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रांची के निजी अस्पताल ने मरीज के शव की कीमत लगाई 87 हजार, जानें पूरी बात

रांची के हेल्थ प्वाइंट अस्पताल पर एक मरीज के परिजनों ने गंभीर आरोप लगाया है. इलाज के लिए लाए गए मरीज के पिता ने आरोप लगाया कि बेटे का शव देने के लिए 87 हजार रुपए की मांग की गई है. उन्होंने बच्चे की मौत 15 घंटे पहले होने की आशंका जताई. उन्होंने आरोप लगाया कि इसके बाद भी पैसे के लिए इलाज का झांसा दिया जा रहा था. हालांकि अस्पताल प्रबंधन ने आरोपों से इंकार किया है.

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हेल्थ पॉइंट अस्पताल
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Published : Apr 10, 2021, 9:21 AM IST

Updated : Apr 10, 2021, 5:50 PM IST

रांची: राजधानी रांची में इंसानियत को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है. जहां इलाज के लिए लाए गए एक मरीज की मौत के बाद हेल्थ प्वाइंट अस्पताल प्रबंधन ने शव देने के लिए इलाज के बाकी बचे 87 हजार रुपए की मांग की और रुपए न देने तक शव न देने की चेतावनी दी. परिजनों का तो ये भी आरोप है कि मरीज की मौत काफी पहले हो गई थी, लेकिन रुपयों के लिए चिकित्सकों ने उन्हें जानकारी नहीं दी. हालांकि अस्पताल प्रबंधन ने आरोपों को निराधार बताया है.

देखें पूरी खबर

ये भी पढ़ें-झारखंड में शनिवार को होगा राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन, झालसा ने तैयारी की पूरी


क्या है पूरा मामला
दरअसल, 5 अप्रैल को पलामू जिले के ऊपरी कला के रहनेवाले अर्जुन मेहता का 7 साल का बेटा अभय, सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गया. अभय की गंभीर हालत देखते हुए परिजन बेहतर इलाज की आस में उसे लेकर रांची के बरियातू स्थित हेल्थ प्वाइंट नाम के निजी अस्पताल में पहुंचे. जहां पर डॉक्टरों ने 80 हजार फीस लेकर उसे भर्ती किया लेकिन 2 दिन इलाज करने के बाद भी उसे बचा नहीं पाए. हद तो तब हो गई जब अस्पताल प्रबंधन ने बच्चे की मौत के बाद शव देने के लिए मां बाप से 87 हजार रुपए की मांग की और पूरे रुपए मिलने पर ही डेड बॉडी छोड़ने की बात कही.


क्या शव का करते रहे इलाज
मृतक अभय के पिता अर्जुन मेहता बताते हैं कि उसके बेटे की मौत कई घंटे पहले हो गई थी, लेकिन डॉक्टरों की ओर से यह बात छिपाई गई ताकि इलाज के नाम पर बकाया पैसा लिया जा सके. उन्होंने अस्पताल प्रबंधन पर आरोप लगाते हुए कहा कि जब भी वह अपने बच्चे का हाल जानने की कोशिश करते थे तो कोरोना संक्रमण का हवाला देते हुए न तो बच्चे से मिलने दिया जाता था और न ही उसके बारे में कुछ बताया जाता था, इसीलिए उसकी मौत की जानकारी किसी को भी नहीं हो पाई. जिसका नाजायज फायदा अस्पताल प्रबंधन उठा रहा है.


अंत में 25 हजार में किया शव का सौदा
मृतक के चाचा शंकर मेहता ने अस्पताल प्रबंधन पर आरोप लगाते हुए कहा कि अस्पताल प्रबंधन की ओर से बच्चे की मौत के 15 घंटे के बाद भी डेड बॉडी नहीं दी जा रही थी. इसके साथ ही धमकी दी जा रही थी कि जब तक इलाज का पूरा खर्च नहीं दिया जाता, तब तक शव को परिजन को नहीं सौंपा जाएगा. शंकर मेहता बताते हैं जब अस्पताल प्रबंधन ने डेड बॉडी देने से साफ इनकार कर दिया तो उन लोगों ने अपने परिजनों से कर्ज लेकर 25 हजार रुपए जमा किए गए तब जाकर अस्पताल प्रबंधन ने शव सौंपने की बात स्वीकारी.


