी उनका सम्मान किया और लोग आम मरीजों की मदद के लिए ब्लड कैंप में धीरे-धीरे पहुंचने लगे.

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कोरोना की चपेट में जगरनाथ महतो

माननीयों पर भी टूटा कोरोना का कहर

कोरोना ऐसा कहर बनकर टूटा कि विधायक और मंत्री तक इसकी चपेट में आ गए. झारखंड सरकार में मंत्री मिथिलेश ठाकुर, बन्ना गुप्ता, बादल पत्रलेख रामेश्वर उरांव, जगरनाथ महतो, झामुमो अध्यक्ष शिबू सोरेन, आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो, पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष को भी कोरोना हुआ. मंत्री हाजी हुसैन अंसारी भी कोरोना की चपेट में आए और इससे उबरने के महज चंद दिनों बाद उनकी मौत हो गई. सुदेश महतो तो दो बार कोरोना की चपेट में आए. शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो को कोरोना ने ऐसा जकड़ा कि एयर एंबुलेंस से इलाज के लिए चेन्नई ले जाया गया. लंग्स ट्रांसप्लांट के बाद अब वे ठीक हैं.

ये भी पढ़ें- झारखंड में कोरोना विस्फोट, 24 घंटे में मिले 418 संक्रमित, रांची में रिकॉर्ड 262 मरीज, 3 की मौत

कोरोना ने फिर पकड़ी रफ्तार

पूरे देश समेत झारखंड में कोरोना ने फिर से रफ्तार पकड़ ली है. झारखंड में 30 मार्च 2021 को 24 घंटे के भीतर कोरोना के 418 मरीज मिले हैं. अब राज्य में कोरोना संक्रमितों की संख्या 2,254 हो गई है. जबकि 1,113 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. 11,426 सैंपल के टेस्ट के आधार पर यह आंकड़ा सामने आया है. अब देखना होगा कि राजधानी सहित राज्य में शुरू हुई 31 मार्च 2020 के खौफ की समाप्ति कब होती है, क्योंकि इस दिन से आज तक कोरोना का खौफ बढ़ता ही जा रहा है.

Last Updated : Mar 31, 2021, 12:23 PM IST
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