रांची: झारखंड में सरकार बदलते ही गोलीकांड की रिपोर्ट भी सरकार के स्तर से बदल गई. यह मामला हजारीबाग जिले के बड़कागांव के ढेंगा में किसान महारैली के दौरान फायरिंग से जुड़ा है. इस मामले में एक ही विभाग ने दो अलग-अलग रिपोर्ट सौपीं है.
क्या है पूरा मामला
14 अगस्त 2015 को झारखंड के हजारीबाग जिले के बड़कागांव में तत्कालीन विधायक निर्मला देवी, उनके पति योगेंद्र साव के नेतृत्व में एनटीपीसी ने जमीन अधिग्रहण और खनन के विरोध में किसान महारैली आयोजित की थी. उस दौरान भीड़ द्वारा पुलिस पर फायरिंग करने का आरोप लगाया था लेकिन वक्त के साथ ही सरकार के स्तर पर रिपोर्ट में काफी भिन्नता सामने आ गईं हैं. राज्य सरकार के गृह, कारा और आपदा प्रबंधन विभाग ने अलग-अलग समय में विधानसभा में पूछे गए सवाल के जवाब में दोनों बार अलग-अलग रिपोर्ट सौंपी है.
कब- कब क्या रही गृह विभाग की रिपोर्ट
विधानसभा में 12 मार्च 2016 को तत्कालीन विधायक निर्मला देवी ने ढेगा गोलीकांड से जुड़ा सवाल पूछा था कि 14 अगस्त 2015 को किसान महौरली में पुलिस ने गोली चलायी थी. जिसमें एक अल्पसंख्यक महिला, चार दलित और एक पत्रकार को गोली लगी. इस सवाल के जवाब में गृह विभाग ने बताया कि पुलिस ने किसी भी बलवाईयों और भू रैयतों पर गोली नहीं चलायी. किसी भी व्यक्ति को गोली नहीं लगी, ना ही धान रोपनी करने जा रहे किसी भू रैयतों पर लाठी चार्ज हुआ. किसान महौरली के दौरान सिर्फ वाटर कैनन से बौछार और आंसूगैस के गोले छोड़ने की बात गृह विभाग ने विधानसभा को भेजी गई रिपोर्ट में बताई.
विधायक अंबा के सवाल पर बदल गया जवाब
अब गृह विभाग ने अब बड़कागांव विधायक अंबा साव के उसी सवाल पर भेजे गए जवाब में बताया कि पुलिस ने फायरिंग की थी. बताया गया है कि भीड़ ने पुलिस बल पर हमला कर दिया था, जिसके बाद भीड़ को नाजायज मजमा घोषित करते हुए पहले लाठीचार्ज और आंसूगैस छोड़ी गई थी, लेकिन बेकाबू भीड़ को देखते हुए आत्मसुरक्षार्थ फायरिंग की गई थी. इस फायरिंग में सन्नी देल कुमार, संतोष राम, चंदर कुमार, मंटू सोनी, संजय राम गंभीर रूप से जख्मी हो गए थे, जिन्हें गिरफ्तार कर हिरासत में भेजा गया था. जख्मी हुई महिला जुबैदा खातून के शरीर में अब भी गोली फंसी हैं.
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मिस्टेक आफ फैक्ट के नाम पर खेल
पूरे मामले में अब डीजीपी एमवी राव से भी शिकायत की गई है. फायरिंग केस में हाई कोर्ट के आदेश पर गोली से जख्मी हुए पीड़ितों के बयान पर केस दर्ज कराया गया था. हजारीबाग पुलिस ने सभी मामलों को मिस्टेक आफ फैक्ट बता बंद कर दिया था. पुलिसिया जांच में इस बात से इंकार किया गया था कि किसी को गोली लगी है, लेकिन अब राज्य सरकार के गृह विभाग ने माना है कि फायरिंग में लोग जख्मी हुए थे. ऐसे में पुलिस की भूमिका पर भी अब सवाल उठ रहे हैं. पूरे मामले में नए सिरे से जांच और सुपरविजन के लिए डीजीपी से गुहार लगाई है. डीजीपी को सौंपे आवेदन में बताया गया है कि सदर अस्पताल हजारीबाग और जेल अस्पताल गन शॉट के इंज्युरी का जिक्र किया है.