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चेतावनीः खतरे में हिमालय पर्वत से भी पुराना पहाड़, संरक्षण की दरकार

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Published : Jul 15, 2021, 9:58 PM IST

Updated : Jul 16, 2021, 12:56 PM IST

हिमालय पर्वत (Himalya) से भी प्राचीन पहाड़ पर खतरा मंडरा रहा है. अगर वक्त रहते नहीं चेते तो ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व रखने वाले रांची के पहाड़ी मंदिर (Ranchi Pahadi Mandir) का अस्तित्व मिट जाएगा. विकास की अंधी दौड़ में शामिल हर किसी के लिए ये चेतावनी है. जिस पर जल्द ही ध्यान देने की जरूरत है.

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पहाड़ी मंदिर

रांचीः झारखंड की राजधानी रांची के केंद्र में स्थित पहाड़ी मंदिर (Ranchi Pahadi Mandir) जिस अति प्राचीन पहाड़ पर स्थित है, उस पहाड़ी का अस्तित्व ही खतरे में है. विकास की दौड़ में जिस तरह पहाड़ी के आसपास के क्षेत्रों का तेजी से दोहन हो रहा है, वो एक गंभीर चिंता का विषय है. वक्त रहते पहाड़ी को संरक्षित करने की दरकार है, वरना कहीं देर ना हो जाए.

इसे भी पढ़ें- खतरे में पहाड़ी मंदिर का अस्तित्व, तिरंगा पोल के चलते दरक रही है पहाड़ी


कैसे खतरे में है हिमालय से भी पुराना पहाड़
रांची विश्वविद्यालय के भू-गर्भ विभाग के प्रोफेसर नीतीश प्रियदर्शी (Nitish Priyadarshi, Professor, Department of Geology) बात करते हुए इस बात पर चिंता जताते हैं कि जिस पहाड़ को संरक्षित करने की जरूरत थी, उसे विकास के नाम पर बर्बाद किया जा रहा है. पहाड़ी मंदिर जिस पहाड़ पर है, उस पहाड़ का ही ऐतिहासिक महत्व इतना ज्यादा है कि उसे बचाने के लिए एकजुट होकर प्रयास होना चाहिए, पर झारखंड (Jharkhand) में इसके उलट हो रहा है. इसके आसपास के क्षेत्रों का अतिक्रमण और दोहन ऐसा हो रहा है कि इसके अस्तित्व पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

खोंडालाइट पत्थर से बना पहाड़
समुद्रतल से करीब 2140 फीट और रांची में जमीन से 350 फीट की ऊंचाई पर स्थित पहाड़ी काफी पुराना है. इसका इतिहास हिमालय से भी करोड़ों साल पुराना है. खोंडालाइट पत्थर (Khondalite Rock) से बना ये पहाड़ पृथ्वी की उत्पत्ति की कहानी कहता है. इस पहाड़ का संरक्षण इसलिए भी जरूरी है कि क्योंकि इस पहाड़ से मिलने वाला फॉसिल्स शोध के दृष्टिकोण से भी बहुत महत्वपूर्ण है.

पहाड़ी मंदिर का पहाड़ आज अपनी अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. इस पहाड़ की तलहटी में अतिक्रमण (Encroachment of Mountain) हो रहा है, बसाहट के लिए लोग झोपड़ियां बनाकर रहे रहे हैं. पहाड़ के साथ-साथ वहां मौजूद पेड़ काटकर पहाड़ी को नुकसान पहुंचाया जा रहा है. पेड़ और पहाड़ को काटकर नुकसान पहुंचाया जा रहा है. कभी मोबाइल टावर, कभी दुनिया के सबसे ऊंचे ध्वजारोहण के लिए किए गए गड्ढे पहाड़ी के लिए नुकसानदेह हैं.

इसे भी पढ़ें- खतरे में पहाड़ी मंदिर का अस्तित्व, तिरंगा झंडा की पोल बनी वजह

हालिया जल मीनार बनाने के लिए पहाड़ की तलहटी में गड्ढा किया जा रहा है. जिससे इस पहाड़ी के लिए खतरा और बढ़ गया है. तलहटी में पहाड़ी मंदिर पहाड़ की सुरक्षा के लिए बनाए गए सुरक्षा दीवार तोड़कर अतिक्रमण कर लोग पहाड़ को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं.

पहाड़ी मंदिर को बचाने के लिए आंदोलन के मूड में राजधानीवासी
राष्ट्रीय युवा शक्ति के संयोजक उत्तम यादव पहाड़ी मंदिर के भवन को लेकर अब आंदोलन की रूपरेखा तैयार कर रहे हैं. उनका कहना है कि कोरोना काल में वह सड़क पर उतरने से बच रहे थे, पर अब आंदोलन ही एकमात्र रास्ता है. इस पहाड़ी के संरक्षण के लिए वो हर रास्ता अपनाने को तैयार हैं.

