रांची: वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण लेकर किए गए लॉकडाउन के समय से ही झारखंड हाई कोर्ट समेत सभी जिला में वर्चुअल मोड में सुनवाई चल रही है. इससे अधिवक्ताओं को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इसे लेकर झारखंड में रेगुलर कोर्ट और फिजिकल सुनवाई के लिए कवायद शुरू की जा रही है. अधिवक्ताओं की परेशानियों को देखते हुए झारखंड स्टेट बार काउंसिल ने यह कदम उठाया है और राज्य के सभी जिला बार एसोसिएशन से लिखित सुझाव मांगे हैं.
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रांची जिला बार एसोसिएशन की ओर से लिखित आवेदन देकर फिजिकल कोर्ट सुनवाई करने पर सहमति दिया गया है. रांची जिला बार एसोसिएशन के प्रशासनिक संयुक्त सचिव पवन खत्री के मुताबिक रांची सिविल कोर्ट में लगभग 3,000 अधिवक्ता न्यायिक कार्य से जुड़े हुए हैं लेकिन वर्चुअल कोर्ट चलने से मात्र 5 से 10 फीसदी अधिवक्ता को ही काम मिल पा रहा है. बाकी अधिवक्ताओं को काम नहीं मिल पा रहा है जिसके कारण उनके जीवनयापन पर काफी असर पड़ रहा है.
आज से 7 महीना पहले रांची व्यवहार न्यायालय के कैंपस पर रौनक कुछ और ही दिखाई पड़ती थी लेकिन आज यहां कुछ चुनिंदा अधिवक्ता ही पहुंचते हैं. मौजूदा समय में सभी न्यायिक कार्य वर्चुअल मोड में चल रहे हैं जहां अर्जेंट मैटर की ही सुनवाई की जा रही है. इससे अधिकतर अधिवक्ता के कामकाज पूरी तरह से प्रभावित हुए हैं. लगभग 90 फीसदी अधिवक्ता को काम नहीं मिल पा रहा है अधिवक्ताओं को काम नहीं मिलने की वजह से टाइपराइटर, स्टेशनरी की दुकान और मुंशी जैसे लोगों की आर्थिक स्थिति पर गहरा प्रभाव पड़ा है.
कोरोना काल के शुरुआती दौर से झारखंड समेत देशभर की अदालतों में न्यायिक प्रक्रिया ऑनलाइन व्यवस्था से चल रही है. वहीं, अनलॉक शुरू होने के दौरान से ही केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से बीते कुछ महीने में कई सेक्टर को छूट दी गई है. इसके बाद भी राज्य भर के वकील कोर्ट को भी रेगुलर किए जाने की मांग कर रहे हैं.