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कोरोना ने छीनी दिहाड़ी मजदूरों की मजदूरी, हर शाम बिना काम के लौट रहे घर

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Published : Jul 27, 2020, 4:12 PM IST

राजधानी में बढ़ते संक्रमण ने दिहाड़ी मजदूरों से रोजगार छीन लिया है. लंबे समय से जारी लॉकडाउन की वजह से अंडर कंस्ट्रक्शन का काम बंद होने के कारण वहां काम करने वाले लोगों को भी अब काम नहीं मिल रहा है. ऐसे में उनके सामने भुखमरी की समस्या उत्पन्न हो गई है.

Corona virus has increased problems for workers
दिहाड़ी मजदूरों पर कोरोना का असर

रांचीः वैश्विक महामारी कोरोना वायरस का प्रकोप दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है और जिसका सबसे ज्यादा असर मजदूरों पर पड़ रहा है. मजदूर गांव से शहर इस उम्मीद से आते हैं कि शहर में रोजगार मिलेगा और घर परिवार अच्छे से चल पाएगा, लेकिन मौजूदा हालात में कोई भी इन मजदूरों को अपने घर में काम कराने के लिए नहीं ले जा रहा है, जिसके कारण दिहाड़ी मजदूरी कर अपनी जीविका उपार्जन करने वाले मजदूरों के बीच काफी समस्या उत्पन्न हो गई है.

देखें पूरी खबर
गांव से शहर दिहाड़ी मजदूर रोजगार की तलाश में आते हैं, लेकिन लगातार राजधानी में बढ़ते संक्रमण के कारण इन लोगों को काम नहीं मिल पा रहा है. लंबे समय से हुए लॉकडाउन की वजह से अंडर कंस्ट्रक्शन का काम बंद होने के कारण वहां पर काम करने वाले लोगों को भी अब रोजगार नहीं मिल रहा है. हालांकि, धीरे-धीरे जिवन-यापन पटरी पर लौटने लगी है, लेकिन मजदूरों की जिंदगी अभी तक पटरी पर नहीं लौटी है.

ये भी पढे़ं- कोविड-19 अस्पताल में मरीजों ने किया हंगामा, सही खाना नहीं मिलने पर कई मरीज हुए बीमार

मजदूरों का कहना है कि 3 महीने के लॉकडाउन के कारण जमा पूंजी पूरी तरह से समाप्त हो गया और अब काम नहीं मिलने के कारण लोगों के बीच भुखमरी की समस्या उत्पन्न हो गई है. मजदूर सुबह होते ही चौक चौराहे पर आकर बैठे हुए रहते हैं. इस उम्मीद से कि कोई काम कराने के लिए ले जाएगा, लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता जाता है, लोगों की उम्मीद टूटते जाती है और मायूस होकर वो फिर घर लौट जाते हैं. स्थिति यह हो गई है कि लोग गरीबी और भुखमरी की कगार पर आ गए हैं. उनकी मांग है कि सरकार मजदूरों के हितों को ध्यान में रखते हुए कोई उचित कदम उठाए, ताकि गरीब मजदूरों का भरण पोषण हो सके.

रांचीः वैश्विक महामारी कोरोना वायरस का प्रकोप दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है और जिसका सबसे ज्यादा असर मजदूरों पर पड़ रहा है. मजदूर गांव से शहर इस उम्मीद से आते हैं कि शहर में रोजगार मिलेगा और घर परिवार अच्छे से चल पाएगा, लेकिन मौजूदा हालात में कोई भी इन मजदूरों को अपने घर में काम कराने के लिए नहीं ले जा रहा है, जिसके कारण दिहाड़ी मजदूरी कर अपनी जीविका उपार्जन करने वाले मजदूरों के बीच काफी समस्या उत्पन्न हो गई है.

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गांव से शहर दिहाड़ी मजदूर रोजगार की तलाश में आते हैं, लेकिन लगातार राजधानी में बढ़ते संक्रमण के कारण इन लोगों को काम नहीं मिल पा रहा है. लंबे समय से हुए लॉकडाउन की वजह से अंडर कंस्ट्रक्शन का काम बंद होने के कारण वहां पर काम करने वाले लोगों को भी अब रोजगार नहीं मिल रहा है. हालांकि, धीरे-धीरे जिवन-यापन पटरी पर लौटने लगी है, लेकिन मजदूरों की जिंदगी अभी तक पटरी पर नहीं लौटी है.

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मजदूरों का कहना है कि 3 महीने के लॉकडाउन के कारण जमा पूंजी पूरी तरह से समाप्त हो गया और अब काम नहीं मिलने के कारण लोगों के बीच भुखमरी की समस्या उत्पन्न हो गई है. मजदूर सुबह होते ही चौक चौराहे पर आकर बैठे हुए रहते हैं. इस उम्मीद से कि कोई काम कराने के लिए ले जाएगा, लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता जाता है, लोगों की उम्मीद टूटते जाती है और मायूस होकर वो फिर घर लौट जाते हैं. स्थिति यह हो गई है कि लोग गरीबी और भुखमरी की कगार पर आ गए हैं. उनकी मांग है कि सरकार मजदूरों के हितों को ध्यान में रखते हुए कोई उचित कदम उठाए, ताकि गरीब मजदूरों का भरण पोषण हो सके.

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