अस्पताल प्रबंधन ने आरोपों को बताया निराधार
पूरे मामले पर अस्पताल प्रबंधन की ओर से गोपाल कुमार ने मरीज के आरोपों को निराधार बताया है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अस्पताल प्रबंधन की ओर से शव सौंपने के लिए किसी तरह की कोई जोर जबरदस्ती या पैसे की मांग नहीं की गई है. परिजनों को यथाशक्ति पेमेंट करने की बात कही थी. अगर परिजन इस तरह की बात कह रहे हैं तो यह निराधार है.

रांची: राजधानी रांची में इंसानियत को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है. जहां इलाज के लिए लाए गए एक मरीज की मौत के बाद हेल्थ प्वाइंट अस्पताल प्रबंधन ने शव देने के लिए इलाज के बाकी बचे 87 हजार रुपए की मांग की और रुपए न देने तक शव न देने की चेतावनी दी. परिजनों का तो ये भी आरोप है कि मरीज की मौत काफी पहले हो गई थी, लेकिन रुपयों के लिए चिकित्सकों ने उन्हें जानकारी नहीं दी. हालांकि अस्पताल प्रबंधन ने आरोपों को निराधार बताया है.

देखें पूरी खबर

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क्या है पूरा मामला
दरअसल, 5 अप्रैल को पलामू जिले के ऊपरी कला के रहनेवाले अर्जुन मेहता का 7 साल का बेटा अभय, सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गया. अभय की गंभीर हालत देखते हुए परिजन बेहतर इलाज की आस में उसे लेकर रांची के बरियातू स्थित हेल्थ प्वाइंट नाम के निजी अस्पताल में पहुंचे. जहां पर डॉक्टरों ने 80 हजार फीस लेकर उसे भर्ती किया लेकिन 2 दिन इलाज करने के बाद भी उसे बचा नहीं पाए. हद तो तब हो गई जब अस्पताल प्रबंधन ने बच्चे की मौत के बाद शव देने के लिए मां बाप से 87 हजार रुपए की मांग की और पूरे रुपए मिलने पर ही डेड बॉडी छोड़ने की बात कही.


क्या शव का करते रहे इलाज
मृतक अभय के पिता अर्जुन मेहता बताते हैं कि उसके बेटे की मौत कई घंटे पहले हो गई थी, लेकिन डॉक्टरों की ओर से यह बात छिपाई गई ताकि इलाज के नाम पर बकाया पैसा लिया जा सके. उन्होंने अस्पताल प्रबंधन पर आरोप लगाते हुए कहा कि जब भी वह अपने बच्चे का हाल जानने की कोशिश करते थे तो कोरोना संक्रमण का हवाला देते हुए न तो बच्चे से मिलने दिया जाता था और न ही उसके बारे में कुछ बताया जाता था, इसीलिए उसकी मौत की जानकारी किसी को भी नहीं हो पाई. जिसका नाजायज फायदा अस्पताल प्रबंधन उठा रहा है.


अंत में 25 हजार में किया शव का सौदा
मृतक के चाचा शंकर मेहता ने अस्पताल प्रबंधन पर आरोप लगाते हुए कहा कि अस्पताल प्रबंधन की ओर से बच्चे की मौत के 15 घंटे के बाद भी डेड बॉडी नहीं दी जा रही थी. इसके साथ ही धमकी दी जा रही थी कि जब तक इलाज का पूरा खर्च नहीं दिया जाता, तब तक शव को परिजन को नहीं सौंपा जाएगा. शंकर मेहता बताते हैं जब अस्पताल प्रबंधन ने डेड बॉडी देने से साफ इनकार कर दिया तो उन लोगों ने अपने परिजनों से कर्ज लेकर 25 हजार रुपए जमा किए गए तब जाकर अस्पताल प्रबंधन ने शव सौंपने की बात स्वीकारी.


अस्पताल प्रबंधन ने आरोपों को बताया निराधार
पूरे मामले पर अस्पताल प्रबंधन की ओर से गोपाल कुमार ने मरीज के आरोपों को निराधार बताया है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अस्पताल प्रबंधन की ओर से शव सौंपने के लिए किसी तरह की कोई जोर जबरदस्ती या पैसे की मांग नहीं की गई है. परिजनों को यथाशक्ति पेमेंट करने की बात कही थी. अगर परिजन इस तरह की बात कह रहे हैं तो यह निराधार है.

Last Updated : Apr 10, 2021, 5:50 PM IST
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