रांची: झारखंड में ओमीक्रोन वेरिएंट का एक भी मामला नहीं मिला है. इससे बचने के लिए झारखंड सरकार और स्वास्थ्य विभाग ने 15 जनवरी 2022 तक पूर्ण टीकाकरण का लक्ष्य रखा है. राज्य में अभी 74% लोगों को वैक्सीनेशन का पहला डोज और सिर्फ 42% लोगों को दूसरा डोज लगा है. ऐसे में 15 जनवरी तक पूर्ण टीकाकरण का लक्ष्य बड़ी चुनौती है. इस लक्ष्य को पाने के लिए 15 दिसंबर से कोरोना वैक्सीनेशन का मेगा अभियान चलाया जा रहा है. लेकिन आंकड़े बढ़ाने के चक्कर में ऐसी लापरवाही की जा रही है जिसका खामियाजा आने वाले दिनों में आम लोगों को भुगतना पड़ सकता है.
देवघर में कुछ ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जिनमें लोगों को टीका तो लगा नहीं लेकिन उनके पास टीकाकरण का मैसेज और सर्टिफिकेट जरूर आ गया. देवघर के विलासी टॉउन की रुचि कुमारी भी स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही की शिकार हुई है. रुचि कुमारी को 15 दिसंबर को मैसेज आया कि उन्होंने दूसरा डोज ले लिया है, जबकि प्रेगनेंसी के आठवें महीने में होने के कारण उन्होंने दूसरा डोज कुछ दिन के लिए टाल दिया है. हैरानी की बात ये है कि इसी तरह उनकी की पड़ोस की वंदना देवी के साथ भी हुआ. 20 दिसंबर को बिना वैक्सीन लिए यह मैसेज आ गया कि उन्होंने वैक्सीन ले ली है.
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हैरानी की बात ये है कि देवघर के सारठ के आनंद रजक का आधार में डेट ऑफ बर्थ 20 अगस्त 2005 है यानि अभी उसकी उम्र 18 भी नहीं हुई है. लेकिन उसके पास वैक्सीन लगने का मैसेज आ गया है. वंदना, रुचि और आनंद ने वैक्सीनेशन में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए ईटीवी भारत को अपनी शिकायत बताई. इन्हें डर है कि अभी बिना वैक्सीन लिए ही इनके पास मैसेज आ गया है. ऐसे में जब वास्तव में वे वैक्सीन लेने जाएंगे तब क्या होगा.
क्या कहते हैं NHM के मिशन डायरेक्टर
झारखंड में ओमीक्रोन वेरिएंट का एक भी मामला नहीं मिला है. इस कोरोना के इस वेरिएंट से बचने के लिए झारखंड में 15 जनवरी 2022 तक टोटल वैक्सीशन का लक्ष्य रखा गया है. उसे पूरा करने के लिए चल रहे वैक्सीनेशन का मेगा अभियान चलाया जा रहा है. इसके तहत हर दिन 1.5 लाख से 2.0 लाख वैक्सीनेशन का दावा राज्य के NHM निदेशक रमेश घोलप करते हैं. ईटीवी भारत की टीम ने जब उनसे कई इलाकों खास कर के देवघर जिले से बिना वैक्सीन लिए मैसेज आने को लेकर सवाल किया तो उन्होंने जांच की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया. एक तरफ स्वास्थ्य विभाग कोरोना वैक्सीनेशन का मेगा अभियान चलाकर उसे सफल बता रहा है और वाहवाही लूट रहा है. लेकिन दूसरी तरफ जब इस तरह की गड़बड़ी सामने आती है तो उसससे वैक्सीनेशन के आंकड़ों पर सवाल खड़े होते हैं.