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अजब गजब! मृत पुलिसकर्मी की वाहन चेकिंग में लगी ड्यूटी, नहीं पहुंचे तो सजा भी सुना दी

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Published : May 24, 2021, 9:53 AM IST

रांची में पुलिस प्रशासन की बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया है. दरअसल, दो महीने पहले मर चुके पुलिसकर्मी की वाहन चेकिंग में ड्यूटी लगा दी गई उसके बाद ड्यूटी पर नहीं पहुंचे तो निंदन की सजा भी दे दी गई. इतना ही नहीं इस मामले में सीनियर एसपी ने भी अपनी मुहर लगा दी. हालांकि सोचने वाली बात यह है कि कैसे आला अधिकारियों की भी नजर इस पर नहीं पड़ी..

Duty imposed on vehicle checking of dead policeman in ranchi
रांची में पुलिस प्रशासन की लापरवाही

रांचीः जिले में चौंकाने वाला मामला सामने आया है. यहां दो महीना पहले जिस पुलिसकर्मी की मौत हो चुकी है, उसकी ड्यूटी भी वाहन चेकिंग अभियान में लगा दी गई है. हद तो तब हो गई कि जब मृत पुलिस वाले को निंदन की सजा भी दे दी गई और उस पर रांची के सीनियर एसपी ने अपना हस्ताक्षर भी कर दिया.

ये भी पढ़ें-बिना ई-पास के औचक निरीक्षण में निकले एसएसपी, हवलदार ने रोका, मिला इनाम

क्या है पूरा मामला

इस वर्ष फरवरी महीने में रांची जिला बल में पदस्थ जवान बंदे उरांव की कोरोना संक्रमण से मौत हो गई थी, लेकिन इसके बावजूद उनकी ड्यूटी वाहन चेकिंग अभियान के दौरान बूटी मोड़ पर लगा दी गई. ऐसे में बंदे उरांव तो इस दुनिया में है ही नहीं फिर भी ड्यूटी कैसे करते लेकिन लापरवाही की हद तो देखिए जब मृत बंदे उरांव ड्यूटी पर नहीं पहुंचे तो उनको एक दिन के लिए निंदन की सजा भी दे दी गई.

हैरत..कैसे साइन कर देते हैं अधिकारी

पूरे मामले में सबसे हैरत की बात तो यह है कि मृत पुलिसकर्मी को निंदन की सजा दिलाने वाले पेपर पर रांची के सीनियर एसपी के हस्ताक्षर करवाए जाते हैं. बंदे उरांव 2 महीने पहले ही स्वर्गीय हो चुके हैं, इसके बावजूद एक तो उनकी ड्यूटी लगी उसके बाद उनके उन्हें निंदन की सजा दी गई और उस फाइल पर रांची एसएसपी से हस्ताक्षर भी करवा लिए गए. यह मामला यह साफ तौर पर इंगित करता है कि बड़े अधिकारी बिना फाइल पढ़ें उस पर हस्ताक्षर कर देते हैं जो भविष्य के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है.

ये भी पढ़ें-आईबी अधिकारी को साइबर अपराधियों ने बनाया निशाना, क्रेडिट कार्ड से उड़ाए 1.16 लाख

सार्जेंट मेजर को किया गया शो कॉज

हैरत तो यह है कि पुलिस लाइन में मौजूद सार्जेंट मेजर को यह पता ही नहीं है कि उनका कौन सा जवान इस दुनिया में नहीं है या फिर कौन छुट्टी पर है. बंदे उरांव तो इस दुनिया में नहीं हैं. इसके बावजूद उनकी ड्यूटी लगी और निंदन की सजा दी गई लेकिन दो और जवान छुट्टी लेकर घर गए थे इसके बावजूद उनकी ड्यूटी लगाई गई और ड्यूटी न करने पर निंदन की सजा दी गई. दरअसल, यह पूरी लापरवाही सार्जेंट मेजर रंजन प्रसाद की तरफ से बरती गई है. रांची के सीनियर एसपी तक जब यह मामला पहुंचा तो वह हैरान रह गए. मामला सामने आने के बाद रांची के सीनियर एसपी ने सार्जेंट मेजर को शो कॉज किया है.

