रांची: झारखंड में हाथी दांत की तस्करी के जरिए अर्जित संपत्ति की मनी लाउंड्रिंग के पहलुओं पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जांच शुरू कर दी है. झारखंड में हाथी दांत की तस्करी से अर्जित संपत्ति की ईडी जांच का यह पहला मामला है. हाथी दांत की तस्करी के मामले को लेकर झारखंड के चाईबासा के मंझारी थाना में मामला दर्ज किया गया था. चाईबासा में 19 सितंबर 2020 को एक एफआईआर दर्ज की गई थी.
एफआईआर में बताया गया था कि दुबिला जंगल के कालीटीका कोचा में एक हाथी का शव पड़ा है. शव की जांच में पाया गया कि हाथी का दांत कटा हुआ था. पुलिस ने जब मामले की तफ्तीश की तब पता चला कि तस्कर रात में खेत के चारों तरफ बिजली की नंगी तार से घेराबंदी कर देते हैं. हाथी के आने पर बिजली चालू कर हाथी को चपेट में लिया जाता है. हाथी की मौत के बाद उसके दांत को निकाल लिया जाता है. इस मामले में पुलिस ने गोपाल बिरूआ उर्फ राजा बिरूआ को गिरफ्तार किया था. जांच के बाद इस माले में कृष्णा बिरूआ, पुरनचंद्र बिरूआ, सुरेश कुंकल, विनोद गगराई, कृष्णा हेंब्रम, त्रिलोचन तिरिया, लखन तिरिया, सलाय पिंगुआ को आरोपी बनाया गया था.
कैना था मास्टरमाइंड: जांच में आए तथ्यों के मुताबिक, कृष्णा बिरूआ इस कारोबार का मास्टरमाइंड है. वही हाथी दांत को ओडिशा के अब्दुल माजिद को बेचता था. हाथियों को मारने के लिए अरूणाचल प्रदेश से प्रशिक्षित शूटरों को भी बुलाया जाता था. जांच में यह बात सामने आयी थी कि कई बार हाथियों को गोली मारकर भी दांत निकाला गया था. अब ईडी की टीम इस पूरे मामले की जांच कर रही है ताकि यह पता चल सके कि यह नेटवर्क कितना बड़ा है और इसमें कितने पैसे में लेनदेन की गई थी.