इसे भी पढ़ें- स्वतंत्रता दिवस विशेष: देश का एक मात्र ऐसा मंदिर जहां आजादी के दीवानों ने सबसे पहले फहराया था तिरंगा


पहाड़ी मंदिर जिस पहाड़ पर है, उस पहाड़ का ऐतिहासिक महत्व इतना ज्यादा है कि उसे बचाने के लिए हर एक प्रयास होने चाहिए, पर यहां ऐसा कुछ होता हुआ नहीं दिख रहा है. हमारी अपनी धरोहर, जो अपने में करोड़ों साल का इतिहास समेटे हुए हैं, उसके लिए सरकार और तंत्र गंभीर नहीं दिख रहा है. हिमालय से भी पुराना पहाड़ होने के चलते इसका पत्थर कमजोर हो गया है, ऐसे में इसे संरक्षित करने की जरूरत है, ताकि इस नायाब धरोहर को बचाया जा सके और किसी बड़ी अनहोनी को टाला जा सके.

रांचीः झारखंड की राजधानी रांची के केंद्र में स्थित पहाड़ी मंदिर (Ranchi Pahadi Mandir) जिस अति प्राचीन पहाड़ पर स्थित है, उस पहाड़ी का अस्तित्व ही खतरे में है. विकास की दौड़ में जिस तरह पहाड़ी के आसपास के क्षेत्रों का तेजी से दोहन हो रहा है, वो एक गंभीर चिंता का विषय है. वक्त रहते पहाड़ी को संरक्षित करने की दरकार है, वरना कहीं देर ना हो जाए.

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कैसे खतरे में है हिमालय से भी पुराना पहाड़
रांची विश्वविद्यालय के भू-गर्भ विभाग के प्रोफेसर नीतीश प्रियदर्शी (Nitish Priyadarshi, Professor, Department of Geology) बात करते हुए इस बात पर चिंता जताते हैं कि जिस पहाड़ को संरक्षित करने की जरूरत थी, उसे विकास के नाम पर बर्बाद किया जा रहा है. पहाड़ी मंदिर जिस पहाड़ पर है, उस पहाड़ का ही ऐतिहासिक महत्व इतना ज्यादा है कि उसे बचाने के लिए एकजुट होकर प्रयास होना चाहिए, पर झारखंड (Jharkhand) में इसके उलट हो रहा है. इसके आसपास के क्षेत्रों का अतिक्रमण और दोहन ऐसा हो रहा है कि इसके अस्तित्व पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

खोंडालाइट पत्थर से बना पहाड़
समुद्रतल से करीब 2140 फीट और रांची में जमीन से 350 फीट की ऊंचाई पर स्थित पहाड़ी काफी पुराना है. इसका इतिहास हिमालय से भी करोड़ों साल पुराना है. खोंडालाइट पत्थर (Khondalite Rock) से बना ये पहाड़ पृथ्वी की उत्पत्ति की कहानी कहता है. इस पहाड़ का संरक्षण इसलिए भी जरूरी है कि क्योंकि इस पहाड़ से मिलने वाला फॉसिल्स शोध के दृष्टिकोण से भी बहुत महत्वपूर्ण है.

पहाड़ी मंदिर का पहाड़ आज अपनी अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. इस पहाड़ की तलहटी में अतिक्रमण (Encroachment of Mountain) हो रहा है, बसाहट के लिए लोग झोपड़ियां बनाकर रहे रहे हैं. पहाड़ के साथ-साथ वहां मौजूद पेड़ काटकर पहाड़ी को नुकसान पहुंचाया जा रहा है. पेड़ और पहाड़ को काटकर नुकसान पहुंचाया जा रहा है. कभी मोबाइल टावर, कभी दुनिया के सबसे ऊंचे ध्वजारोहण के लिए किए गए गड्ढे पहाड़ी के लिए नुकसानदेह हैं.

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हालिया जल मीनार बनाने के लिए पहाड़ की तलहटी में गड्ढा किया जा रहा है. जिससे इस पहाड़ी के लिए खतरा और बढ़ गया है. तलहटी में पहाड़ी मंदिर पहाड़ की सुरक्षा के लिए बनाए गए सुरक्षा दीवार तोड़कर अतिक्रमण कर लोग पहाड़ को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं.

पहाड़ी मंदिर को बचाने के लिए आंदोलन के मूड में राजधानीवासी
राष्ट्रीय युवा शक्ति के संयोजक उत्तम यादव पहाड़ी मंदिर के भवन को लेकर अब आंदोलन की रूपरेखा तैयार कर रहे हैं. उनका कहना है कि कोरोना काल में वह सड़क पर उतरने से बच रहे थे, पर अब आंदोलन ही एकमात्र रास्ता है. इस पहाड़ी के संरक्षण के लिए वो हर रास्ता अपनाने को तैयार हैं.

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पहाड़ी मंदिर जिस पहाड़ पर है, उस पहाड़ का ऐतिहासिक महत्व इतना ज्यादा है कि उसे बचाने के लिए हर एक प्रयास होने चाहिए, पर यहां ऐसा कुछ होता हुआ नहीं दिख रहा है. हमारी अपनी धरोहर, जो अपने में करोड़ों साल का इतिहास समेटे हुए हैं, उसके लिए सरकार और तंत्र गंभीर नहीं दिख रहा है. हिमालय से भी पुराना पहाड़ होने के चलते इसका पत्थर कमजोर हो गया है, ऐसे में इसे संरक्षित करने की जरूरत है, ताकि इस नायाब धरोहर को बचाया जा सके और किसी बड़ी अनहोनी को टाला जा सके.

Last Updated : Jul 16, 2021, 12:56 PM IST
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