पुलिस मेंस एसोसिएशन ने जताया विरोध

वहीं, मामला सामने आने के बाद झारखंड पुलिस मेंस एसोसिएशन के अधिकारियों ने पूरे मामले को लेकर अपना विरोध जताया है. अधिकारियों का आरोप है कि पुलिस लाइन में ड्यूटी को लेकर पारदर्शिता नहीं बरती जा रही है. ना ही फाइलों को ध्यान से देखा जाता है. अगर कोई भी उनका साथी असमय मृत्यु का शिकार हो जाता है तो एक सप्ताह के बाद ही रजिस्टर से उसका नाम हटा दिया जाता है, लेकिन बंदे उरांव के मामले में ऐसा नहीं हुआ और मृत्यु के 2 महीने बाद भी उनकी ड्यूटी लगा दी गई.

रांचीः जिले में चौंकाने वाला मामला सामने आया है. यहां दो महीना पहले जिस पुलिसकर्मी की मौत हो चुकी है, उसकी ड्यूटी भी वाहन चेकिंग अभियान में लगा दी गई है. हद तो तब हो गई कि जब मृत पुलिस वाले को निंदन की सजा भी दे दी गई और उस पर रांची के सीनियर एसपी ने अपना हस्ताक्षर भी कर दिया.

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क्या है पूरा मामला

इस वर्ष फरवरी महीने में रांची जिला बल में पदस्थ जवान बंदे उरांव की कोरोना संक्रमण से मौत हो गई थी, लेकिन इसके बावजूद उनकी ड्यूटी वाहन चेकिंग अभियान के दौरान बूटी मोड़ पर लगा दी गई. ऐसे में बंदे उरांव तो इस दुनिया में है ही नहीं फिर भी ड्यूटी कैसे करते लेकिन लापरवाही की हद तो देखिए जब मृत बंदे उरांव ड्यूटी पर नहीं पहुंचे तो उनको एक दिन के लिए निंदन की सजा भी दे दी गई.

हैरत..कैसे साइन कर देते हैं अधिकारी

पूरे मामले में सबसे हैरत की बात तो यह है कि मृत पुलिसकर्मी को निंदन की सजा दिलाने वाले पेपर पर रांची के सीनियर एसपी के हस्ताक्षर करवाए जाते हैं. बंदे उरांव 2 महीने पहले ही स्वर्गीय हो चुके हैं, इसके बावजूद एक तो उनकी ड्यूटी लगी उसके बाद उनके उन्हें निंदन की सजा दी गई और उस फाइल पर रांची एसएसपी से हस्ताक्षर भी करवा लिए गए. यह मामला यह साफ तौर पर इंगित करता है कि बड़े अधिकारी बिना फाइल पढ़ें उस पर हस्ताक्षर कर देते हैं जो भविष्य के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है.

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सार्जेंट मेजर को किया गया शो कॉज

हैरत तो यह है कि पुलिस लाइन में मौजूद सार्जेंट मेजर को यह पता ही नहीं है कि उनका कौन सा जवान इस दुनिया में नहीं है या फिर कौन छुट्टी पर है. बंदे उरांव तो इस दुनिया में नहीं हैं. इसके बावजूद उनकी ड्यूटी लगी और निंदन की सजा दी गई लेकिन दो और जवान छुट्टी लेकर घर गए थे इसके बावजूद उनकी ड्यूटी लगाई गई और ड्यूटी न करने पर निंदन की सजा दी गई. दरअसल, यह पूरी लापरवाही सार्जेंट मेजर रंजन प्रसाद की तरफ से बरती गई है. रांची के सीनियर एसपी तक जब यह मामला पहुंचा तो वह हैरान रह गए. मामला सामने आने के बाद रांची के सीनियर एसपी ने सार्जेंट मेजर को शो कॉज किया है.

पुलिस मेंस एसोसिएशन ने जताया विरोध

वहीं, मामला सामने आने के बाद झारखंड पुलिस मेंस एसोसिएशन के अधिकारियों ने पूरे मामले को लेकर अपना विरोध जताया है. अधिकारियों का आरोप है कि पुलिस लाइन में ड्यूटी को लेकर पारदर्शिता नहीं बरती जा रही है. ना ही फाइलों को ध्यान से देखा जाता है. अगर कोई भी उनका साथी असमय मृत्यु का शिकार हो जाता है तो एक सप्ताह के बाद ही रजिस्टर से उसका नाम हटा दिया जाता है, लेकिन बंदे उरांव के मामले में ऐसा नहीं हुआ और मृत्यु के 2 महीने बाद भी उनकी ड्यूटी लगा दी गई.

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