रांची: गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे (Nishikant Dubey) के खिलाफ एक ही दिन में पांच एफआईआर दायर किए जाने के मामले में देवघर उपायुक्त सह जिला निर्वाचन अधिकारी को चुनाव आयोग ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है. देवघर उपायुक्त से इस मामले में 10 दिन के भीतर चुनाव आयोग को जवाब भेजने को कहा गया है.
भारत निर्वाचन आयोग के द्वारा भेजे गये निर्देश की पुष्टि मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के रवि कुमार ने की है. भारत निर्वाचन आयोग के पत्र में कहा गया है कि देवघर के उपायुक्त जिला निर्वाचन अधिकारी मंजूनाथ भजंत्री द्वारा 26 अक्टूबर 2021 के पत्रांक 2472 और 27 अक्टूबर 2021 के पत्रांक 2497 के साथ सौंपे गए दस्तावेज के परीक्षण से साफ होता है कि एफआईआर दर्ज कराने में हुई देरी का उनके द्वारा बताया गया कारण साक्ष्य पर आधारित नहीं है इसलिए उनसे स्पष्टीकरण पूछा जाना चाहिए. पत्र में कहा गया है कि सांसद डॉ निशिकांत दुबे द्वारा किया गया कथित आपराधिक कृत्य और उनके खिलाफ आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के आरोप में दायर एफआईआर के बीच 6 महीने से अधिक का अंतराल है. बिना किसी पर्याप्त कारण के विलंब से एफआईआर दर्ज कराना न केवल अभियोजन पक्ष के लिए समस्या पैदा कर सकता है बल्कि यह अधिकारों के दुरुपयोग की ओर भी इशारा करता है.
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देवघर के चार थानों में निशिकांत दुबे पर हुआ पांच केस दर्ज
मधुपुर विधानसभा उपचुनाव इस वर्ष 17 अप्रैल को हुआ था. इस दौरान सांसद निशिकांत दूबे पर चुनाव आचार संहिता के आरोप लगे थे. जिला प्रशासन ने करीब 06 महीने बाद सोमवार यानी 24 अक्टूबर को एक साथ पांच कांड में चार थानों में दर्ज किए गए हैं. देवघर नगर थाना में जिला जनसंपर्क पदाधिकारी रवि कुमार, मधुपुर थाने में बीडीओ राजीव कुमार सिंह, चितरा थाने में बीडीओ पल्लवी सिन्हा और देवीपुर थाने में बीडीओ अभय कुमार के आवेदन पर कांड दर्ज किया गया है. सभी केस में मधुपुर विधानसभा उपचुनाव में कानूनों का उल्लंघन और नियम विरुद्ध क्रियाकलापों का आरोप लगाया गया है. मधुपुर और चितरा थाना में दर्ज कांड में सांसद निशिकांत दुबे पर 15 अप्रैल को अपने ट्वीटर एकांउट से आपत्तिजनक पोस्ट करने का आरोप है.
प्रदेश भाजपा ने दर्ज की थी आपत्ति
मामला दर्ज होने के बाद झारखंड प्रदेश बीजेपी का एक शिष्टमंडल 26 अक्टूबर को मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के रवि कुमार से मिलकर शिकायत दर्ज की थी. बीजेपी शिष्टमंडल ने चुनाव आयोग से देवघर डीसी पर पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर 06 महीने बाद कांड दर्ज करने का आरोप लगाया था. बीजेपी की शिकायत पर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय ने देवघर उपायुक्त से जानकारी मांगते हुए भारत निर्वाचन आयोग को सूचना दी थी.