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निजी अस्पतालों की लापरवाही से मरीज की गई जान, स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव ने कार्रवाई के दिए निर्देश

रांची में निजी अस्पतालों की लापरवाही के कारण एक कोरोना संक्रमित मरीज की मौत हो गई. दरअसल, मरीज की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद अस्पताल में भर्ती करने से मना कर दिया गया. इस मामले में स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव ने कार्रवाई के निर्देश दिए हैं.

Death of patient due to negligence of private hospitals
स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव नितिन मदन कुलकर्णी
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Published : Jul 31, 2020, 11:38 AM IST

रांचीः राजधानी में सरकार की नाक के नीचे निजी अस्पतालों की लापरवाही के कारण एक कोरोना मरीज की मौत हो गई. मामले को गंभीर बताते हुए स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव नितिन मदन कुलकर्णी ने जिला प्रशासन को मामले की जांच कर कार्रवाई का निर्देश दिए है.

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मामला दिल दहलाने वाला है. दरअसल, 29 जुलाई को पिस्का मोड़ के एक शख्स को सांस लेने की तकलीफ हो रही थी. आनन फानन में उनके परिजन इटकी स्थित देवकमल अस्पताल लेकर पहुंचे. जहां उन्हें भर्ती करने से मना कर दिया गया और कहा गया कि पहले कोरोना की जांच कराएं. इसके बाद मरीज को लेकर परिजन रांची रेलवे स्टेशन रोड स्थित गुरूनानक अस्पताल पहुंचे. वहां मरीज की कोरोना जांच कराई गई. जिसमें उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई. लेकिन इस अस्पताल ने भर्ती करने के बजाए उन्हें सरकार के अधीन चल रहे पारस अस्पताल में भेज दिया.

इस बीच काफी देर चुकी थी. पारस अस्पताल में इलाज के दौरान बुधवार की देर रात मरीज की मौत हो गई. प्रधान सचिव ने कहा कि सरकार की ओर से स्पष्ट निर्देश है कि मरीज चाहे कोरोना से ग्रसित हो या फिर अन्य बीमारी से, उसका इलाज हर हाल में करना है. उन्होंने यह भी कहा कि देवकमल अस्पताल में पैसे लेकर कोरोना मरीजों का इलाज हो रहा है फिर इस मरीज का क्यों नहीं किया गया. यह पूछे जाने पर कि गुरुनानक अस्पताल ने भी तो रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद इलाज नहीं किया. इसके जवाब में उन्होंने कहा कि जिस स्तर पर भी लापरवाही हुई है, उन्हें छोड़ा नहीं जाएगा. उन्होंने कहा कि शव को रिम्स के मॉर्चरी में रखने में हुई देरी और एंबुलेंस की सुविधा नहीं दिए जाने के मामले में भी कार्रवाई की जाएगी.

रांचीः राजधानी में सरकार की नाक के नीचे निजी अस्पतालों की लापरवाही के कारण एक कोरोना मरीज की मौत हो गई. मामले को गंभीर बताते हुए स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव नितिन मदन कुलकर्णी ने जिला प्रशासन को मामले की जांच कर कार्रवाई का निर्देश दिए है.

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मामला दिल दहलाने वाला है. दरअसल, 29 जुलाई को पिस्का मोड़ के एक शख्स को सांस लेने की तकलीफ हो रही थी. आनन फानन में उनके परिजन इटकी स्थित देवकमल अस्पताल लेकर पहुंचे. जहां उन्हें भर्ती करने से मना कर दिया गया और कहा गया कि पहले कोरोना की जांच कराएं. इसके बाद मरीज को लेकर परिजन रांची रेलवे स्टेशन रोड स्थित गुरूनानक अस्पताल पहुंचे. वहां मरीज की कोरोना जांच कराई गई. जिसमें उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई. लेकिन इस अस्पताल ने भर्ती करने के बजाए उन्हें सरकार के अधीन चल रहे पारस अस्पताल में भेज दिया.

इस बीच काफी देर चुकी थी. पारस अस्पताल में इलाज के दौरान बुधवार की देर रात मरीज की मौत हो गई. प्रधान सचिव ने कहा कि सरकार की ओर से स्पष्ट निर्देश है कि मरीज चाहे कोरोना से ग्रसित हो या फिर अन्य बीमारी से, उसका इलाज हर हाल में करना है. उन्होंने यह भी कहा कि देवकमल अस्पताल में पैसे लेकर कोरोना मरीजों का इलाज हो रहा है फिर इस मरीज का क्यों नहीं किया गया. यह पूछे जाने पर कि गुरुनानक अस्पताल ने भी तो रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद इलाज नहीं किया. इसके जवाब में उन्होंने कहा कि जिस स्तर पर भी लापरवाही हुई है, उन्हें छोड़ा नहीं जाएगा. उन्होंने कहा कि शव को रिम्स के मॉर्चरी में रखने में हुई देरी और एंबुलेंस की सुविधा नहीं दिए जाने के मामले में भी कार्रवाई की जाएगी.

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