रांची: कोरोना संक्रमित एक युवती ने सोशल मीडिया पर वीडियो जारी कर कोविड टीम के द्वारा उसके परिवार को परेशान करने और दोबारा जांच नहीं करने का आरोप लगाया है. सीएम ने पीड़िता के वीडियों को शेयर करते हुए रांची के डीसी से मामले की जांच करने और फौरन मदद पहुंचाने का निर्देश दिया है.
मामला रांची के मोरहाबादी स्थित हरिहर सिंह रोड का है. 5 सितंबर को एक लड़की की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी. उसे होम आसोलेशन में रहने को कहा गया था. इसके बाद इंफोर्समेंट टीम की ओर से 7 सितंबर को मरीज के घर को कंटेनमेंट जोन बताकर घेराबंदी कर दी और निर्देशों के पालन से जुड़ी पर्ची चिपका दी गयी थी. इस बीच दोबारा जांच के लिए किसी ने संपर्क नहीं किया. पीड़िता का आरोप है कि आस-पड़ोस के लोग ताने मारते हैं. पूरे परिवार को घर छोड़कर जाने कहते हैं. घर का दरवाजा खुला रहने पर बुरा-भला कहते हैं. वीडियों ने पीड़िता में यहां तक कहा है कि दिल्ली में होती तो ऐसी नौबत नहीं आती. वहां की व्यवस्था अच्छी है. ईटीवी भारत की टीम ने खबर की पड़ताल की तो पड़ोस के लोगों ने तमाम आरोपों को बेबुनियाद बताया. लोगों ने कहा कि अगर किसी ने मरीज के परिवार को भला-बुरा कहा है तो उन्हें कोई प्रमाण देना चाहिए.
जांच में नहीं निकली कोई बात
ईटीवी भारत की टीम ने बड़गाई के सीओ सह इंसिडेंट कमांडर शैलेश सिन्हा से फोन पर बात कि तो उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले पीड़िता ने उनसे ऐसी शिकायत की थी. इसकी जानकारी बरियातू थाना प्रभारी को भी दी गई थी. इसके साथ ही अपने स्तर से जांच कराने पर ऐसी कोई बात प्रमाणित नहीं हुई थी. उन्होंने कहा कि पीड़िता की रिपोर्ट 5 सितंबर को पॉजिटिव आई थी. इसके बाद परिवार के परमिशन से 7 सितंबर को घर को कंटेनमेंट जोन बना दिया गया था. आम तौर पर रिपोर्ट के सात दिन बाद दोबारा जांच कराने का प्रावधान है, लेकिन मैनपावर की कमी के कारण दसवें दिन जांच कराया जा रहा है. इसकी जानकारी भी उन्हें दी गई थी.
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स्कूटी चलाकर टेस्ट कराने रिम्स पहुंची पीड़िता
सबसे खास बात है कि पीड़िता खुद स्कूटी चलाकर रिम्स में दोबारा जांच कराने पहुंच गई. अब सवाल यह है कि क्या किसी मरीज को अपने स्तर से जांच कराने के लिए बाहर जाने की छूट होती है. इस सवाल के जवाब में बड़गाई सीओ ने कहा कि प्रशासन से परमिशन मिलने के बाद ही कोई खुद जाकर जांच करा सकता है, लेकिन इस केस में ऐसा नहीं हुआ है.